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Tech IPO : कंपनी आईपीओ के जरिए 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) जुटाने का विचार कर रही है. (FE File Image)
PhonePe IPO News : वालमार्ट के स्वामित्व वाली डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे ( PhonePe ) का आईपीओ जल्द बाजार में आ सकता है. इसके लिए फोनपे ने सेबी के पास ड्रॉफ्ट पेपर दाखिल किया है. कंपनी आईपीओ के जरिए 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) जुटाने का विचार कर रही है. इससे फोनपे की वैल्यू लगभग 15 बिलियन डॉलर हो सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार कंपनी इस आईपीओ में ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये रकम जुटाएगी और इसमें प्रवर्तक वॉलमार्ट भी अपने शेयर बेचेगी. ट्रैक्सन के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी के अन्य निवेशकों में टाइगर ग्लोबल, माइक्रोसॉफ्ट, जनरल अटलांटिक, रिबिट कैपिटल, टीवीएस कैपिटल, टेन्सेंट, कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी शामिल हैं.
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कंपनी ने बताया कि उसने सेबी, बीएसई और एनएसई के पास आईपीओ के लिए जरूरी पेपर जमा कर दिए हैं. सेबी के नियमों के अनुसार यह प्रक्रिया की गई है. कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल कोई भी कंपनी अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) की डिटेल को जनता के सामने गोपनीय रखने के लिए करती है. हालांकि कंपनी का कहना है कि प्री-फाइल्ड DRHP दाखिल करने से कंपनी पर IPO लॉन्च करने की बाध्यता नहीं है.
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कैसा है कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन?
कंपनी का फ्री कैश फ्लो पॉजिटिव हो गया और फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में ऑपरेशन से हासिल होने वाला कैश 1,202 करोड़ रुपये रहा. फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में कंपनी का घाटा 13.4% घटकर 1,727.4 करोड़ रुपये हो गया. फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में यह घाटा 1,996.1 करोड़ रुपये था. कंपनी की कमाई में बढ़ोतरी हुई है, जिससे घाटा कम करने में मदद मिली. कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 40.4% बढ़कर 7,114.8 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले साल 5,064.1 करोड़ रुपये था.
कंपनी का खर्च भी बढ़ा है. यह सालाना बेसिस पर 21.1% बढ़कर 9,394 करोड़ रुपये हो गया. खर्च बढ़ने के प्रमुख कारणों में पेमेंट प्रोसेसिंग चार्ज और कर्मचारियों की लागत में बढ़ोतरी है. पेमेंट सेटलमेंट फीस 44.7% बढ़कर 1,688.1 करोड़ रुपये हो गई, जबकि कर्मचारियों के फायदे पर होने वाला खर्च 13.6% बढ़ा है.
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65 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड ग्राहक
फोनपे और गूगल पे भारत के यूपीआई सिस्टम में 2 टॉप कंपनियां हैं. फोनपे के पास 65 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड ग्राहक और 4.5 करोड़ से ज्यादा व्यापारी हैं. वॉलमार्ट ने 2018 में भारतीय ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट में नियंत्रक हिस्सेदारी खरीदी थी जिससे उसे फोनपे का स्वामित्व मिल गया था. अक्टूबर 2022 में फोनपे ने अपना मुख्यालय सिंगापुर से भारत स्थानांतरित कर लिया था. फोनपे 2022 में फ्लिपकार्ट से पूरी तरह अलग हो गई और वॉलमार्ट की इस डिजिटल पेमेंट कंपनी में बहुलांश हिस्सेदार बनी रही.