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Investment Strategy in Bullish Market: बाजार की तेजी में मुनाफा वसूली करें या नहीं? (Image : Pixabay)
What should investors do when Share Markets are on highs: भारतीय शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है. सोमवार को शेयर बाजार के प्रमुख ब्लूचिप इंडेक्स निफ्टी (Nifty 50) ने एक बार फिर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर को छू लिया. एनएसई का सेंसेक्स (Sensex) भी लगातार 80 हजार के पार कारोबार कर रहा है. ऐसे माहौल में, जब स्टॉक मार्केट लगातार नई ऊंचाई पर जा रहा हो, रिटेल इन्वेस्टर्स को क्या करना चाहिए? क्या उन्हें अब तक कमाए गए मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए प्रॉफिट बुकिंग करनी चाहिए या निवेश की वैल्यू और बढ़ने का इंतजार करना चाहिए? तेजी के माहौल में छोटे इन्वेस्टर्स के लिए सही स्ट्रैटजी क्या होगी? इस सवाल का जवाब अच्छी तरह समझने के लिए पहले शेयर बाजार की तेजी को समझना जरूरी है.
Nifty और Sensex की नई ऊंचाई यानी क्या?
सेंसेक्स 80,500 के ऊपर चला जाए या निफ्टी 24,500 के पार, बाजार के ये आंकड़े आपके अच्छा एहसास कराते हैं, क्योंकि आपके इनवेस्टमेंट की वैल्यू बढ़ जाती है. यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि सेंसेक्स और निफ्टी जैसे ब्लूचिप इंडेक्स से भी ज्यादा तेजी को स्मॉल कैप इंडेक्स में देखने को मिलती है. पिछले एक साल के दौरान सेंसेक्स करीब 21% बढ़ा है, तो निफ्टी 50 में करीब 25% का जंप आया है. इसके मुकाबले बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स (S&P BSE SmallCap) पिछले 1 साल में करीब 59% और निफ्टी स्मॉल कैप (Nifty Small Cap 100) इंडेक्स में 67% से ज्यादा की तेजी आई है. ये सभी आंकड़े बताते हैं कि किसी तय समय के दौरान किसी इंडेक्स में शामिल सभी शेयरों की ग्रोथ का औसत क्या है. ये आंकड़े निवेशकों के सेंटीमेंट को प्रभावित करते हैं.
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बाजार की ऊंचाई पर मुनाफा वसूली किनके लिए सही?
शेयर बाजार के इतनी ऊंचाई पर पहुंचने का मतलब है कि बहुत सारे इन्वेस्टर्स को उनके निवेश पर मोटा मुनाफा हो रहा होगा. तो क्या उन्हें अपने शेयर बेचकर प्रॉफिट निकाल लेना चाहिए? दरअसल ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है, अगर आप निवेशकों की नीचे बताई गई किसी भी कैटेगरी में आते हैं:
ऐसे इन्वेस्टर जो बहुत लंबे समय के लिए निवेश की तैयारी के बिना बाजार में आए थे और अब बढ़िया प्रॉफिट कमा चुके हैं.
ऐसे लॉन्ग टर्म निवेशक जो 5-10 साल से लगातार इनवेस्ट करते आ रहे हैं और अब अपने इनवेस्टमेंट टारगेट के लिहाज पर्याप्त कमाई कर चुके हैं, वे अपने पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा (अपनी रणनीति के हिसाब से 10 से 25% तक) इक्विटी से निकालकर डेट या किसी और फिक्स्ड रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट में डाल सकते हैं.
ऐसा करने से उनके निवेश पर जोखिम भी घटेगा और साथ ही वे बाजार में आगे चलकर करेक्शन होने पर अगर निवेश के नए मौके बनते हैं, तो उनका इस्तेमाल भी कर पाएंगे.
अगर किसी निवेशक ने होम लोन चुकाने, घर के डाउन-पेमेंट के लिए पैसे जमा करने या ऐसे किसी खास टागरेट को फोकस करके इनवेस्ट किया था और अब उनका लक्ष्य पूरा हो रहा है, तो उनके लिए पैसे निकालने का यह अच्छा मौका हो सकता है.
जिन इनवेस्टर्स के चुने हुए शेयरों या इक्विटी फंड का परफॉर्मेंस लगातार उम्मीद के मुताबिक नहीं चल रहा है, वे भी अपने पोर्टफोलियो को एडजस्ट करने के लिए तेजी के इस माहौल का फायदा उठा सकते हैं.
मार्केट में तेजी के कारण जिन निवेशकों के पोर्टफोलियो में इक्विटी का हिस्सा काफी अधिक हो गया है, वे अपने एसेट एलोकेशन को बैलेंस करने के लिए कुछ मुनाफावसूली करके उस पैसे को अपनी निवेश रणनीति के मुताबिक दूसरे एसेट्स में डाल सकते हैं.
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सबके लिए सही नहीं है मुनाफा वसूली
तेजी के बावजूद मुनाफा वसूली का ऑप्शन सभी निवेशकों के लिए सही नहीं कहा जा सकता.
- ऐसे सभी इन्वेस्टर्स को मार्केट में बने रहना चाहिए, जो प्रॉफिट बुकिंग के ऊपर बताए गए कारणों के दायरे में नहीं आते हैं.
- जिन शॉर्ट टर्म इन्वेस्टर्स ने एक-दो साल पहले SIP के जरिये रेगुलर इन्वेस्टमेंट शुरू किया है, उन्हें अपनी इनवेस्टमेंट जर्नी पर टिके रहना चाहिए.
- जिन निवेशकों का इनवेस्टमेंट का टारगेट अब तक पूरा नहीं हुआ है और अगले कुछ वर्षों में पूरा होने के आसार हैं, उनके लिए भी बाजार में बने रहना बेहतर ऑप्शन है.
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सेंटीमेंट में आकर न करें निवेश के फैसले
सबसे बड़ी बात ये है कि अगर आप इक्विटी में इनवेस्ट करते हैं, तो आपको अपने निवेश से जुड़े फैसले अपने टारगेट को ध्यान में रखकर करने चाहिए. निफ्टी, सेसेंक्स या किसी और प्रमुख इंडेक्स का नई-नई ऊंचाइयों को छूना सेंटिमेंट्स के लिहाज से भले ही काफी रोमांचित करने वाली बात हो, लेकिन आपके फाइनेंशियल फैसले सही तथ्यों, तर्कों और रणनीति पर आधारित होने चाहिए, सिर्फ भावनाओं पर आधारित नहीं.