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Bihar election survey 2025 : बिहार में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही पहला ओपिनियन पोल भी सामने आ गया है. (File Photo : Indian Express)
Bihar Election 2025 Opinion Poll : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है. चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही पहला चुनावी सर्वे भी सामने आ गया है. आईएएनएस-मैट्रिज (IANS-Matrize) के इस सर्वे में दावा किया गया है कि बिहार में एक बार फिर से बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) गठबंधन की सरकार बनेगी. सर्वे का दावा है कि एनडीए का वोट शेयर इस बार बढ़कर करीब 49% हो जाएगा. यानी करीब आधे वोट इस गठबंधन को मिलेंगे, जबकि आरजेडी-कांग्रेस और लेफ्ट समेत प्रमुख विपक्षी दलों के महागठबंधन को 36% वोट शेयर पर सिमटना पड़ सकता है. चुनाव आयोग ने सोमवार को ही एलान किया है कि बिहार में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.
सर्वे में एनडीए की बड़ी जीत के संकेत
सर्वे के मुताबिक एनडीए इस बार 150 से 160 सीटों तक जीत सकता है. यह आंकड़ा 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में स्पष्ट बहुमत से कहीं ज्यादा है. 2020 में जहां एनडीए को कड़ी मशक्कत के बाद 125 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार सीटों में बड़ी बढ़त की उम्मीद जताई गई है. वोट शेयर की बात करें तो 2020 में एनडीए को करीब 37% वोट मिले थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा सीधे 49% तक पहुंचता दिख रहा है.
बीजेपी और जेडीयू की भूमिका
सर्वे के मुताबिक BJP इस बार भी NDA का सबसे मजबूत स्तंभ साबित होने वाली है. उसे अकेले 80-85 सीटें और 21% वोट मिल सकते हैं. दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को भी 18% वोट और 60-65 सीटें मिलने का अनुमान है. सर्वे की मानें तो बार-बार गठबंधन और पाला बदलने के लिए मशहूर नीतीश कुमार का असर अब भी कई तबकों में कायम है. एनडीए के दूसरे सहयोगी दल जैसे हम (HAM), लोजपा (राम विलास) और रालमो (RLM) भी गठबंधन के आंकड़ों में अहम भूमिका निभाते दिख रहे हैं.
महागठबंधन की स्थिति
महागठबंधन के नाम से मशहूर विपक्षी दलों के बड़े गठजोड़ के लिए सर्वे में तस्वीर उतनी उत्साहजनक नहीं है. राजद (RJD), कांग्रेस (Congress) और लेफ्ट पार्टियों का यह गठजोड़ कुल मिलाकर 70-85 सीटों पर सिमट सकता है. वोट शेयर 36% रहने का अनुमान है, जो 2020 से थोड़ा कम है.
सर्वे के मुताबिक तेजस्वी यादव की आरजेडी महागठबंधन की सबसे बड़ी ताकत बनी रहेगी है, जिसे करीब 60-65 सीटें और 21% वोट मिल सकते हैं. लेकिन कांग्रेस की हालत कमजोर दिख रही है. उसे सिर्फ 7-10 सीटों और 8% वोट मिलने का अनुमान है. लेफ्ट पार्टियों का प्रदर्शन भी सीमित रहने की संभावना है.
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प्रशांत किशोर का असर
इस चुनाव में एक और दिलचस्प एंट्री हुई है – प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी. सर्वे कहता है कि यह पार्टी 7% वोट और 2-5 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. हालांकि यह आंकड़ा बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन पहली बार चुनाव लड़ने वाली पार्टी के लिए यह प्रभावी शुरुआत मानी जाएगी. पीके की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं क्योंकि वह जातीय समीकरणों से अलग मुद्दों की राजनीति करने का दावा करते रहे हैं.
छोटे दलों का कैसा रहेगा प्रदर्शन
सर्वे में बसपा (BSP), झामुमो (JMM) जैसी पार्टियों को मिलाकर लगभग 7% वोट और 7-10 सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है. वहीं, एआईएमआईएम (AIMIM) के लिए सर्वे में दिख रही तस्वीर खास उत्साहजनक नहीं है, उसे सिर्फ 1% वोट और 1-3 सीटें मिलने की संभावना जाहिर की गई है.
क्या है असली तस्वीर?
ओपिनियन पोल तो यही बता रहा है कि इस बार लड़ाई में एनडीए का पलड़ा विपक्ष पर भारी पड़ रहा है. हालांकि बिहार की राजनीति हमेशा अप्रत्याशित मोड़ लेती रही है. जातीय समीकरण, बेरोजगारी, पलायन और स्थानीय मुद्दे आगे चलकर इस तस्वीर को बदल सकते हैं. साल 2020 में भी एनडीए और महागठबंधन के वोट शेयर लगभग बराबर थे, लेकिन सीटों का खेल एनडीए के पक्ष में गया. सर्वे प्रकाशित करने वाली एजेंसी आईएएनएस अडानी ग्रुप का हिस्सा है, जबकि मैट्रिज एक पब्लिक ओपिनियन रिसर्च और इलेक्शन एनालिसिस करने वाली करीब 11 साल पुरानी कंपनी है.