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Stock Market Crash : सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत तेज गिरावट के साथ हुई. (Image : Pixabay)
Share Market Crash : Main Reasons : भारतीय शेयर बाजार में सोमवार के दिन की शुरुआत बड़ी गिरावट के साथ हुई. सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 750 अंक से ज्यादा टूटकर 74,550 के नीचे चला गया, जबकि निफ्टी 225 अंक की गिरावट के साथ 22,570 पर आ गया. यह लगातार पांचवां ट्रेडिंग सेशन है, जब बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है. FII की लगातार बिकवाली के अलावा अमेरिकी बाजारों की कमजोरी, टैरिफ वॉर और कंज्यूमर डिमांड से जुड़ी चिंताएं इस भारी गिरावट की वजहों में शामिल हैं.
आज कौन गिरा, कौन संभला
सोमवार की इस गिरावट के दौरान फिलहाल सभी सेक्टर्स में बिकवाली देखी जा रही है. निफ्टी आईटी (Nifty IT), फाइनेंशियल सर्विसेज (Financial Services), मेटल (Metal), मीडिया (Media), रियल्टी (Realty) और पीएसयू बैंक इंडेक्स (PSU Bank Index) में 1% से ज्यादा की गिरावट आई. सबसे ज्यादा गिरावट टेक्नोलॉजी और बैंकिंग सेक्टर में देखने को मिल रही है. फिलहाल बाजार में गिरावट वाले स्टॉक्स (Losers) हैं : ज़ोमैटो (Zomato), एचसीएल टेक (HCL Tech), टेक महिंद्रा (Tech Mahindra), TCS, इंफोसिस (Infosys) और इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank). वहीं इस गिरावट के बीच भी कुछ स्टॉक्स मामूली तेजी दिखा रहे हैं, ये स्टॉक्स (Gainers) हैं : सन फार्मा (Sun Pharma), मारुति सुज़ुकी (Maruti Suzuki), एम एंड एम (M&M), बजाज फिनसर्व (Bajaj Finserve) और नेस्ले इंडिया (Nestle India).
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली भारतीय बाजार में गिरावट की बड़ी वजह बनी हुई है. 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 1.01 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम निकाली है. इससे बाजार में निगेटिव सेंटिमेंट बना है और निवेशक रिस्क लेने से बच रहे हैं.
कंज्यूमर सेंटिमेंट और टैरिफ का डर
अमेरिका में कंज्यूमर सेंटिमेंट फरवरी में 15 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के अनुसार, कंज्यूमर सेंटिमेंट इंडेक्स जनवरी के 71.7 से गिरकर 64.7 पर आ गया. यह गिरावट उम्मीद से कहीं अधिक थी और इसने बाजार में मंदी की आशंका को बढ़ा दिया. इसके अलावा, अमेरिका में संभावित टैरिफ बढ़ोतरी की खबरें भी बाजार पर दबाव बना रही हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, व्हाइट हाउस मैक्सिको पर दबाव बना रहा है कि वह चीन से इंपोर्ट की जाने वाली चीजों पर टैरिफ बढ़ाए. इस माहौल का भारतीय बाजारों पर भी असर पड़ रहा है.
कोर इंफ्लेशन डेटा से पहले सतर्कता
इस हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) का कोर इंफ्लेशन डेटा भी जारी होने वाला है. हालांकि आम तौर पर ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कोर इंफ्लेशन 2.8% से घटकर 2.6% पर आ सकता है, लेकिन टैरिफ पॉलिसी को लेकर जारी उथल-पुथल की वजह से बाजार में टेंशन बना हुआ है.
स्टैगफ्लेशन को लेकर बढ़ती चिंताएं
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में स्टैगफ्लेशन (Stagflation) यानी धीमी इकनॉमिक ग्रोथ के साथ बढ़ती महंगाई की आशंकाएं बढ़ रही हैं. जब किसी अर्थव्यवस्था में विकास दर धीमी हो जाती है लेकिन महंगाई बनी रहती है, तो इसे ही स्टैगफ्लेशन कहते हैं. ऐसे हालात निवेशकों के लिए रिस्क की बड़ी वजह बन सकते हैं. खास तौर पर भारत की आईटी कंपनियों पर इसका ज्यादा असर पड़ सकता है, क्योंकि उनकी रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजारों से आता है. यही वजह है कि सोमवार को शुरुआती कारोबार में निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.8% तक गिर गया.