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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की है. मतदाता वेबसाइट पर नाम चेक कर सकते हैं और 1 सितंबर तक दावा या आपत्ति दर्ज कर सकते हैं. (Image : IE File)
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार के लिए पहली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की. ये लिस्ट एक महीने तक चली स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है, जो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हुई थी. हालांकि आयोग की ओर से अब तक पूरी लिस्ट सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन लोग चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपना नाम देख सकते हैं. बिहार में इस साल जून में वोटर लिस्ट स्पेशल स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब बिहार में 7.93 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे. आज जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कितने वोटर हैं, यह जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.
अधिकारियों ने बताया कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को इस लिस्ट की प्रिंट कॉपी आज बाद में दी जाएगी. लिस्ट जारी होने के साथ ही "आपत्ति और दावे" दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 1 सितंबर तक चलेगी. इस दौरान अगर किसी का नाम गलती से हट गया हो, तो वो संबंधित अधिकारी से शिकायत कर सकता है.
आपका नाम जुड़ा या छूटा? यहां से करें चेक
बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 24 जून से 25 जुलाई के बीच चली विशेष सत्यापन (वेरिफिकेशन) प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है. फिलहाल इसकी पूरी संकलित कॉपी किसी एक स्थान पर उपलब्ध नहीं कराई गई है, लेकिन इच्छुक मतदाता चुनाव आयोग की वेबसाइट ceoelection.bihar.gov.in/index.html पर जाकर अपना नाम ऑनलाइन देख सकते हैं.
इसके लिए आयोग ने एक विशेष लिंक जारी किया है, जिस पर क्लिक करके आप अपनी जानकारी आसानी से जांच सकते हैं.
लिंक का एक्सेस पाने के लिए आप सीधे दिए गए डिजिटल एड्रेस https://voters.eci.gov.in/download-eroll?stateCode=S04 को कॉपी कर गूगल या सर्च ब्राउजर में सर्च कर सकते हैं.
लिंक खोलने पर एक पेज खुलेगा, जहां चार विकल्प दिखाई देंगे.
सबसे पहले आपको राज्य के तौर पर ‘बिहार’ चुनना होगा, फिर अपने जिले और विधानसभा क्षेत्र का चयन करना होगा.
इसके बाद भाषा हिंदी चुनें.
फिर वोटर लिस्ट की श्रेणी चुननी होगी, जिसमें तीन विकल्प दिए गए हैं: SIR Draft 2025, Draft Roll 2025 और Final Draft 2025 फाइनल रोल. इनमें से उपयुक्त विकल्प चुनने के बाद आप अपने बूथ के अनुसार वोटर लिस्ट में अपना नाम देख सकते हैं.
SIR की पहली स्टेज में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) या राजनीतिक पार्टियों के एजेंट्स (BLA) ने मतदाताओं को एक फार्म दिया था, जिसमें उन्हें अपना हस्ताक्षर करके और पहचान का कोई दस्तावेज लगाकर फार्म वापस करना था. यह फार्म लोग ऑनलाइन भी भर सकते थे. यह प्रक्रिया 25 जुलाई तक पूरी हुई.
चुनाव आयोग के अनुसार, 7.23 करोड़ लोगों ने फार्म जमा किए, जबकि 35 लाख लोग या तो स्थायी रूप से दूसरी जगह चले गए हैं या मिल नहीं रहे हैं. साथ ही 22 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है, और 7 लाख ऐसे लोग हैं जिनका नाम एक से ज्यादा लिस्ट में है. इसके अलावा 1.2 लाख लोगों ने फार्म जमा ही नहीं किया.
यह पूरा काम 77,895 मतदान केंद्रों पर BLO, 1.60 लाख BLA और दूसरे वालंटियर्स की मदद से किया गया, जिसकी निगरानी 243 ERO (मतदाता पंजीकरण अधिकारी) और 2,976 सहायक ERO ने की.
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस पूरी प्रक्रिया की आलोचना की है. उनका आरोप है कि यह सत्ताधारी एनडीए सरकार को फायदा पहुंचाने के मकसद से की गई है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल हुई हैं. कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि यह प्रक्रिया "एक साथ नाम हटाने (exclusion) के लिए नहीं, बल्कि एक साथ नाम जोड़ने (inclusion) के लिए होनी चाहिए".