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Income Tax : मोदी सरकार के पिछले 10 बजट में टैक्स पेयर्स को कब फायदा मिला तो कब जेब पर बोझ बढ़ा. (File Photo - FE)
Income Tax Rules in Narendra Modi Govt : केंद्र में नई सरकार आने के बाद अब सभी की निगाहें आम बजट 2024 (Union Budget 2024) पर हैं. इस बार केंद्र में नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में एनडीए सरकार बनी है, हालांकि बीजेपी का प्रदर्शन पिछले 2 बार जैसा नहीं है. इसलिए इस बार के बजट में कुछ लोक लुभावन एलान (Budget Announcements) हो सकते हैं, इस बात की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं. यह भी माना जा रहा है कि मिडिल क्लास को बड़ी राहत देते हुए सरकार इस बजट में टैक्स (Income Tax) पर राहत दे सकती है.
फिलहाल 22 जुलाई को बजट पेश करने की खबरें आ रही हैं, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 6वां फुल बजट होगा. इसके पहले 2023 में नए टैक्स रीजीम के तहत टैक्स लिमिट बढ़ी थी. जानते हैं कि मोदी सरकार के पिछले 10 बजट में टैक्स पेयर्स को कब फायदा मिला तो कब जेब पर बोझ बढ़ा. साल 2014 से साल 2018 तक बजट तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था. जबकि 2019 से 2023 तक आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया.
यूनियन बजट 2014
साल 2014 में मोदी सरकार का पहला बजट जुलाई 2014 को पेश किया गया था. उस समय टैक्स छूट लिमिट को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया गया था. जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये की गई थी. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80(सी) (Income Tax Act Section 80(C)) के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई थी.
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यूनियन बजट 2015
साल 2015 के बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. वहीं हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर डिडक्शन लिमिट 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह लिमिट 20,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दी गई. बजट में वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया गया. सुकन्या समृद्धि योजना को टैक्स फ्री किया गया. एनपीएस में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा भी हुई.
यूनियन बजट 2016
2016 के बजट में 5 लाख से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये करने का एलान किया गया. घर का किराया देने वालों के लिए सेक्शन 80जीजी के तहत टैक्स छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये किया गया. सालाना 10 लाख रुपये से अधिक के डिविडेंड पर 10 फीसदी इनकम टैक्स लगाया गया.
यूनियन बजट 2017
इस साल पहली बार आम बजट और रेल बजट एक साथ पेश हुआ. टैक्स पेयर्स को 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट दिया गया. 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की इनकम के लिए इनकम टैक्स रेट को 10 से घटाकर 5 फीसदी किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ के बीच सालाना टैक्सेबल इनकम वाले लोगों पर 10 फीसदी का सरचार्ज लगाया गया.
यूनियन बजट 2018
इक्विटी से 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म कैपिटल गेंस पर 10 फीसदी टैक्स लगाया गया. वरिष्ठ नागरिकों की बैंक या पोस्ट ऑफिस जमा से 50,000 रुपये तक की ब्याज इनकम को टैक्स छूट प्रदान की गई, जो कि इससे पहले 10,000 रुपये थी. मेडिकल खर्चों के रीइंबर्समेंट के बदले में 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन की अनुमति दी गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए मेडिकल खर्चों के लिए डिडक्शन 30 हजार से से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया.
यूनियन बजट 2019
आम चुनावों की वजह से 2019 में पहले पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया. इसमें एलान किया गया कि 5 लाख रुपये से कम आय वालों को जीरो टैक्स चुकाना होगा. टैक्स रिबेट की लिमिट 2500 रुपये से बढ़ाकर 12500 रुपये हो गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया. इसके साथ ही किराए पर टीडीएस की सीमा को 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.40 लाख रुपये कर दिया गया. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण आम बजट पेश किया. टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं हुआ.
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यूनियन बजट 2020
2020 के बजट में वैकल्पिक इनकम टैक्स स्लैब की घोषणा की गई. टैक्स पेयर्स के लिए पुराना इनकम टैक्स स्लैब और नया वैकल्पिक टैक्स स्लैब दोनों उपलब्ध हुआ.
यूनियन बजट 2021
साल 2021 में बजट में 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो.
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यूनियन बजट 2022
इस बजट में टैक्स को लेकर कोई एलान नहीं किया.
यूनियन बजट 2023
बजट 2023 में नए टैक्स रीजीम के तहत इनकम टैक्स में छूट की लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई. वहीं इसमें इनकम टैक्स स्लैब की संख्या घटाकर 5 कर दी गई थी. इसमें 3 से 6 लाख रुपये सालाना आय वालों को 5%, 6 से 9 लाख रुपये आय पर 10%, 9 लाख रुपये से 12 लाख रुपये पर 15% टैक्स, 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये 20% और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स का प्रावधान है. इनकम टैक्स रिबेट को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है. पुराना टैक्स सिस्टम पहले की तरह जारी है.