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Key factors for Stock Market : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान कई निगेटिव फैक्टर्स ने बाजार को प्रभावित किया. (PTI)
Modi Govt Last 5 Years : नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi) का दूसरा टर्म अब खत्म होने वाला है और 4 जून 2024 को यह तय होगा कि अगला टर्म किसका होगा. 23 मई 2019 को पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए थे और तय हो गया था नरेंद्र मोदी फिर देश के पीएम बनने जा रहे हैं. बीते 5 साल में इक्विटी मार्केट (Equity Markets) में अलग अलग वजहों से कई बार उतार चढ़ाव देखने को मिला. कई फैक्टर्स ने बाजार को प्रभावित किया, उसके बाद भी इक्विटी मार्केट ने निवेशकों को भारी भरकम रिटर्न दिया. जानते हैं कि इन 5 साल में स्टॉक मार्केट (Stock Market) से लेकर इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) तक कहां निवेशकों को कितना फायदा हुआ.
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सेंसेक्स और निफ्टी में करीब डबल रिटर्न
24 मई 2019 को निफ्टी 11844 के लेवल पर बंद हुआ था. वहीं अभी यह 22754 के लेवल पर है. यानी इतने दिनों में इंडेक्स ने 93 फीसदी रिटर्न दिया है. इसी तह से सेंसेक्स इस दौरान 39435 के लेवल से बढ़कर 75038 के लेवल पर पहुंच गया. यानी इंडेक्स में करीब 92 फीसदी की तेजी रही. बैंक निफ्टी 31213 के लेवल से 48987 के लेवल तक पहुंच या, यानी 60 फीसदी से ज्यादा मजबूत हुआ.
मिडकैप इंडेक्स में बीते 5 साल में 165 फीसदी तेजी रही तो स्मॉलकैप इंडेक्स 205 फीसदी मजबूत हुआ. निफ्टी आईटी इंडेक्स में 96 फीरसदी तो S&P BSE-500 इंडेक्स में 115 फीसदी बढ़त देखने को मिली.
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इक्विटी म्यूचुअल फंड में कितना रिटर्न
लार्जकैप फंड: 16%
लार्ज एंड मिडकैप फंड: 18.50%
फ्लेक्सी कैप फंड: 16.70%
मल्टीकैप फंड: 49.78%
मिडकैप फंड: 22.50%
स्मॉलकैप फंड: 25.70%
वैल्यू ओरिएंटेड: 19.25%
ELSS: 17.85%
सेक्टोरल बैंकिंग: 13.00%
सेक्टोरल इंफ्रा: 24.00%
सेक्टोरल फार्मा: 23.00%
सेक्टोरल टेक्नोलॉजी: 23.00%
थीमैटिक: 19.75%
थीमैटिक पीएसयू: 25.50%
थीमैटिक कंजम्पशन: 18%
थीमैटिक एनर्जी: 22.50%
कौन से प्रमुख फैक्टर रहे हावी
कोविड 19: साल 2020 के शुरू में कोविड 19 महामारी देश में आ गई थी. यह एक ग्लोबल समस्या बन गई और दुनियाभर में लॉकडाउन के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह से टूट गया. कल कारखाने बंद हो गए. प्रोडक्शन ठप पड़ गया. जिसके चलते शेयर बाजार कई महीनों के निचले स्तर पर चले गए. हालांकि बाद में तेजी रिकवरीह आई.
जियो पॉलिटिकल टेंशन: रूस व यूक्रेन और इजराइल व हमास के बीच वार के चलते जियो पॉलिटिकल टेंशन ने बाजारों को प्रभावित​ किया. खासतौर से रूस और यूक्रेन वार के चलते बाजार में भारी वोलेटिलिटी देखने को मिली थी.
महंगाई और रेट हाइक: बीते 5 साल की बात करें तो महंगाई एक बड़ी समस्या बनकर उभरी. 2022 और 2023 के शुरू में यह कई साल के हाई लेवल पर पहुंच गई थी. जिसके चलते दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने लगातार रेट हाइक का सहारा लिया. इससे कंपनियों के लिए कर्ज लेना महंगा हो गया. जिसका असर बाजार पर देखने को मिला.
बैंकिंग संकट: इसी दौरान ग्लोबल लेवल पर बैंकिंग संकट भी गहराया. विश्व स्तर के कुछ बैंक कोलैप्स कर गए. हालांकि इसका भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर असर बहुत ज्यादा नहीं हुआ.
क्रूड की कीमतें: इस दौरान ज्यादातर समय क्रूड की कीमतें हाई लेवल पर बनी रहीं. मौजूदा समय में भी यह 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब है.