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Budget 2024 expectations: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को देश का अगला बजट पेश करेंगी. यह मौजूदा सरकार के कार्यकाल का आखिरी बजट होगा. (Photo : PTI)
Budget 2024 expectations: 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से देश के तमाम कारोबारियों और उद्योगपतियों के साथ ही साथ आम करदाताओं ने भी काफी उम्मीदें लगा रखी हैं. खासतौर पर वेतनभोगी कर्मचारी तो हर साल बजट से कुछ न कुछ राहत मिलने की आस लगाए रहते हैं. चुनावी साल ने इस बार तो इन उम्मीदों को और पंख लगा दिए हैं. लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) क्या ऐसे इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स (individual taxpayers) के लिए वाकई कुछ करेंगी? इस सवाल का जवाब उनके बजट भाषण में ही मिलेगा. तब तक एक नजर डाल लेते हैं, उन अहम मांगों पर, जो व्यक्तिगत करदाताओं की विशलिस्ट (Budget 2024 expectations) में सबसे ऊपर हैं:
1. स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाई जाए
स्टैंडर्ड डिडक्शन को आखिरी बार 2019 में रिवाइज किया गया था. 2019 से लेकर अब तक भारत में औसत महंगाई दर 3.73 फीसदी से बढ़कर 5.51 फीसदी हो चुकी है. इस बढ़ती महंगाई और वेतनभोगी कर्मचारियों के बढ़ते कॉस्ट ऑफ लिविंग को देखते हुए 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन काफी कम है. अब समय आ गया है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये प्रति वर्ष किया जाए. महंगाई के अलावा कोविड महामारी और बिजनेस इनकम वालों के साथ समानता लाने के लिए भी इसमें इजाफा जरूरी हो गया है.
2. नई रिजीम में भी मिले NPS में निवेश पर टैक्स छूट
NPS में सालाना 50 हजार रुपये तक के निवेश पर मिलने वाली टैक्स की छूट अभी नई टैक्स रिजीम में शामिल नहीं है. इसे नई टैक्स रिजीम में भी जोड़ा जाना चाहिए. भारत में सीनियर सिटिजन्स की तेजी से बढ़ती तादाद को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही सरकार को टैक्स छूट के लिए एनपीएस में किए जाने वाले निवेश की सालाना लिमिट बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए.
3. घर खरीदने वालों पर टैक्स का बोझ घटे
पिछले सालों में घरों की कीमतों और ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर मिलने वाली डिडक्शन की लिमिट को सालाना 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये किया जाना चाहिए. यह लिमिट 2014 के बाद से बढ़ाई नहीं गई है, जबकि इन 10 बरसो में महंगाई और ब्याज दरों ने रुपये की वैल्यू काफी कम कर दी है. किराए पर दिए गए घर पर लॉस ऑन प्रॉपर्टी क्लेम करने वालों के लिए 2 लाख रुपये की सीमा भी पहले की तरह हटाई जानी चाहिए. इससे न सिर्फ टैक्सपेयर्स की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी, बल्कि प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा और आर्थिक विकास तेज होगा.
4. घर खरीदारों के लिए TDS के नियम आसान हों
सरकार को किसी NRI मकान मालिक से घर खरीदने वालों के लिए लागू होने वाले TDS से जुड़े नियमों को आसान बनाना चाहिए. ऐसे मामलों में टीडीएस कंप्लायंस की प्रॉसेस वैसी ही होनी चाहिए, जैसी गैर-एनआरआई मकान मालिक से घर खरीदते समय होती है. यानी NRI से घर खरीदते समय TAN हासिल करने की जरूरत खत्म की जानी चाहिए.
5. कैपिटल गेन्स टैक्स के ढांचे को आसान बनाया जाए
सरकार को टैक्स के लिहाज से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के दायरे में शामिल किए जाने के लिए सभी भारतीय एसेट्स, मसलन शेयरों और म्यूचुअल फंड यूनिट्स पर एक जैसा होल्डिंग पीरियड लागू करना चाहिए. फिर चाहे वो लिस्टेड/अनलिस्टेड इक्विटी हो या फिर नॉन इक्विटी एसेट्स. सभी फाइनेंशियल एसेट्स के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर 10 फीसदी और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर 15 फीसदी होनी चाहिए. इसमें लिस्टेड और अनलिस्टेड इक्विटी/ प्रिफरेंशियल शेयर, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स, REIT, Invit की यूनिट्स समेत सभी फाइनेंशियल एसेट्स को शामिल किया जाना चाहिए. लॉन्ट टर्म कैपिटल लॉस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स से एडजस्ट करने की छूट दी जाए. साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट के मामले में भी नियमों को और आसान बनाया जाए.
2019 के चुनाव पूर्व बजट में मिली थी राहत
आम करदाता चुनावी साल में पेश होने जा रहे इस बजट से इसलिए भी काफी उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि मोदी सरकार ने 2019 में पेश अपने पिछले चुनाव पूर्व अंतरिम बजट में टैक्स पेयर्स को कई बड़े तोहफे दिए थे. इनमें 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स रिबेट के जरिए टैक्स फ्री करने से लेकर वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करना शामिल है. यही वजह है कि अंतरिम बजट में कोई बड़ा एलान करने के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिछले बयान के बावजूद टैक्सपेयर किसी चुनावी तोहफे की उम्मीद कर रहे हैं.