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मतदाता पहचान पत्र यानी वोटर कार्ड को लेकर चुनाव आयोग ने कहा - वोटर आईडी कार्ड सिर्फ यह दिखाता है कि इस वक्त आप वोटर लिस्ट में हैं, लेकिन यह ये नहीं साबित कर सकता कि पहले भी आप वोटर लिस्ट में शामिल होने के योग्य थे या नहीं. (Image : IE File)
EC says no to including Aadhaar, voter ID, ration card for revision of Bihar rolls : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया था कि बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) यानी वोटर लिस्ट के विशेष संशोधन में आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए. लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने एफिडेविट (counter-affidavit) में चुनाव आयोग (EC) ने इस सुझाव को मानने से इनकार कर दिया.
एफिडेविट में चुनाव आयोग ने और क्या-क्या कही बात?
चुनाव आयोग ने कहा कि यह उसका संवैधानिक अधिकार है कि वह तय करे कि कौन नागरिकता की शर्त पूरी करता है या नहीं. लेकिन साथ ही यह भी साफ किया कि अगर किसी को वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए अयोग्य माना जाए, तो इससे उसकी नागरिकता खत्म नहीं होती.
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में SIR पर चिंता जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को यह प्रक्रिया रोकने से इनकार कर दिया. यानी आयोग वोटर लिस्ट अपडेट करने का काम जारी रख सकता है. लेकिन सुझाव दिया था कि आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को भी वोटर लिस्ट अपडेट के लिए विचार में लिया जाए. कोर्ट ने चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा था, और मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
अपने काउंटर एफिडेविट में चुनाव आयोग ने कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता, और इस बात को कई हाई कोर्ट भी मान चुके हैं. आयोग ने बताया कि एन्युमरेशन (enumeration) फॉर्म में 11 दस्तावेजों की सूची दी गई है, जिनमें आधार शामिल नहीं है, क्योंकि यह अनुच्छेद 326 के तहत पात्रता जांचने में मदद नहीं करता. हालांकि आयोग ने यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि आधार बिल्कुल इस्तेमाल नहीं हो सकता - इसे अन्य दस्तावेजों के साथ सहायक दस्तावेज की तरह उपयोग किया जा सकता है.
EC के फॉर्म में मतदाता की EPIC संख्या (यानी वोटर ID नंबर) पहले से छपी होती है, और साथ में आधार नंबर के लिए एक वैकल्पिक कॉलम भी दिया गया होता है. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि देश में फर्जी राशन कार्ड बड़ी संख्या में जारी किए गए हैं. हालांकि आधार को राशन कार्ड से जोड़ने (Aadhaar seeding) से कुछ मदद मिली है, लेकिन समस्या अब भी बनी हुई है. आयोग ने केंद्र सरकार की एक प्रेस रिलीज का हवाला भी दिया, जो 7 मार्च को जारी हुई थी, जिसमें कहा गया कि सरकार ने 5 करोड़ से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड रद्द किए हैं.
मतदाता पहचान पत्र यानी वोटर कार्ड को लेकर चुनाव आयोग ने कहा - वोटर आईडी कार्ड सिर्फ यह दिखाता है कि इस वक्त आप वोटर लिस्ट में हैं, लेकिन यह ये नहीं साबित कर सकता कि पहले भी आप वोटर लिस्ट में शामिल होने के योग्य थे या नहीं.
आयोग ने जोर देते हुए कहा कि 11 डाक्युमेंट्स की लिस्ट जो दिए गए हैं वह पूरी नहीं है और यदि कोई मतदाता कोई और दस्तावेज लाता है, तो उसे भी देखे जाने का अधिकार है.
आयोग के 24 जून के आदेश के तहत बिहार की मौजूदा 7.8 करोड़ मतदाताओं को 25 जुलाई तक फॉर्म भरना होगा, ताकि उनका नाम लिस्ट में बना रहे. 1 जनवरी 2003 के बाद जो लोग वोटर लिस्ट में जोड़े गए थे, उनके लिए अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए हैं.
इस प्रक्रिया से राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को चिंता है कि असली मतदाता अपने नाम नहीं दर्ज करा पाएंगे, क्योंकि 11 दस्तावेजों में से कोई उपलब्ध नहीं हो सकता. कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हो चुकी हैं, जिनमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms) और विपक्षी नेता भी शामिल हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित विपक्ष ने कहा कि यह NRC यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करने जैसा है, लेकिन कोर्ट ने 10 जुलाई को कहा कि नागरिकता का निर्धारण गृह मंत्रालय का काम है.
आयोग ने साफ कहा कि SIR के दौरान, अगर किसी को वोटर लिस्ट में रजिस्टर न किए जाने लायक पाया जाए, तो इससे उसकी नागरिकता खत्म नहीं होती.
चुनाव आयोग ने जो शक्तियां इस्तेमाल की हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 324 और 326 से आती हैं, जो उसे चुनाव और वोटर लिस्ट पर नजर रखने और पात्रता तय करने की शक्ति देते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया से किसी की नागरिकता खत्म नहीं होगी.