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Budget 2024: मोदी सरकार के 10 साल के राज में सब्सिडी बिल में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. इन बदलावों की वजह से ही फूड सब्सिडी में भारी इजाफा होने के बावजूद सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी की हिस्सेदारी नियंत्रण में है. (File Photo : PTI)
Subsidies in Budget under Modi Government: देश के बजट में सब्सिडी की बड़ी भूमिका हमेशा से रहती आई है. मोदी सरकार के कार्यकाल में भी बजट में सब्सिडी का हिस्सा अच्छा-खासा रहा है. लेकिन पिछले 10 साल के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान केंद्र सरकार की सब्सिडी के स्ट्रक्चर में काफी बदलाव हुआ है. इसका मतलब ये कि कई ऐसे आइटम हैं, जिन पर पहले सरकारी सब्सिडी का काफी बड़ा हिस्सा खर्च होता था, लेकिन अब उनमें जबरदस्त गिरावट आई है. वहीं, कुछ ऐसे भी आइटम हैं, जिनका कुल सब्सिडी में हिस्सा काफी बढ़ गया है.
केंद्रीय बजट में सब्सिडी का हिस्सा : 10 साल के आंकड़े
केंद्र सरकार के बजट (Union Budget 2024) से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी पर सरकार का कुल खर्च तेजी से बढ़ा है. फिर भी सरकार के कुल एक्सपेंडीचर यानी खर्च में सब्सिडी की हिस्सेदारी कम हुई है. इसकी सबसे बड़ी वजह सब्सिडी की संरचना में आया बदलाव है.
संकटों के बावजूद काबू में है सब्सिडी बिल
यूपीए सरकार के कार्यकाल के आखिरी वर्ष यानी वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान केंद्र सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा 16.3 प्रतिशत था. जो वित्त वर्ष 2014-15 यानी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले साल के अंत में घटकर 15.3 % पर आ गया. इसके बाद भी इसमें लगातार कमी आती रही और पहले कार्यकाल के अंतिम साल यानी वित्त वर्ष 2018-19 तक यह घटकर 9.6 % रह गया. इसके बाद कोविड महामारी के कारण 2020-21 में यह तेजी से बढ़कर 22 % पर जा पहुंचा. लेकिन इसके बाद सरकार ने इस पर तेजी से काबू पाया और वित्त वर्ष 2023-24 में इसके 9 % के करीब रहने का अनुमान लगाया गया. हालांकि संसद के पिछले सत्र में सरकार ने फूड, एलपीजी और फर्टिलाइजर सब्सिडी के मद में 28,630.80 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का प्रस्ताव पारित कराया है. फिर भी उम्मीद है कि इस खर्च को जोड़ने के बावजूद सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी की हिस्सेदारी 9.5 % से ज्यादा नहीं रहेगी.
पेट्रोलियम सब्सिडी में भारी कटौती
दरअसल, मोदी राज के दौरान केंद्र सरकार के कुल सब्सिडी बिल में जहां फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी का हिस्सा बढ़ा है, वहीं पेट्रोलियम सब्सिडी बिलकुल नहीं के बराबर रह गई है. वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार के कुल सब्सिडी बिल में फर्टिलाइजर का हिस्सा 26.4 %, फूड का 36.1 % और पेट्रोलियम का 33.5 % था. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल सब्सिडी बिल में फूड का हिस्सा 47.7 % और फर्टिलाइजर का 44 % हो गया, जबकि पेट्रोलियम सब्सिडी की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 1.2% रह गयी. यही वजह है कि फूड सब्सिडी तेजी से बढ़ने के बावजूद सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी की हिस्सेदारी काफी हद तक काबू में है. पेट्रोल-डीजल के दामों को बाजार से लिंक करना इस बदलाव की बड़ी वजह रही है.
क्यों बढ़ी फूड सब्सिडी
मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान फूड सब्सिडी (Food Subsidy) बिल तेजी से बढ़ने की 2 प्रमुख वजहें हैं: 1. 2013 में पारित नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के कारण फूड सब्सिडी में इजाफा. और 2. कोविड -19 के कारण मुफ्त अनाज बांटने पर हुआ बेतहाशा खर्च. सबसे पहले नजर डालते हैं फूड सब्सिडी में बढ़ोतरी की पहली वजह पर. वित्त वर्ष 2013-14 से 2022-23 के दरमियान केंद्र सरकार का फूड सब्सिडी बिल 92,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2.7 लाख करोड़ रुपये हुआ. यानी इस दौरान फूड सब्सिडी की सालाना ग्रोथ रेट (CAGR) 11.5% रही. लेकिन NFSA के लागू होने के बाद वित्त वर्ष 2013-14 से 20115-16 के दौरान फूड सब्सिडी में बढ़ोतरी की रफ्तार सालाना 18% पर जा पहुंची.
कोविड 19 के कारण बेकाबू हुआ फूड सब्सिडी बिल
अब बात करते हैं फूड सब्सिडी बढ़ने के दूसरे कारण की. वित्त वर्ष 2016-17 और 2018-19 के दौरान मोदी सरकार ने फूड सब्सिडी पर कुछ हद तक काबू पाने की कोशिश की, जिसके कारण इस दौरान इसकी सालाना ग्रोथ 10% रही. लेकिन कोविड महामारी के दौरान सरकार को पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का एलान करना पड़ा. इसका असर ये हुआ कि जो सब्सिडी बिल वित्त वर्ष 2018-19 में 1 लाख करोड़ था, वो वित्त वर्ष 2019-20 में 1.1 लाख करोड़ और 2020-21 में बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा. इसकी एक वजह ये है कि कैलेंडर वर्ष 2022 के अंत तक लाभार्थियों को सरकार की तरफ से PMGKAY के तहत मुफ्त अनाज के साथ ही साथ NFSA के तहत सस्ता अनाज भी मिल रहा था. यानी दोहरा फायदा हो रहा था.
दो योजनाओं के विलय से संभला फूड सब्सिडी बिल
सरकार ने जनवरी 2023 से PMGKAY और NFSA को एक में मिला दिया, जिससे वित्त वर्ष 2021-22 में फूड सब्सिडी बिल घटकर 2.9 लाख करोड़ रुपये हो गया. 2022-23 में यह घटकर 2.7 लाख करोड़ रुपये रह गया. इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मोदी सरकार ने इसे घटाकर 2 लाख करोड़ रुपये पर लाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन चुनावी साल में पीएम मोदी ने PMGKAY को और 5 साल के लिए बढ़ाने का एलान कर दिया. संसद के पिछले सत्र में इसके लिए अतिरिक्त बजट स्वीकृत भी हो गया है. जिसके चलते मार्च 2024 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में फूड सब्सिडी का असली आंकड़ा पिछले बजट के अनुमान से अधिक होने के पूरे आसार हैं. लेकिन सब्सिडी के असली आंकड़े तो 1 फरवरी 2024 को ही पता चलेंगे, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अंतरिम बजट पेश करेंगी.