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IPO Tips : आईपीओ में बार बार लगाता हूं पैसा, लेकिन नहीं मिलते शेयर, क्‍या करना चाहिए

IPO tips for investors : आईपीओ में हर कैटेगरी के निवेशकों के लिए तय हिस्‍सा रिजर्व होता है. रिटेल के लिए आमतौर पर 10 से 35% हिस्‍सा रिजर्व होता है. जबकि उस हिस्‍से में जितने शेयर रिजर्व होते हैं, उसके कई गुना के लिए बोली मिलती है.

IPO tips for investors : आईपीओ में हर कैटेगरी के निवेशकों के लिए तय हिस्‍सा रिजर्व होता है. रिटेल के लिए आमतौर पर 10 से 35% हिस्‍सा रिजर्व होता है. जबकि उस हिस्‍से में जितने शेयर रिजर्व होते हैं, उसके कई गुना के लिए बोली मिलती है.

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FE Hindi Desk
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IPO allotment success tips : निवेशकों को अधिक सब्सक्राइब होने वाले आईपीओ को कई खातों के जरिए आवेदन करना चाहिए. (AI Image)

IPO application tips India : इन दिनों प्राइमरी मार्केट में अच्‍छा खासा एक्‍शन देखने को मिल रहा है. एक के बाद एक कंपनियां बाजार में लिस्‍ट होने के लिए अपना आईपीओ ला रही हैं. कुछ हफ्ते तो ऐसे बीत रहे हैं, जब एक साथ 8 से 10 मेनबोर्ड आईपीओ खुल रहे हैं. यहां तक कि एक ही दिन में 3 से 4 मेनबोर्ड आईपीओ लॉन्‍च हो रहे हैं. जाहिर है कि निवेशकों का उत्‍साह देखते हुए ही कंपनियां अपनी आईपीओ योजना को आगे बढ़ा रही हैं. 

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लेकिन आईपीओ में हर कैटेगरी के निवेशकों के लिए तय हिस्‍सा रिजर्व होता है. रिटेल निवेशकों के लिए आमतौर पर 10 से 35 फीसदी हिस्‍सा रिजर्व किया जाता है. जबकि उस हिस्‍से में जितने शेयर रिजर्व होते हैं, उसके कई गुना के लिए बोली मिलती है. ऐसे में जरूरी नहीं है कि हर आवेदन करने वाले निवेशक को शेयर अलॉटमेंट मिल जाए. इस खबर में हम आपको कुछ तरीके बताएंगे जिनको ध्यान में रखकर आप IPO के लिए बोली लगा सकते हैं. इससे अलॉटमेंट के चांस बढ़ जाएंगे. 

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शेयर अलॉटमेंट के लिए जरूरी टिप्‍स 

पैरेंट या होल्डिंग कंपनी में खरीदें शेयर : यह तरीका सभी आईपीओ में नहीं कारगर है. यह सिर्फ उन्हीं आईपीओ के लिए कारगर जहां आईपीओ लाने वाली कंपनी की पैरंट कंपनी पहले से ही मार्केट में लिस्टेड है. डीमैट खाते में पैरंट कंपनी का एक भी शेयर होने पर निवेशक शेयरहोल्डर कैटेगरी के तहत आवेदन करने के योग्य हो जाता है और फिर उसके शेयरों के अलॉटमेंट होने की संभावना बढ़ जाती है. 

अपर प्राइस बैंड पर करें आवेदन : किसी कंपनी के आईपीओ के लिए जो प्राइस बैंड तय किया है, उसके अपर प्राइस पर बिड लगाएं. इससे अलॉटमेंट होने की संभावना बढ़ती है.

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बड़े एप्लीकेशन पर अधिक बिड से बचें : सेबी की अलॉटमेंट प्रॉसेस ऐसी है जिसमें 2 लाख रुपये से कम के सभी रिटेल एप्लीकेशंस को एक समान समझा जाता है. ऐसे में जिन आईपीओ के ओवरसब्सक्राइब होने की संभावना बहुत अधिक है, उसमें निवेशकों को बड़े बिड लगाने की बजाय कई खातों के जरिए न्यूनतम बिड लगाना चाहिए. इससे बचे हुए पैसों को अन्य आईपीओ में भी निवेश का मौका पा सकते हैं.

कई अकाउंट से करें आवेदन : किसी आईपीओ के लिए मैक्सिमम बिड एक ही खाते से न लगाएं. निवेशकों को अधिक सब्सक्राइब होने वाले आईपीओ को कई खातों के जरिए आवेदन करना चाहिए. इससे शेयरों के अलॉटमेंट होने की संभावना बढ़ जाती है.

अंतिम दिन का न करें इंतजार : आईपीओ को सब्सक्राइब करने के लिए निवेशकों के पास कुछ दिनों का समय होता है. कुछ निवेशक आईपीओ को आखिरी दिन सब्सक्राइब करने की कोशिश करते हैं, जिससे बचा जाना चाहिए. अंतिम समय में बोली लगाने से हो सकता है कि एचएनआई और क्यूआईबी के हाई सब्सक्रिप्शन के चलते बैंक खाता रिस्पांड न करे या अन्य किसी तकनीकी समस्या के चलते बिड न प्लेस हो सके. ऐसे में आईपीओ को सब्सक्राइब करने का फैसला किया है तो इश्‍यू खुलने के बाद अंतिम समय का इंतजार न करें.

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बैंक खाते के जरिए बिड प्लेस करें : आईपीओ के लिए अपने ब्रोकरेज फर्म के प्लेटफॉर्म के जरिए बोली लगा सकते हैं. इसके अलावा बैंक भी यह सुविधा देते हैं. आईपीओ के लिए निवेशक बैंक के जरिए एएसबीए (एप्लीकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट) से बोली लगा सकते हैं. एएसबीए से बोली लगाने पर तकनीकी कारणों से एप्लाकेशन खारिज होने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है.

तकनीकी गलतियों से बचें : IPO आवेदक को गलत जानकारियों से बचना चाहिए. छोटी सी चूक आपके आवेदन को रिजेक्ट होने का कारण हो सकती है. इसीलिए आवेदक को सही पैन कार्ड का चुनाव करना चाहिए साथ ही बैंक अकाउंट में पर्याप्त पैसे भी रखने चाहिए.

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