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RBI चाहता है कि भारतीय बैंकों को बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में रुपये में लोन देने की छूट दी जाए. (Express Photo)
RBI Seeking Approval for Overseas Indian Rupee Lending to Neighbours says Report : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में दुनिया भर में आगे बढ़ाने की दिशा में एक नई पहल की है. आरबीआई चाहता है कि भारतीय बैंकों को अब बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में भारतीय रुपये में लोन देने की इजाजत दी जाए. इसके लिए आरबीआई ने केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी है. यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दी है. माना जा रहा है कि आरबीआई के इस प्रस्ताव का मकसद इंटरनेशनल ट्रेड और ट्रांजैक्शन्स में रुपये के इस्तेमाल को बढ़ावा देना, करेंसी स्वैप सिस्टम पर निर्भरता को घटाना और फॉरेन करेंसी में होने वाले उतार-चढ़ावों को भी कम करना है.
पड़ोसी देशों में रुपये में लोन की शुरुआत का प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक आरबीआई ने केंद्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में सुझाव दिया है कि भारतीय बैंकों और उनकी विदेशी शाखाओं को यह छूट देनी चाहिए कि वे विदेशों में रुपये में लोन जारी कर सकें. शुरुआत में यह व्यवस्था बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के लिए लागू किए जाने का प्रस्ताव है. अगर यह पहल सफल रहती है तो इसे आगे चलकर दूसरे देशों के साथ भी लागू किया जा सकता है. कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक 2024-25 में भारत के दक्षिण एशिया देशों को किए जाने वाले एक्सपोर्ट में 90% हिस्सा इन्हीं चार देशों (बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका) का रहा है. इस एक्सपोर्ट की कुल वैल्यू करीब 25 अरब डॉलर है. ऐसे में इन देशों के साथ रुपये में लोन और ट्रेड से न सिर्फ भारत की करेंसी को मजबूती मिलेगी, बल्कि द्विपक्षीय व्यापार भी और आसान होगा.
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ट्रेड से जुड़े उद्देश्यों के लिए होगी लोन की सुविधा
आरबीआई का यह प्रस्ताव मुख्य रूप से ट्रेड से जुड़े उद्देश्यों के लिए जुड़े लोन पर ही फोकस्ड है. सूत्रों के मुताबिक "आरबीआई इन देशों में केवल व्यापार से जुड़े उद्देश्यों के लिए ही रुपये में लोन दिए जाने की अनुमति देगा." इसका मतलब यह है कि प्राइवेट या नॉन-ट्रेड कॉमर्शियल लोन्स इस दायरे में नहीं आएंगे.
करेंसी स्वैप पर निर्भरता घटेगी
फिलहाल रुपये की लिक्विडिटी केवल सीमित सरकारी क्रेडिट लाइन्स या द्विपक्षीय करेंसी स्वैप समझौतों के जरिए उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन आरबीआई का मानना है कि इस सिस्टम में सुधार की जरूरत है. एक अधिकारी के अनुसार, "उद्देश्य यह है कि ऐसी व्यवस्थाओं पर निर्भरता को कम किया जाए और इसके बजाय कमर्शियल बैंकों को बाजार आधारित शर्तों पर रुपी लिक्विडिटी मुहैया कराने की अनुमति दी जाए." मौजूदा व्यवस्था के तहत भारतीय बैंकों की विदेशी ब्रांचों को सिर्फ विदेशी मुद्राओं में ही लोन देने की इजाजत है और ऐसे लोन मुख्य तौर पर भारतीय कंपनियों को ही दिए जाते हैं. हालांकि रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने की रणनीति के तहत आरबीआई ने हाल ही में भारत से बाहर नॉन-रेजिडेंट भारतीयों (NRIs) के लिए रुपी अकाउंट खोलने की छूट दी है.
फॉरेन करेंसी की अस्थिरता भी कम होगी
रुपये में लोन की सुविधा से व्यापारिक सौदों में रुपये का इस्तेमाल आसान हो जाएगा. इसके साथ ही डॉलर या अन्य विदेशी करेंसी की अस्थिरता से जुड़ा जोखिम भी कम होगा. एक सरकारी सूत्र के अनुसार, "रुपये में लोन की व्यवस्था शुरू होने पर व्यापारिक लेनदेन रुपये में होंगे, जिससे फॉरेन करेंसी के उतार-चढ़ाव का असर भी कम होगा."
स्ट्रैटजिक प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंस डिमांड
सरकार को वित्तीय संस्थानों से कई स्ट्रैटजिक प्रोजेक्ट्स के लिए रुपये में फाइनेंसिंग किए जाने की डिमांड भी मिली है. सूत्रों ने बताया कि भारत ने यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE), इंडोनेशिया और मालदीव जैसे देशों के साथ लोकल करेंसी में व्यापार के लिए समझौते किए हैं, जिससे साफ है कि ग्लोबल लेवल पर रुपये की उपलब्धता को और बढ़ाने की जरूरत है.
मजबूत होगी ग्लोबल सिस्टम में रुपये की भागीदारी
अगर आरबीआई का यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इसे भारतीय करेंसी के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जाएगा. इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये की भूमिका बढ़ेगी. साथ ही ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में भारतीय करेंसी को मजबूती से स्थापित करने में यह भी ये पहल मील का पत्थर साबित हो सकती है. एक अधिकारी ने कहा, "इस प्रस्ताव को लागू किया गया तो यह रुपये को ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में बड़े पैमाने पर स्वीकार की जाने वाली करेंसी बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा." रॉयटर्स का कहना है कि इस खबर के बारे में वित्त मंत्रालय और आरबीआई को टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल्स पर फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला है.
(इनपुट - रॉयटर्स)