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Stock Market : अपने पीक से 45 से 46 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहे इन 2 स्मॉलकैप स्टॉक में मल्टीबैगर बनने की क्षमता है. (Pixabay)
Stock Insights, Smallcap Stocks to watch : जहां एक सामान्य निवेशक अखबारों, टीवी चैनलों और सुनी-सुनाई बातों में अगली बड़ी संभावना ढूंढता रहता है, उसे केवल बड़ी और जानी-मानी कंपनियों के नाम मिलते हैं. ऐसे नाम जो किसी के लिए भी नई बात नहीं होते. लेकिन समझदार लोग उन कंपनियों की तलाश में रहते हैं, जिनके नाम कम सुनाई देते हैं, लेकिन जो धीरे-धीरे अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं.
यहां 2 ऐसे छोटे शेयरों के बारे में बताया गया है जो कई मायनों में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. ये दोनों कंपनियां अपनी पूंजी पर अच्छा मुनाफा (Return on Capital) कमा रही हैं और फिलहाल ऐसी कीमतों पर बिक रही हैं, जो सस्ती मानी जा सकती हैं. सबसे खास बात यह है कि ये अपने अब तक के आलटाइम हाई से 45%-46% से ज्यादा की छूट पर ट्रेड कर रही हैं.
Arrow Greentech
1982 में स्थापित, एरो ग्रीनटेक लिमिटेड बायोडिग्रेडेबल (ग्रीन) प्रोडक्ट्स, हाई-टेक प्रोडक्ट्स के निर्माण और उन पर पेटेंट से आय कमाने के बिजनेस में है. 905 करोड़ रुपये की मार्केट कैप के साथ, यह कंपनी भारत में सबसे बड़ी वाटर-सॉल्यूबल फिल्म्स निर्माता है. यह कई प्रकार की वाटर-सॉल्यूबल फिल्म्स का विकास, उत्पादन और मार्केटिंग करती है, जिनमें माउथ डिजॉल्विंग स्ट्रिप्स भी शामिल हैं.
कंपनी ने पूंजी पर जबरदस्त दक्षता दिखाई है. इसका ROCE वर्तमान में 54% है, जबकि इंडस्ट्री का औसत सिर्फ 12% है. इसका मतलब है कि एरो ग्रीनटेक हर 100 रुपये की पूंजी पर 54 रुपये का मुनाफा कमाती है, जबकि औसतन यह आंकड़ा इंडस्ट्री के लिए 12 रुपये ही है. पिछले 10 साल में कंपनी का ROCE 19% रहा है, जो इसी अवधि में इंडस्ट्री के औसत 13% से अधिक है.
कंपनी के फाइनेंशियल्स
कंपनी की सेल्स 22 करोड़ रुपये (FY20) से बढ़कर 243 करोड़ रुपये (FY25) हो गई है, जो पिछले 5 साल में 62% की एनुअल ग्रोथ रेट दिखाती है. कंपनी का EBITDA FY20 में 7 करोड़ रुपये निगेटिव था, लेकिन FY25 में यह बढ़कर 88 करोड़ रुपये हो गया है.
नेट प्रॉफिट्स की बात करें तो कंपनी ने FY20 में 10 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था. हालांकि, FY25 में कंपनी ने 63 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. ये सुधार कंपनी के शेयर प्राइस में भी दिखा. जून 2020 में एरो ग्रीनटेक का शेयर प्राइस 48 रुपये था और पिछले 5 साल में यह बढ़कर 16 जून 2025 तक 600 रुपये हो गया. यह 1,150% की उछाल है. इसके बावजूद, मौजूदा स्तर पर भी यह शेयर अपने आल टाइम हाई 1,099 रुपये से 45% की छूट पर ट्रेड कर रहा है.
वैल्यूएशन
कंपनी का मौजूदा PE सिर्फ 14x है, जबकि इंडस्ट्री का एवरेज 22x है. हालांकि, पिछले 10 साल में एरो ग्रीनटेक का औसत PE 23x रहा है, जो इसी अवधि में इंडस्ट्री के औसत 21x से थोड़ा अधिक है.
लेटेस्ट प्रेजेंटेशन (फरवरी 2025)
कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिल्पन पटेल ने कहा कि एरो ग्रीनटेक का ध्यान अत्याधुनिक, हाई-टेक प्रोडक्ट्स विकसित करने पर रहेगा. हम दुनियाभर से इको-फ्रेंडली इनोवेशन को अपनाकर अपने भारतीय परिचालनों में इसे शामिल करेंगे. यह भविष्य में हमारे बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन का मार्ग प्रशस्त करेगा. हम ग्रोथ को बढ़ावा देने और अपने स्टेकहोल्डर्स के लिए महत्वपूर्ण मूल्य प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे.
Ksolves India Ltd
2014 में स्थापित, केसॉल्व्स इंडिया लिमिटेड कंप्यूटर से जुड़ी सेवाओं में काम करता है, जैसे अन्य कंपनियों की वेबसाइट का रखरखाव, मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन बनाना. 812 करोड़ रुपये की मार्केट कैप वाली इस कंपनी के ऑफिस अमेरिका, UAE, नोएडा, इंदौर और पुणे में हैं और यह 30+ देशों में सेवाएं देती है.
कंपनी पूंजी दक्षता के मामले में भी शानदार प्रदर्शन कर रही है. इसका वर्तमान ROCE 172% है. मतलब, कंपनी हर 100 रुपये की पूंजी पर 172 रुपये का मुनाफा कमा रही है, जो इंडस्ट्री के औसत 20% से कहीं अधिक है. पिछले 10 साल का औसत ROCE भी 170% है, जबकि इंडस्ट्री का औसत 22% है.
कंपनी के फाइनेंशियल्स
सेल्स FY20 में 10 करोड़ रुपये से बढ़कर FY25 में 137 करोड़ रुपये हो गई, पिछले 5 साल में 68% की सालाना ग्रोथ है. EBITDA FY20 में 1 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर FY25 में 48 करोड़ रुपये हो गया, यानी 116% की सालाना ग्रोथ रेट. नेट प्रॉफिट FY20 में 1 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर FY25 में 34 करोड़ रुपये हो गया, जो 119% की सालाना ग्रोथ दिखाता है.
शेयर प्राइस में उछाल
जुलाई 2020 में लिस्ट होने पर शेयर की कीमत 7 रुपये थी. 16 जून 2025 तक यह बढ़कर 353 रुपये हो गई, जो 4,942% की उछाल है. अगर 5 साल पहले केसॉल्व्स इंडिया में 1,00,000 रुपये लगाए होते, तो आज वह रकम 50 लाख रुपये से अधिक होती. मौजूदा कीमत 342 रुपये पर, यह शेयर अपने आलटाइम पीक 637 से 46% की छूट पर ट्रेड कर रहा है.
वैल्यूएशन
कंपनी का मौजूदा PE 24x है, जबकि इंडस्ट्री का औसत 30x है. पिछले 10 साल में केसॉल्व्स इंडिया का औसत PE 33x रहा है, जबकि इंडस्ट्री का औसत 23x है.
हालिया खबरें
केसॉल्व्स ने हाल ही में अपनी अब तक की सबसे बड़ी डील की है, जिसमें 600,000 डॉलर का ऑर्डर न्यूयॉर्क स्थित रिसर्च और एनालिटिक्स सर्विसेज कंपनी से मिला है.
कंपनी ने UAE की एक बड़ी कंपनी के साथ Salesforce डील भी पूरी की है, जो रिटेल, लग्जरी ब्रांड्स, ऑटोमोटिव, ब्यूटी और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों में काम करती है.
इसके अलावा, केसॉल्व्स ने ब्रॉडकास्ट और मीडिया टेक्नोलॉजी में एक अरब डॉलर वाली कंपनी के साथ साझेदारी की है और अपना पहला क्लाइंट DFM के लिए हासिल किया है, जो फिर से एक अरब डॉलर की कंपनी है.
बड़े फायदे या बड़े जोखिम?
आज जिन दो कंपनियों पर हमने नजर डाली, उन्होंने पिछले कुछ साल में शानदार वित्तीय प्रदर्शन किया है. एरो ग्रीनटेक एक वापसी की कहानी है, जबकि केसॉल्व्स की रेगुलर और स्टेबल ग्रोथ किसी से कम नहीं है.
दोनों कंपनियों में एक समान बात यह है कि ये पूंजी कुशलता में माहिर हैं और अपनी बिक्री और मुनाफे पर मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. यही कारण है कि पिछले 5 साल में इनके शेयरों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है. और यह न भूलें कि दोनों कंपनियां अब भी 45% से अधिक छूट पर ट्रेड कर रही हैं.
अब, इन शेयरों को खरीदना है या नहीं, यह निर्णय निवेशक को खुद करना होगा. हालांकि, उनके वित्तीय प्रदर्शन और प्रतिष्ठा को देखते हुए, इन्हें कम से कम वॉचलिस्ट में रखना समझदारी होगी. इन पर करीब से नजर बनाए रखें, क्योंकि ये अगली मल्टीबैगर (Multibagger Stocks) कंपनियां बन सकती हैं.
(Note: इस लेख में हमने www.Screener.in और www.trendlyne.com से प्राप्त आंकड़ों पर भरोसा किया है. केवल उन मामलों में, जहां डेटा उपलब्ध नहीं था, हमने किसी अन्य, लेकिन व्यापक रूप से मान्य और स्वीकृत स्रोत का उपयोग किया है.
इस लेख का उद्देश्य केवल रोचक चार्ट, डेटा पॉइंट्स और सोचने पर मजबूर करने वाले विचार साझा करना है. यह किसी प्रकार की सिफारिश नहीं है. अगर आप निवेश पर विचार कर रहे हैं, तो कृपया अपने सलाहकार से परामर्श करें. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है.
सुहेल खान पिछले एक दशक से बाजारों के एक उत्साही अनुयायी रहे हैं. इस दौरान वे मुंबई स्थित एक प्रमुख इक्विटी रिसर्च संगठन में हेड ऑफ सेल्स एंड मार्केटिंग के रूप में जुड़े रहे. वर्तमान में, वे अपना अधिकांश समय भारत के सुपर इन्वेस्टर्स के निवेश और रणनीतियों को समझने में बिता रहे हैं.)
Disclosure: The writer and his dependents do not hold the stocks discussed in this article.
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