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Income Tax Slab : इस बार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद की जा रही है. खासतौर से जिनकी इनकम कम है. (Reuters)
Budget 2024 Expectations : नई सरकार बनने के बाद देश की निगाहें अब बजट घोषणाओं पर है. जिस परिस्थितियों में पीएम नरेंद्र मोदी की अग्रुवाई में एनडीए ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है, उसमें यह बजट (Upcoming Budget 2024) थोड़ा बहुत पॉपुलिस्ट रहने की उम्मीद है. केंद्र सरकार में वित्त मंत्री इस बजट में आम आदमी से किसानों, इंडस्ट्री और कामगारों सभी के लिए कुछ न कुछ राहत वाला एलान कर सकती हैं. इसी के चलते नौकरीपेशा लोगों (Salaried Class Expectations) की भी बजट से उम्मीदें बढ़ गई हैं और कुछ मोर्चों पर उन्हें राहत मिलने की उम्मीद है.
टैक्स स्लैब पर राहत!
आगामी बजट पर सैलरीड की निगाहे हैं. इस बार इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में बदलाव की उम्मीद की जा रही है. खासतौर से जिनकी इनकम कम है. पुराने टैक्स रीज की बात करें तो अंतिम बार साल 2014 में टैक्स छूट लिमिट को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई. उसके बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. इसी तरह से 2020 के बजट में वैकल्पिक इनकम टैक्स स्लैब की घोषणा की गई, जिसमें 3 लाख की इनकम पर टैक्स नहीं है.
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वैसे टैक्स स्लैब में बहुत ज्यादा राहत की उम्मीद कम है, लेकिन सरकार आगामी बजट में सबसे कम आय वाले लोगों के लिए टैक्स में छूट (Tax Telief) देने पर विचार कर सकती है. भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई (CII) के नए प्रेसिडेंट संजीव पुरी का मानना है कि 2024-25 के आगामी पूर्ण बजट में महंगाई को देखते हुए सबसे निचले स्लैब के लोगों के लिए इनकम टैक्स राहत पर विचार करने की जरूरत है.
80(C) के तहत छूट का दायरा बढ़े
एक्सपर्ट का मानना है कि नकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80(C) के तहत टैक्स छूट की लिमिट 1.50 से बढ़ाकर 2 लाख की जानी चाहिए. इससे उन योजनाओं का आकर्षण बढ़ेगा, जो इसके दायरे में आते हैं. मसलन इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ELSS जैसी स्कीम पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ाने से निवेशकों की दिलचस्पी इसमें और बढ़ेगी. नेशनल पेंशन सिस्टम जैसे रिटायरमंट प्रोडक्ट पर 1.50 लाख के अलावा 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट मिल रही है.
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एक जैसे प्रोडक्ट पर एक जैसा टैक्स
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) की लंबे समय से यह डिमांड रही है कि एक जैसे प्रोडक्ट पर एक जैसा टैक्स लागू किया जाए तो लोगों का म्यूचुअल फंड्स में इंटरेस्ट और बढ़ेगा. अभी म्यूचुअल फंड के ईएलएसएस के अलावा इंश्योरेंस, पेंशन फंड, एनपीएस पर टैक्स छूट मिलता है. टैक्स छूट के चलते ही इंश्योरेंस प्रोडक्ट और यूलिप (ULIP) की अच्छी डिमांड रहती है. ईएलएसएस में भी बहुत से टैक्स सेविंग्स के लिए निवेश करते हैं. ऐसे में म्यूचुअल फंड की उन स्कीम पर भी टैक्स छूट मिलने चाहिए जो रिटायरमेंट प्रोडक्ट या इंश्योरेंस प्रोडक्ट की तरह हों.
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डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की डिमांड रही है कि ईएलएसएस की तरह ही डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम होनी चाहिए. डेट स्कीम पर फिक्स्ड इनकम स्कीम के मुकाबले रिटर्न बेहतर मिल रहा है. फिक्स्ड इनकम वाली तमाम स्कीम टैक्स छूट के दायरे में हैं. ऐसे में डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम इश्यू होने से उनमें निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी.