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भाजपा सांसद व कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के संजय सिंह (Image: PTI)
इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन यानी आईओए (IOA) ने रेसलिंग फेडरेशन (WFI) का काम काज देख रही एड-हॉक कमेटी को भंग कर दिया है. इसके साथ ही फेडरेशन (WFI) का काम-काज अब पूरी तरह से फेडरेशन के नए अधिकारियों के हाथों में आ गया है. IOA ने सोमवार 18 मार्च को ये फैसला लिया, जिस पर रेसलिंग फेडरेशन के नए अध्यक्ष संजय सिंह (Sanjay Singh) ने इस फैसले पर खुशी जताई. आईओए के इस फैसले के बाद अब भाजपा सांसद व कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के हाथों में रेसलिंग फेडरेशन का नियंत्रण आ गया है.
पहलवानों को देंगे सारी सुविधाएं: संजय सिंह
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया चीफ संजय सिंह ने चुनाव में जीत दर्ज करने वाली समिति को नेशनल फेडरेशन के संचालन का जिम्मा देने के लिए इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन का शुक्रिया किया. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हम रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का पूर्ण नियंत्रण देने के लिए आईओए को धन्यवाद देते हैं. हम पहलवानों को सारी सुविधाएं देंगे. हम जल्द ही राष्ट्रीय शिविर आयोजित करेंगे और अगर पहलवान विदेश में अभ्यास करना चाहते हैं तो हम यह सुविधा भी देंगे. अब पूरा ध्यान ओलंपिक पर है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे पांच-छह पहलवान क्वालिफाई करेंगे.
बता दें कि कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ देश के दिग्गज पहलवानों के आंदोलन के कारण पिछले एक साल से रेसलिंग फेडरेशन विवादों में घिरा रहा. पिछले साल ही फेडरेशन के नए चुनाव हुए थे, जिसमें बृजभूषण के ही करीबी संजय सिंह ने नए अध्यक्ष पद की रेस जीती थी. इसके बाद से फिर विवाद होने लगा था, जिसके बाद खेल मंत्रालय ने फेडरेशन को सस्पेंड कर दिया था और ऐसे में IOA ने एड-हॉक कमेटी का गठन किया था. वहीं WFI ने सस्पेंशन के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी.
23 दिसंबर को बनी थी तीन सदस्यीय एडहॉक कमेटी
संजय सिंह के नेतृत्व में नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई द्वारा कथित तौर पर अपने नियमों का उल्लंघन करने के बाद 23 दिसंबर को भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एडहॉक कमेटी का गठन किया गया था. एडहॉक कमेटी ने इस महीने की शुरुआत में अप्रैल में किर्गिस्तान में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप और एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के लिए टीमों का चयन करने के लिए ट्रायल का आयोजन किया था.
इस ट्रायल में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने भी भाग लिया था. विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वर्ग में ओलंपिक क्वालीफायर में जीत दर्ज करने में सफल रही लेकिन बजरंग को हार का सामना करना पड़ा था. ट्रायल के सफल समापन के बाद खेल की बागडोर डब्ल्यूएफआई को सौंप दी गई है. आईओए ने डब्ल्यूएफआई को यौन उत्पीड़न और नियमों के पालन जैसे अन्य मुद्दों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक ‘सुरक्षा समिति अधिकारी’ नियुक्त करने का निर्देश दिया.
इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन यानी आईओए (IOA) ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के निलंबन हटाने और उसे पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण मिलने के बाद कुश्ती की एड-हॉक कमेटी को भंग कर दिया. आईओए ने कहा कि नेशनल फेडरेशन का निलंबन रद्द होने के बाद खेल के संचालन के लिए एड-हॉक कमेटी की ‘कोई जरूरत नहीं’ है. आईओए ने कहा कि एड-हॉक कमेटी ने रेसलिंग फेडरेशन के सहयोग से अगले महीने के ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल का सफल आयोजन कर लिया है.
खेल मंत्रालय ने दिसंबर में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को निलंबित कर एड-हॉक कमेटी का गठन किया था. उनका यह दाव हालांकि उस समय उलटा पड़ गया जब यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने फरवरी में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से निलंबन हटा दिया. आईओए ने 10 मार्च को जारी आदेश में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर एड-हॉक कमेटी को भंग करने का निर्णय डब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने और इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा नियुक्त कमेटी द्वारा चयन ट्रायल के सफल समापन को देखते हुए लिया गया है.
आईओए के पत्र में कहा गया कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के निर्देश के मुताबिक यह जरूरी है कि डब्ल्यूएफआई दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की चिंताओं को दूर करने और नियमों और दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द सुरक्षा समिति / अधिकारी नियुक्त करे. इसमें कहा गया कि डब्ल्यूएफआई को स्थापित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से एथलीट आयोग के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया गया है.
डब्ल्यूएफआई की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए यह कदम आवश्यक है.’’ आदेश में डब्ल्यूएफआई को आईओए द्वारा कुश्ती मामलों के प्रबंधन के लिए तदर्थ पैनल को दिए गए ‘ऋण को चुकाने’ का भी निर्देश दिया गया है. संजय सिंह ने कहा, ‘‘ जिस दिन मैंने चुनाव जीता, आप जानते हैं कि वह मेरे लिए कांटों का ताज था. रूकावटों के बावजूद हमने हर चीज की कोशिश की जो कर सकते थे. चाहे वह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप (पुणे में) का आयोजन करना हो, या दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक तदर्थ समिति को अधिकारी और रेफरी प्रदान करना हो. मुझे यकीन है कि यह हमारे लिए संघर्ष का अंत है.’’
इस घटनाक्रम से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि वह तदर्थ पैनल को भंग करने के आईओए के कदम से ‘आश्चर्यचकित’ हैं. उन्होंने कहा, ‘‘खेल मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और उसने अभी तक निलंबन रद्द करने के आदेश जारी नहीं किए हैं. इसके अलावा, मामला अदालत में है, इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि आईओए ने तदर्थ पैनल को क्यों भंग कर दिया