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Homebuyers expectations from Budget 2024 : होम लोन लेकर घर खरीदने वाले टैक्स पेयर्स को उम्मीद है कि वित्त मंत्री चुनाव पूर्व बजट में उन पर कुछ मेहरबानी कर सकती हैं. (Image : Pixabay)
Budget 2024, Homebuyers expectations : घर खरीदने वाले टैक्सपेयर उम्मीद कर रहे हैं कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उन्हें कुछ न कुछ राहत जरूर देंगी. होमबायर्स (Homebuyers) की नजर से देखें तो ऐसे कई उपाय हैं, जिनके जरिए वित्त मंत्री उन पर टैक्स का बोझ कुछ कम कर सकती हैं. भले ही उन्होंने अंतरिम बजट में बड़े एलान नहीं करने की बात की हो, फिर भी सरकार चाहे तो करदाताओं की कुछ वाजिब मांगों पर गौर तो कर ही सकती है.
आयकर में अभी क्या मिलती है राहत
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत होम लोन लेकर घर खरीदने वालों को टैक्स में राहत देने के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं. इन प्रावधानों के तहत होम लोन पर चुकाए गए इंटरेस्ट और प्रिंसिपल अमाउंट पर अलग-अलग सेक्शन के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. इससे ओल्ड टैक्स रिजीम (OTR) अपनाने वाले करदाताओं की टैक्स देनदारी काफी कम हो जाती है. लेकिन इन टैक्स लाभ के साथ कुछ लिमिट्स यानी सीमाएं भी जुड़ी हुई हैं, जिनमें बरसों से कोई बदलाव नहीं हुआ है. यही वजह है कि टैक्सपेयर अब नए बजट (Union Budget 2024) में उनकी समीक्षा किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं.
होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन की लिमिट बढ़े
होमबायर्स की सबसे प्रमुख मांग यह है कि होम लोन (Home Loan) के इंटरेस्ट रीपेमेंट की मौजूदा लिमिट को बढ़ाया जाए. फिलहाल सेक्शन 24(b) के तहत डिडक्शन की यह लिमिट अधिकतम 2 लाख रुपये है, जो 10 साल पहले 2014 में तय की गई थी. इसका मतलब यह हुआ कि आप भले ही अपने होम लोन पर हर साल 4-5 लाख रुपये ब्याज चुकाते हों, लेकिन टैक्स बेनिफिट आपको सिर्फ 2 लाख रुपये पर ही मिलेगा. 10 साल में घरों की कीमतें दोगुनी या उससे भी ज्यादा हो चुकी हैं. पिछले डेढ़-दो साल में ब्याज दरें भी काफी बढ़ी हैं. ऐसे में घर खरीदने के लिए जरूरी होम लोन और उस पर दिए जाने वाले इंटरेस्ट पेमेंट, दोनों में काफी इजाफा हो चुका है. लिहाजा, अब इस लिमिट को बढ़ाकर 4 लाख रुपये किया जाना चाहिए. वरना होम बायर्स ब्याज और टैक्स, दोनों के बोझ में पिसते रहेंगे.
होम लोन के प्रिंसिपल री-पेमेंट पर अलग से छूट मिले
फिलहाल होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट के री-पेमेंट पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है. लेकिन यह लाभ भी सेक्शन 80C की 1.5 लाख रुपये की सालाना ओवर-ऑल लिमिट के दायरे में ही आता है, जिसमें 2014 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. बच्चों की स्कूल फीस, जीवन बीमा के प्रीमियम से लेकर ज्यादातर टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट भी इसी लिमिट में आते हैं. जबकि पिछले 10 साल के दौरान सिर्फ बच्चों की स्कूल फीस ही कम से कम दो गुनी हो चुकी है. इसके साथ ही लाइफ इंश्योरेंस की जरूरत और उनके प्रीमियम भी तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में तमाम टैक्स पेयर्स के लिए 1.5 लाख की यह लिमिट बेहद नाकाफी साबित हो रही है. लिहाजा, एक मांग यह भी उठ रही है कि होम लोन इंटरेस्ट की तरह ही होम लोन प्रिंसिपल री-पेमेंट पर भी अलग से टैक्स छूट मिलनी चाहिए. आखिरकार रहने के लिए घर एक ऐसी बुनियादी सुविधा है, जो नागरिकों की जरूरत के साथ ही साथ सरकार की जिम्मेदारी भी है. तभी तो सरकार गरीबों को घर उपलब्ध कराने के लिए बजट रखती है. लेकिन जो टैक्सपेयर खुद कर्ज लेकर घर बनाते हैं और जीवन भर उस कर्ज को चुकाते रहते हैं, सरकार कम से कम उन्हें टैक्स डिडक्शन का लाभ तो दे ही सकती है.
चुनाव से पहले मतदाताओं पर होगी मेहरबानी?
वैसे तो यह अंतरिम बजट होगा, जिसमें बड़े एलानों की उम्मीद नहीं करने की बात वित्त मंत्री कह चुकी हैं. लेकिन 5 साल पहले 2019 के चुनाव पूर्व अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने परंपरा को दरकिनार करते हुए टैक्स भरने वाले वोटर्स को बड़े पैमाने पर राहत देने का काम किया था. यही वजह है कि इस बार भी चुनाव पूर्व बजट में मतदाताओं पर मेहरबानी किए जाने की उम्मीद की जा रही है. आखिर चुनाव ही तो वह वक्त है, जब सत्ता हासिल करने की कोशिश में लगे राजनेता आम लोगों की इच्छाओं का सबसे ज्यादा ध्यान रखते हैं. ऐसे में अगर भारी-भरकम इनकम टैक्स भरने वाले वोटर भी अपनी कुछ वाजिब मांगों को पूरा किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं, तो इसमें गलत ही क्या है?