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Diwali Lakshmi Puja time : अमावस्या तिथि दोपहर 3:30 पर शुरू होगी, इसलिए लक्ष्मी पूजा का पहला मुहूर्त यहीं से शुरू होगा. (AI Image: Gemini)
Lakshmi Puja 2025 Shubh Muhurat : दिवाली का त्योहार आज पूरे देश में बेहद धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है. शुभ मुहूर्त में घरों-मंदिरों और प्रतिष्ठानों में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से की जाएगी. अमावस्या तिथि दोपहर 3:30 पर शुरू होगी, इसलिए लक्ष्मी पूजा का पहला मुहूर्त यहीं से शुरू होगा. अगले दिन सुबह 5.54 बजे तक लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं. दिवाली (Diwali) पर शुभ लग्न में गणेश, लक्ष्मी का पूजन होता है.
तिथि : कृष्ण चतुर्दशी, दोपहर 03:44 तक, उसके बाद कृष्ण अमावस्या
मास पूर्णिमांत : कार्तिक
दिन : सोमवार
संवत : 2082
नक्षत्र : हस्त, रात 08:17 तक, उसके बाद चित्रा
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20 अक्टूबर दिवाली के दिन के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:44 से सुबह 05:34
प्रातः सन्ध्या : सुबह 05:09 से सुबह 06:25
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:43 से दोपहर 12:28
विजय मुहूर्त : दोपहर 01:59 से दोपहर 02:45
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:46 से शाम 06:12
सायाह्न सन्ध्या : शाम 05:46 से रात 07:02
अमृत काल : दोपहर 01:40 से दोपहर 03:26
निशिता मुहूर्त : रात 11:41 से रात 12:31 (21 अक्टूबर)
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक
प्रदोष काल : शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक
वृषभ काल : रात 07 बजकर 8 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट तक
कलश स्थापना और लक्ष्मी पूजन के लिए सामग्री
लक्ष्मी और गणेश जी की मूहर्त
सोने या चांदी का सिक्का
5 पान के पत्ते
लाल कपड़ा
गेहूं
नारियल
जल, घी, दूध और दही
चंदन और अक्षत
हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, कलावा
फूल, माला, दूब
सूखा मेवा, खील, लाई, बताशा, मिठाई
लौंग, इलायची, कपूर, सुपारी, वस्त्र
मिट्टी के दिए, शहद, तिल का तेल
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दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे साफ-सफाई करें.
घर के मुख्य द्वार और पूजाघर के पास रंगोली बनाएं.
दिवाली पूजन के लिए पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं. फिर इस पर माता लक्ष्मी, गणेश भगवान की स्थापना करें. लक्ष्मी जी की मूर्ति को श्री गणेश के दाहिने हाथ की तरफ स्थापित करना चाहिए.
मूर्ति स्थापना के बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाएं. साथ ही पूजा के लिये कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखें और दीपक को आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व की तरफ रखें.
चौकी के पास ही जल से भरा एक कलश भी रखें.
आपने धनतेरस पर जो सामान खरीदा है उसे भी पूजा स्थल पर रखें.
पूजा में खील, लाई बताशे, फल-फूल और मिठाई, पान, सुपारी, लौंग इलायची रखें.
अब भगवान की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और एक घी का दीपक जला लें.
जल, मौली, हल्दी, अबीर-गुलाल, चावल, फल, गुड़ आदि से विधि विधान पूजा करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें.
अंत में माता लक्ष्मी, गणेश जी और भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें.
इसके बाद घर के कोने-कोने में दीपक जलाकर रखें.
घर के मंदिर में एक घी का बड़ा दीपक रखें, जो पूरी रात जलते रहना चाहिए.
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