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Bank Stocks : मजबूत फंडामेंटल वाले बैंक शेयरों पर नजर रख सकते हैं. लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर का भी ध्यान रखना होगा. (Pixabay)
BFSI Stocks : बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस सेक्टर की कमाई के अनुमान पिछले कुछ महीनों में काफी घटाए गए हैं. इसकी वजह है मार्जिन प्रेशर, कमजोर लोन ग्रोथ और ज्यादा क्रेडिट कॉस्ट (खासतौर पर अनसिक्योर्ड लोन में). प्राइवेट बैंकों की कमाई के अनुमान FY26 के लिए 5%–14% और FY27 के लिए 1%–6% तक घटाए गए हैं. वहीं, सरकारी बैंकों में इन सालों के लिए कम बदलाव हुआ है. हालांकि ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल का कहना है कि कुछ दिनों तक दबाव है, लेकिन आगे सेक्टर में रिकवरी की उम्मीद है. निवेशक मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों (Banking Stocks) पर नजर रख सकते हैं. लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर का भी ध्यान रखना होगा.
BFSI सेक्टर की कमाई बढ़ने की उम्मीद
मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक अनुमानों के अनुसार, FY26 बैंकों के लिए कमजोर साल रहेगा. इस साल सेक्टर का प्रॉफिट (PAT) सिर्फ करीब 2 फीसदी सालाना बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. यह पिछले कई सालों में सबसे कमजोर ग्रोथ होगी (FY20-25 में ~40% CAGR रहा था). इसकी वजह है, मार्जिन पर दबाव, ज्यादा क्रेडिट कॉस्ट और लोन ग्रोथ की कमी.
लेकिन, FY26 की दूसरी छमाही से सुधार की उम्मीद है. अनुमान है कि FY27 में 18% YoY अर्निंग ग्रोथ होगी, जिससे लगातार कई सालों की धीमी ग्रोथ का सिलसिला टूटेगा. ब्रोकरेज के अनुसार FY26-28 में बैंकों की कमाई 17% CAGR से बढ़ सकती है, जबकि कॉन्सेनसस अनुमान 15% CAGR का है. कमाई की यह रिकवरी और बेहतर लोन ग्रोथ (GST, डायरेक्ट टैक्स कट और कम ब्याज दरों से मिलने वाले सहयोग से) आने वाले समय में सेक्टर के प्रदर्शन को मजबूत बनाएगी.
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ब्रोकरेज के टॉप 4 पिक्स
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रिस्क फैक्टर्स : किन बातों पर अलर्ट?
मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि बैंकिंग सेक्टर में रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं, लेकिन कुछ जोखिम अभी भी चिंता का कारण हैं. लंबे समय तक फंडिंग कॉस्ट ज्यादा रहना, डिपॉजिट रेट्स में देरी से बदलाव या होलसेल बॉरोइंग बढ़ना, ये सब मार्जिन सुधार को टाल सकते हैं और मुनाफे पर दबाव डाल सकते हैं. खासकर तब, जब बैंक ब्याज दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों तक सही समय पर नहीं पहुंचा पाते.
एसेट क्वालिटी का खतरा अभी भी बना हुआ है, खासकर अनसिक्योर्ड रिटेल लोन, माइक्रोफाइनेंस और साइक्लिक सेक्टर (जैसे कमर्शियल व्हीकल) में. अगर अर्थव्यवस्था धीमी पड़ी या डिफॉल्ट बढ़े, तो क्रेडिट कॉस्ट लंबे समय तक ऊंचे रह सकते हैं, जिससे लिक्विडिटी और रीप्राइसिंग से होने वाले फायदे भी कम हो जाएंगे और निकट भविष्य की अर्निंग प्रभावित होगी.
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इसके अलावा, ज्यादा ब्याज दर कटौती की संभावना भी अनिश्चितता बढ़ाती है. अगर रेट कट साइकिल लंबा चला, तो बैंकों की लेंडिंग यील्ड और मार्जिन पर और दबाव पड़ सकता है.
साथ ही, रेगुलेटरी बदलाव और वैश्विक स्तर पर अस्थिर माहौल (जैसे टैरिफ) भी सेक्टर की रिकवरी की रफ्तार को धीमा कर सकते हैं.
(Disclaimer: स्टॉक्स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.