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Parliamentray Panel on New Income Tax Bill 2025 : नए इनकम टैक्स बिल 2025 पर संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है. (AI Generated Image)
Parliamentray Panel on New Income Tax Bill 2025 : नए इनकम टैक्स बिल 2025 पर संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है. इस रिपोर्ट में समिति ने 32 अहम सुझाव दिए हैं. इनमें यह अहम सिफारिश भी शामिल है कि जो लोग डेडलाइन खत्म होने के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (Late ITR Filing) करते हैं, उन्हें भी टीडीएस (TDS) का रिफंड बिना किसी पेनल्टी के मिलना चाहिए. साथ ही, यह भी सुझाव दिया है कि ऐसे ट्रस्ट जो धार्मिक और सामाजिक, दोनों तरह के काम करते हैं, उन्हें दिए जाने वाले गुमनाम डोनेशन पर टैक्स नहीं लगना चाहिए.
रिपोर्ट में नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन्स की फिक्र
यह रिपोर्ट बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाली समिति ने तैयार की है. इनकम टैक्स बिल 2025, पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 (Income Tax Act 1961) की जगह लेने जा रहा है. इसलिए समिति ने इसकी गहराई से समीक्षा करते हुए कई सुझाव सरकार को दिए हैं.
रिपोर्ट में खासतौर पर उन गैर-लाभकारी संस्थाओं (Non Profit Organizations - NPOs) के बारे में चिंता की गई है जो धार्मिक कामकाज के साथ-साथ समाज सेवा भी करते हैं. समिति का कहना है कि इन संस्थाओं को मिलने वाले गुमनाम डोनेशन पर टैक्स लगाना ठीक नहीं होगा.
NPO की पूरी आमदनी पर टैक्स लगाना सही नहीं
समिति का मानना है कि किसी गैर-लाभकारी संस्था को मिलने वाले पूरे डोनेशन पर टैक्स लगाने की बात इनकम टैक्स कानून के ‘रियल इनकम पर टैक्स’ लगाने के सिद्धांत के खिलाफ है. समिति का सुझाव है कि ऐसी संस्थाओं की केवल "नेट इनकम" यानी खर्च घटाने के बाद बचने वाली रकम पर ही टैक्स लगना चाहिए.
गुमनाम डोनेशन को लेकर कनफ्यूजन
समिति ने यह भी कहा कि जो ट्रस्ट धार्मिक और सामाजिक दोनों काम करते हैं, उन्हें मिलने वाले गुमनाम डोनेशन को लेकर नए बिल के प्रावधानों में स्पष्टता नहीं है. अभी जो प्रस्तावित बिल है, उसमें सिर्फ ‘पूरी तरह धार्मिक ट्रस्ट’ को गुमनाम डोनेशन पर छूट दी गई है. लेकिन समिति का कहना है कि ऐसे बहुत से ट्रस्ट हैं, जो मंदिर भी चलाते हैं और अस्पताल या स्कूल भी.
ऐसे में सिर्फ धार्मिक ट्रस्ट को छूट देना सही नहीं होगा. समिति ने कहा कि पुराने कानून में धार्मिक-सामाजिक ट्रस्ट को एक अलग कैटेगरी के रूप में मान्यता दी गई थी, जिसे नए बिल में नजरअंदाज कर दिया गया है.
सोशल सेक्टर पर बुरा असर पड़ने की आशंका
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए इनकम टैक्स बिल का उद्देश्य भले ही कानून की भाषा को आसान बनाना हो, लेकिन धार्मिक-सामाजिक ट्रस्ट से जुड़ी कई अहम बातें इसमें शामिल नहीं की गई हैं. इसका असर देश के बड़े सोशल सेक्टर पर पड़ सकता है, जो पारंपरिक डोनेशन सिस्टम पर निर्भर है.
गुमनाम डोनेशन पर सीधे 30% टैक्स का प्रस्ताव
नए इनकम टैक्स बिल 2025 के क्लॉज 337 में यह प्रस्ताव है कि सभी रजिस्टर्ड NPOs को मिलने वाले गुमनाम डोनेशन पर सीधे 30% टैक्स लगाया जाएगा. सिर्फ पूरी तरह धार्मिक उद्देश्य वाले ट्रस्ट को ही इससे छूट मिलेगी.
यह प्रस्ताव मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 115BBC से पूरी तरह अलग है. मौजूदा कानून के तहत अगर कोई संस्था धार्मिक और सामाजिक दोनों उद्देश्य से बनाई गई हो, और उसे गुमनाम डोनेशन मिले, तो उस पर टैक्स नहीं लगता, जब तक कि वो डोनेशन किसी यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल, या अन्य संस्थान को सीधे न दिया गया हो.
परंपरा को समझे बिना कानून बनाना गलत
समिति का कहना है कि धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं को ज्यादातर डोनेशन दान पेटियों जैसे पारंपरिक तरीकों से मिलता हैं, जहां दान देने वाले की पहचान कर पाना संभव नहीं होता. ऐसे में नया प्रावधान इन संस्थाओं के साथ इंसाफ नहीं कर पाएगा.
समिति ने सिफारिश की है कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए पुराने कानून की तरह ही धारा 115BBC की ‘व्याख्या’ को नए बिल में भी फिर से शामिल किया जाए. समिति ने कहा है, "हम 1961 के कानून की धारा 115BBC जैसी ही व्यवस्था को फिर से लाने की सिफारिश करते हैं."