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Stock limits on wheat : केंद्र सरकार ने गेहूं का कारोबार करने वाले ट्रेडर्स, होलसेलर्स, रिटेलर्स और प्रसंस्करण इकाइयों के लिए स्टॉक की लिमिट तय कर दी है. (File Photo : Indian Express)
Modi Govt imposes stock limits on wheat : केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों को बढ़ने से रोकने और जमाखोरी पर लगाम लगाने के मकसद से एक बड़ा कदम उठाने का एलान किया है. सरकार ने गेहूं का कारोबार करने वाले ट्रेडर्स, होलसेलर्स, रिटेलर्स और प्रसंस्करण इकाइयों के लिए स्टॉक की लिमिट तय कर दी है. सरकार की तरफ से सोमवार को घोषित स्टॉक लिमिट्स को तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है. ये पाबंदी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगी.
किसके लिए कितनी है लिमिट
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नए नियमों के तहत, बड़ी रिटेल चेन वाले खुदरा विक्रेताओं की खुदरा दुकानों और व्यक्तिगत स्टोर्स को 10 टन तक गेहूं रखने की अनुमति है. जबकि व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी रिटेल चेन के बड़े डिपो के लिए यह सीमा 3,000 टन रखी गई है. गेहूं की प्रॉसेसिंग करने वाली इकाइयों के लिए यह लिमिट उनकी मासिक स्थापित क्षमता (Monthly Installed Capacity - MIC) के 70 प्रतिशत को वित्त वर्ष 2024-25 के बाकी बचे महीनों से गुणा करने पर आने वाली संख्या के बराबर होगी. यानी बाकी बचे हर महीने के लिए वे अपनी MIC के 70 फीसदी के बराबर ही गेहूं का भंडार जमा कर सकेंगे.
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नई लिमिट के पालन के लिए 30 दिन का समय
सरकार ने सभी संस्थाओं को अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने और इसे नियमित रूप से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर अपडेट करने का आदेश दिया है. निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक रखने वालों को नई लिमिट का पालन करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है. यह निर्णय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया है. पिछले सप्ताह हुई इस बैठक में अधिकारियों को गेहूं की कीमतों पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया था. सरकार ने उस वक्त भी संकेत दिया था कि वो कंज्यूमर्स के लिए कीमतों में स्थिरता लाने के मकसद से कदम उठाने में नहीं हिचकिचाएगी.
पिछले साल के मुकाबले गेहूं और आटे की कीमतें बढ़ीं
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों में 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक की वृद्धि हुई है. 20 जून तक गेहूं का औसत खुदरा मूल्य एक साल पहले के 28.95 रुपये से बढ़कर 30.99 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया. गेहूं के आटे की कीमतें भी पिछले साल के 34.29 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 36.13 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं.
सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद
सरकार का कहना है कि उसके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, जो लगभग 18.4 मिलियन टन है. 18 जून तक सरकार ने 2024-25 रबी मार्केटिंग वर्ष (rabi marketing year) में केंद्रीय पूल के लिए 26.6 मिलियन टन गेहूं खरीदा था, जो पिछले वर्ष में खरीदे गए 26.2 मिलियन टन से थोड़ा अधिक है. स्टॉक लिमिट तय करने के फैसले जमाखोरी रोकने के साथ-साथ आने वाले महीनों में गेहूं की कीमतों में तेजी की आशंका को पहले से रोकने वाले कदम के तौर पर देखा जा रहा है.