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Quant Mutual Fund Case: क्वांट म्यूचुअल फंड पर फ्रंट-रनिंग के आरोपों का क्या है मतलब? क्या आपको भी हो सकता है नुकसान

SEBI Action in Quant Mutual Fund Case: क्वांट म्यूचुअल फंड पर फ्रंट-रनिंग के आरोप लगने के बाद सेबी की कार्रवाई ने लाखों निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. क्या है ये पूरा मामला और क्या आपको वाकई परेशान होना चाहिए?

SEBI Action in Quant Mutual Fund Case: क्वांट म्यूचुअल फंड पर फ्रंट-रनिंग के आरोप लगने के बाद सेबी की कार्रवाई ने लाखों निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. क्या है ये पूरा मामला और क्या आपको वाकई परेशान होना चाहिए?

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Viplav Rahi
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SEBI Action in Quant MF case: क्वांट म्यूचुअल फंड पर लगे फ्रंट-रनिंग आरोपों और इस मामले में सेबी की तरफ से हो रही कार्रवाई ने लाखों निवेशकों को चिंतित कर दिया है. (File Photo : Reuters)

SEBI Action in Quant Mutual Fund front-running case: क्वांट म्यूचुअल फंड पर लगे फ्रंट-रनिंग आरोपों और इस मामले में सेबी की तरफ से हो रही कार्रवाई ने लाखों निवेशकों को चिंतित कर दिया है. इस एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से जुड़े लोगों पर गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप लगा है. जिसके बाद कंपनी से जुड़ी कई जगहों पर छापेमारी की जा रही है. लेकिन यह सवाल अब भी निवेशकों के मन में उठ रहे हैं कि आखिर क्वांट म्यूचुअल फंड के खिलाफ फ्रंट रनिंग का जो आरोप लगाया जा रहा है, उसका मतलब क्या है? और आम निवेशकों को इन आरोपों की वजह से क्या नुकसान हो सकता है? क्वांट म्यूचुअल फंड देश के सबसे तेजी से बढ़ने वाली म्यूचुअल फंड कंपनियों में शामिल है, जिसका मौजूदा एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) करीब 93,000 करोड़ रुपये बताया जाता है.

फ्रंट-रनिंग का मतलब क्या है?

जब किसी म्यूचुअल फंड से जुड़ा कोई व्यक्ति, मसलन, कोई फंड मैनेजर, उसका स्टाफ, डीलर या ब्रोकर, किसी गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल करके गलत ढंग से निजी तौर पर मुनाफा कमाने लगता है, तो इसे फ्रंट-रनिंग (Front-running) कहते हैं.  उदाहरण के लिए, अगर कोई ब्रोकर या डीलर जानता है कि कोई बड़ा क्लाइंट किसी कंपनी के शेयर बड़ी संख्या में खरीदने जा रहा है, जिसकी वजह से उस शेयर का भाव बढ़ने वाला है और ऐसे में वह इस जानकारी का इस्तेमाल करके पहले से ही उस शेयर में निजी तौर पर खरीदारी करके मुनाफा बनाता है, तो यह फ्रंट-रनिंग का मामला है. ऐसा करना न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि सेबी के नियमों के तहत इस पर पाबंदी भी लगी हुई है.

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क्वांट म्यूचुअल फंड पर क्या है आरोप?  

सेबी को संदेह है कि क्वांट म्यूचुअल फंड से जुड़े लोगों ने ऊपर बताए गए फ्रंट रनिंग के तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके गलत ढंग से मुनाफा कमाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा शक है कि क्वांट से जुड़े ऐसे लोग जो फंड हाउस की तरफ से दिए जाने वाले शेयरों की खरीद के बड़े ऑर्डर्स और उनके एग्जीक्यूशन की टाइमिंग को जानते थे, आने वाले ट्रेड ऑर्डर की गोपनीय जानकारी कुछ ऐसे लोगों को दे रहे थे, जो इनकी मदद से मोटा मुनाफा कमा रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में क्वांट के डीलर्स या उससे जुड़ी उन ब्रोकिंग फर्म्स का हाथ होने का भी संदेह है. जिनके माध्यम से एएमसी अपने ऑर्डर देती है. हालांकि क्वांट एएमसी ने इस मामले के सामने आने के बाद जारी बयान में कहा है कि वो सेबी की जांच में पूरा सहयोग कर रही है और तमाम जरूरी जानकारी और आंकड़े उपलब्ध कराती रहेगी. सेबी ने इस मामले में क्वांट के मुंबई मुख्यालय और संदिग्ध लाभार्थियों के हैदराबाद परिसरों पर छापेमारी करते हुए कई मोबाइल फोन, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल डिवाइस जब्त भी किए हैं.

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क्या यह फ्रंट-रनिंग का पहला मामला है?

नहीं. म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. मिसाल के तौर पर अप्रैल 2024 में आदित्य बिड़ला म्यूचुअल फंड के ट्रेड्स की फ्रंट रनिंग करने के मामले में सेबी ने मैक्सग्रो फिनट्रेड और उसके डायरेक्टर भाविन पंकज दोशी, नीतेश कुमार जैन और आतिश शाह पर जुर्माना लगाया था. मिसाल के तौर पर अप्रैल 2024 में आदित्य बिड़ला म्यूचुअल फंड के ट्रेड्स की फ्रंट रनिंग करने के मामले में सेबी ने 4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. उससे पहले मार्च 2023 में एक्सिस म्यूचुअल फंड के ट्रेड्स की फ्रंट रनिंग के मामले में कई लोगों पर कार्रवाई की गई थी और गलत ढंग से कमाया गया 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा जब्त किया गया था. उसके पहले ड्यूश म्यूचुअल फंड से जुड़े एक मामले को दिसंबर 2021 में और एचडीएफसी एएमसी से जुड़े आरोपों को सितंबर 2019 में पेनाल्टी का पेमेंट करके निपटाया गया था. 

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क्वांट म्यूचुअल फंड निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा?

अगर सेबी को फ्रंट रनिंग के सबूत मिल गए, तो फंड हाउस को रिडेम्पशन के दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसकी एनएवी में गिरावट आ सकती है. ऐसे स्मॉलकैप स्टॉक्स जिनमें क्वांट एमएफ की बड़ी हिस्सेदारी थी, वे भी बिक्री के दबाव में आ सकते हैं. जानकारों का मानना है कि क्वांट के पास मौजूद मिड-कैप और स्मॉलकैप स्टॉक में बिकवाली हो सकती है. आने वाले दिनों में इस फंड हाउस के प्रदर्शन में कुछ गिरावट भी आ सकती है. लेकिन फंड हाउस के स्टॉक सेलेक्शन ऐसे हैं कि रिडेम्प्शन के लिहाज से लिक्विडिटी की दिक्कत आने की आशंका नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी के फंड्स में बड़ी कंपनियों के स्टॉक्स अच्छी तादाद मौजूद हैं. मिसाल के तौर पर क्वांट के स्मॉलकैप और मिडकैप फंड का भी लगभग दस फीसदी निवेश रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) में लगा है. सेबी का मकसद भी म्यूचुअल फंड्स में लगे निवेशकों के पैसों को सुरक्षित रखना ही होता है. लिहाजा, मार्केट रेगुलेटर ऐसे मामलों में संदिग्ध गतिविधियों में लगे लोगों और फर्म्स को भले ही दंडित कर दे, लेकिन निवेशकों का पैसा आमतौर पर सुरक्षित रहता है.

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