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Photograph: (File Photo : Reuters)
Gold Vs Silver: Which investment option best over 5, 10 and 15 years: शेयर बाज़ारों में भले ही बढ़त हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा हो, लेकिन जिस एसेट्स ने बड़ा रिटर्न दिया है, वह सोना है. आश्चर्य की बात नहीं है कि हर जगह चर्चा सोने की ही हो रही है. इस उत्साह में, सोने के करीबी चांदी को ज्यादा प्रचार नहीं मिल रहा है. लेकिन फैक्ट यह है कि 2025 में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एसेट्स क्लास में से एक बनने की दौड़ में चांदी पीछे नहीं रह रही है.
पिछले एक साल में सोने की कीमत में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि चांदी में लगभग 34% की वृद्धि हुई है. फिलहाल सोने और चांदी की कीमतें कैसी हैं? चांदी वर्तमान में 33 डॉलर प्रति औंस के आसपास है जबकि भारत में स्पॉट सिल्वर की कीमत लगभग 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है. आज सोने की कीमत लगभग 3,030 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस है. इस बीच भारत में, स्पॉट गोल्ड की कीमत 88,500 रुपये प्रति 10 ग्राम है.
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इन शानदार रिटर्न्स को देखते हुए जो सवाल बार-बार पूछे जा रहे हैं, वे हैं – सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं की कीमतों में वृद्धि के पीछे क्या कारण है? क्या यह चमत्कारी बढ़ोतरी जारी रहेगी? सबसे पहले आइए जानते हैं कि चांदी की कीमत क्यों बढ़ रही है.
क्या चांदी में और आएगी तेजी?
लगातार पांचवे साल चांदी की मांग सप्लाई से अधिक रही है. 2025 में, दुनियाभर में चांदी की डिमांड 1.20 बिलियन औंस के आसपास स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि इसकी सप्लाई 3 फीसदी बढ़ने की संभावना है, जो 11 साल में सबसे अधिक 1.05 बिलियन औंस तक पहुंच जाएगी. मतलब डिमांड और सप्लाई के बीच एक अंतर है, और यह असंतुलन चांदी की कीमतों में तेजी के लिए जिम्मेदार हो सकती है.
डिमांड कहां से आ रही है?
चांदी की कीमतों के बढ़ने के दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं:
औद्योगिक गतिविधि में वृद्धि: चांदी का इस्तेमाल तमाम सेक्टर की इंडस्टी में बढ़ रहा है, खासकर ग्रीन टेक्नोलॉजीज (जैसे सोलर पैनल्स और इलेक्ट्रिक वाहनों में) में.
चांदी को निवेश विकल्प के रूप में बढ़ती रुचि: लोग चांदी को सुरक्षित और मूल्यवर्धक निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं.
चांदी का बाजार अपेक्षाकृत छोटा है, सालाना लगभग 30 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है. इसलिए, सप्लाई में थोड़ी बदलाव का भी डिमांड और कीमतों पर बड़ा असर डाल सकती है.
ग्रीन टेक्नोलॉजीज से लेकर इंडस्ट्रियल सेक्टर में चांदी की बढ़ती मांग, और सप्लाई में सीमित वृद्धि, चांदी को तेजी से बदलते आर्थिक परिप्रेक्ष्य में एक आकर्षक विकल्प बनाती है. अगर आप यह जानना चाहते हैं कि चांदी की कीमत 2025 और उसके बाद बढ़ेगी या नहीं, तो एक आसान तरीका है कि आप गोल्ड-सिल्वर रेशियो पर ध्यान रखें.
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अगर रेशियो कम होता है और चांदी की कीमत बढ़ने लगती है, तो यह संकेत हो सकता है कि चांदी की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है.
गोल्ड सिल्वर रेशियो क्या है?
गोल्ड-सिल्वर रेशियो सोने और चांदी की कीमतों के बीच संबंध को दर्शाता है, और यह यह बताता है कि एक औंस सोने के बराबर वैल्यू हासिल करने के लिए कितने औंस चांदी की आवश्यकता होती है.
गोल्ड-सिल्वर रेशियो, जो सोने और चांदी की कीमतों की तुलना करने वाला एक मीट्रिक है, 1980 के दशक के अंत से काफी बढ़ चुका है, जब औसतन यह 70:1 हुआ करता था. आजकल, यह रेशियो करीब 91:1 है, क्योंकि सोने की कीमत लगभग 3,030 यूएस डॉलर है और चांदी की कीमत 33 डॉलर के आस-पास है.
इसका मतलब यह है कि चांदी अब भी सस्ती (underpriced) है और इसकी कीमत में वृद्धि का संभावना है. इसका अर्थ यह है कि या तो चांदी की कीमत तेजी से बढ़ेगी, या फिर सोने की कीमत घटेगी या स्थिर रहेगी, ताकि गोल्ड-सिल्वर रेशियो अपने दीर्घकालिक औसत 70:1 के करीब पहुंच सके.
(Source: Sprott Asset Management LP, Bloomberg. Data as of 12/31/2024)
क्या सोना का भाव बढ़ेगा?
सोना हमेशा से एक सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, खासकर जब महंगाई बढ़ रही हो. इससे महंगाई को मात देने और अपने पैसे की कीमत को स्थिर रखने में मदद मिलती है. हाल के सालों में, दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने हर साल रिकॉर्ड 1,000 टन से अधिक सोने की खरीददारी करने लगे हैं. साथ ही, ट्रम्प की टैरिफ नीतियां भौगोलिक क्षेत्रों में आर्थिक अनिश्चितताएं पैदा कर रही हैं. पहले से ही, अमेरिका में मंदी की चर्चा जोरों पर है. तो सवाल है कि आगे क्या होगा ? अगर अनिश्चितता बढ़ती है और आर्थिक विकास कमजोर होता है, तो अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे डॉलर कमजोर होगा और सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
आप अपने लंबे समय के निवेश प्लान में सोना और चांदी दोनों को शामिल कर सकते हैं. यह 5, 10 या 15 साल जैसी लंबी अवधि के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
गोल्ड-सिल्वर रेशियो (gold-silver ratio) का उपयोग इस निर्णय को लेने के लिए किया जा सकता है कि किसी विशेष समय पर सोने या चांदी में से किसमें अधिक निवेश किया जाए.
जैसा कि अतीत में देखा गया है, सोने और चांदी के रिटर्न्स (लाभ) हमेशा सीधी और समान गति से नहीं बढ़ते, लेकिन जब ये दोनों मूल्य में वृद्धि करते हैं, तो वे आपके पोर्टफोलियो में हुए नुकसान को भी कवर कर सकते हैं.
(Disclaimer: Views, recommendations, and opinions expressed are personal and do not reflect the official position or policy of FinancialExpress.com. Readers are advised to consult qualified financial advisors before making any investment decision. Reproducing this content without permission is prohibited.)
(Credit : Sunil Dhawan)