/financial-express-hindi/media/media_files/tuWoaXjQP4UlSK7nyjdC.jpg)
Budget 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को पेश अंतरिम बजट में विनिवेश के मोर्चे पर अब तक की उपलब्धियों के साथ ही साथ अगले वित्त वर्ष के लक्ष्य का ब्योरा भी देश के सामने रखेंगी. (PTI Photo)
Disinvestment Target in Budget 2024: केंद्र सरकार की आमदनी और खर्च का लेखाजोखा अंतरिम बजट की शक्ल में जल्द ही पेश होने वाला है. केंद्रीय बजट (Union Budget 2024) के जिन आंकड़ों पर देश-दुनिया के एक्सपर्ट और वित्तीय संस्थानों की नजर रहती है, उनमें विनिवेश यानी सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचना काफी महत्वपूर्ण है. अंग्रेजी में इसे डिसइनवेस्टमेंट (Disinvestment) या नई शब्दावली में डाइवेस्टमेंट (Divestment) भी कहते हैं. भारत में आर्थिक उदारीकरण के शुरुआती दौर से ही सरकारी वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) में विनिवेश को काफी अहमियत दी जाती है. यही वजह है कि सरकारें हर बजट में अपने विनिवेश लक्ष्य का एलान भी करती हैं. लेकिन पिछले कई बरसों के दौरान भारत सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने में अक्सर नाकाम रही है.
विनिवेश के लक्ष्य से काफी पीछे है सरकार
मौजूदा वित्त वर्ष (FY24) का हाल तो यह है कि सरकार अपने घोषित लक्ष्य का महज 20 फीसदी ही हासिल करती नजर आ रही है. 1 फरवरी 2023 को पेश पिछले बजट में मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 51,000 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था. लेकिन डिपार्टमेंट फॉर इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के आंकड़ों के मुताबिक अब तक केंद्र सरकार सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर सिर्फ 10,051.7 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है. यानी इस साल अब तक सरकार अपना महज 20 फीसदी टारगेट ही पूरा कर पाई है. दरअसल, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सरकार ने आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के विनिवेश का प्लान बनाया था, जो फिलहाल खटाई में पड़ा दिख रहा है. इसी तरह बीपीसीएल (BPCL) और पवन हंस (Pawan Hans) के विनिवेश की कोशिशें भी अब तक सफल नहीं हुई हैं. इसी शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) और कॉनकॉर (CONCOR) की हिस्सेदारी बेचने की कोशिशें भी फिलहाल किसी लक्ष्य तक पहुंचती नहीं दिख रही हैं. ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि इनके विनिवेश की प्रक्रिया को शायद अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया गया है.
लोकसभा चुनाव के कारण रुकावट
लोकसभा चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, जिसके चलते आने वाले कुछ समय में आदर्श चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जाएगी. लिहाजा, इस वित्त वर्ष के बचे हुए दिनों में इस आंकड़े में कोई बड़ा इजाफा होने के आसार नहीं हैं. केयरएज (CareEdge) ने अपनी एक हाल की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विनिवेश की कुल राशि करीब 15 हजार करोड़ रुपये रहने की उम्मीद जाहिर की है. यह रकम भी पूर्व घोषित लक्ष्य के करीब 29 फीसदी के ही बराबर है. यही वजह है कि पूर्व वित्त सचिव ने भी हाल ही में आई एक प्रतिक्रिया में विनिवेश के मोर्चे पर मौजूदा प्रदर्शन को काफी निराशाजनक बताया है.
Also read : Budget 2024 : बजट में कैसा रहेगा सब्सिडी का हाल? क्या बताते हैं मोदी राज के आंकड़े?
बार-बार अधूरा रह जाता है विनिवेश का टारगेट
दरअसल, मोदी सरकार इसके पहले भी कई वर्षों से अपना विनिवेश का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है. वित्त वर्ष 2022-23 में विनिवेश का लक्ष्य पहले 65 हजार करोड़ रुपये था, जिसे घटाकर 50 हजार करोड़ रुपये किया गया, लेकिन हासिल हो सका सिर्फ 35,293.52 करोड़ रुपये. उसके पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2021-22 में भी ऐसा ही हुआ था. उस साल सरकार ने पहले 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया था, जिसे बाद में घटाकर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया था. लेकिन सरकार उस साल विनिवेश के जरिये महज 13,531 करोड़ रुपये ही जुटा पाई, जो घटाए हुए लक्ष्य का भी महज 18 फीसदी था.
अगले वित्त वर्ष के लिए क्या रहेगा लक्ष्य
केयरएज (CareEdge) ने बजट से पहले प्रमुख उद्योगों से जुड़े 120 प्रतिनिधियों के बीच सर्वे कराया है. जिसमें अनुमान लगाया गया है कि मौजूदा अनुभव को देखते हुए सरकार अगले वित्त वर्ष (2024-25) के लिए विनिवेश का लक्ष्य काफी सोच-समझकर तय करेगी. इस सर्वे में शामिल 47 फीसदी प्रतिनिधियों ने FY25 में विनिवेश का लक्ष्य 40 हजार करोड़ रुपये या उससे कम रखे जाने का अनुमान जाहिर किया है. 20 फीसदी लोगों ने यह लक्ष्य 40 से 50 हजार करोड़ रुपये के बीच और 14 फीसदी ने 50 से 60 हजार रुपये तक रखे जाने का अनुमान जाहिर किया है. सर्वे में शामिल सिर्फ 9 फीसदी लोगों ने FY25 में विनिवेश का लक्ष्य 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रखे जाने की उम्मीद जताई है. अगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) सरकार 2024-25 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 51 हजार करोड़ रुपये से कम रखती है, तो यह मोदी सरकार के कार्यकाल में अब तक का सबसे निचला टारगेट होगा. इससे पहले 2013-14 में केंद्र सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था.