/financial-express-hindi/media/media_files/2024/11/19/DTBGJvH9DUZvrCCHjRWb.jpg)
Donald Trump Warns India on Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों पर कड़ा रुख अपनाने के संकेत दिए हैं. (File Photo : ANI)
Donald Trump Warns India on Tariff: अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यभार संभालने से करीब एक महीना पहले भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों पर कड़ा रुख अपनाने के संकेत दिए हैं. ट्रंप ने एक ताजा बयान में कहा है कि भारत के ऊंचे टैरिफ यानी इंपोर्ट ड्यूटी के जवाब में अमेरिका भी उतने ही ऊंचे टैरिफ लगाने को तैयार रहेगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि भारत के साथ व्यापार के मामले में उनकी सरकार 'टैक्स के बदले टैक्स' (Reciprocal Tariffs) की पॉलिसी पर चलेगी. ट्रंप ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगर भारत अमेरिका के प्रोडक्ट्स पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएगा, तो अमेरिका भी भारत के प्रोडक्ट्स पर उतना ही टैक्स लगाएगा. अमेरिका में डोनाल्ट ट्रंप को 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति के तौर पर कामकाज संभालना है.
ट्रंप ने भारत के बारे में कहा क्या है?
फ्लोरिडा के मार-ए-लागो (Mar-a-Lago) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा कि भारत और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं, जो अमेरिका के कुछ प्रोडक्ट्स पर हाई टैरिफ लगाते हैं. उन्होंने कहा, “रेसिप्रोकल (जवाबी कार्रवाई) शब्द महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर कोई हम पर टैक्स लगाता है…अगर भारत हम पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है, तो क्या हम उन पर नहीं लगाएंगे? मसलन, हम उन्हें साइकल भेजते हैं और वे भी हमें साइकल भेजते हैं..वे हमसे 100-200 वसूलते हैं. भारत बहुत अधिक वसूलता है..ब्राजील भी बहुत ज्यादा वसूलता है. अगर वे हमसे वसूलना चाहते हैं तो ठीक है…लेकिन हम भी उनसे उतना ही वसूल करेंगे.”
भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में नई चुनौती
ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी भारत को "टैरिफ किंग" कह चुके हैं. ऐसे में उनके ताजा बयान से संकेत मिलता है कि उनके दूसरे कार्यकाल में भी दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. ट्रंप का साफ कहना है कि भारत जैसे देश, अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाते हैं, जिससे अमेरिकी उत्पाद भारत में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते. ट्रंप के इस नजरिये का भारत पर सीधा असर पड़ सकता है. भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है. वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने अमेरिका को 77.52 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था, जबकि अमेरिका से इंपोर्ट 42.2 अरब डॉलर रहा था. अगर अमेरिका भारत के प्रोडक्ट्स पर ऊंचे टैरिफ लगाता है, तो इससे भारत के आईटी, फार्मास्युटिकल्स और कपड़ा उद्योग पर निगेटिव असर पड़ सकता है.
ट्रंप के पिछले कार्यकाल से क्या मिली सीख
2017 से 2021 तक के अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों में कई विवाद खड़े कर चुके हैं. उन्होंने भारत के कई प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाया और भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) की सूची से हटा दिया. इससे भारत के कई प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिकी बाजार में पहुंच मुश्किल हो गई थी. इसके जवाब में, भारत ने भी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाए. हालांकि, दोनों देशों ने इन व्यापारिक मतभेदों के बावजूद रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया. खास तौर पर पीएम मोदी और ट्रंप का आपसी तालमेल कितना अच्छा रहा है, इसका संकेत अमेरिका में उस दौरान 'Howdy Modi' और भारत में 'Namaste Trump' जैसे आयोजनों से मिलता है.
ट्रंप 2.0 में चुनौतियों और संभावनाओं का बैलेंस
यह उम्मीद की जा सकती है कि पीएम मोदी के साथ मजबूत केमिस्ट्री की बदौलत ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए पूरी तरह से निगेटिव नहीं होगा. अगर ट्रंप चीन के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाते हैं, तो भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में नई संभावनाएं खुल सकती हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल में, चीन पर उनके सख्त रुख ने भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिकी बाजार में जगह बनाई थी. साथ ही, भारत-अमेरिका रक्षा और रणनीतिक साझेदारी ट्रंप के कार्यकाल में और मजबूत हो सकती है. दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर समान विचार रखते हैं और इस साझेदारी से व्यापारिक तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है.
भारत को क्या करना होगा?
ट्रंप के नजरिये को ध्यान में रखते हुए भारत को भी अपनी व्यापारिक नीतियों में थोड़े-बहुत एडजस्टमेंट के साथ संतुलन बनाना होगा. घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए भारत को अपनी टैरिफ पॉलिसी को मजबूत बनाए रखना होगा, लेकिन इसके साथ ही अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए भी जरूरी कदम उठाने होंगे. मिसाल के तौर पर भारत को कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को कम करना पड़ सकता है, ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव कम हो सके. इसके एवज में भारत नई ट्रंप सरकार से जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) में शामिल किए जाने के लिए बातचीत कर सकता है. इसके अलावा अपने लॉन्ग टर्म हितों को ध्यान में रखते हुए भारत को एक्सपोर्ट के मामले में अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने पर ध्यान देना होगा और इसके लिए दूसरे देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना होगा.
कुल मिलाकर डोनाल्ड ट्रंप का "टैरिफ के जवाब में टैरिफ" (Reciprocal Tariffs) का रुख भारत के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है, लेकिन उनके कार्यकाल में भारत को अपनी ट्रेड पॉलिसी को एडजस्ट करके आपसी रणनीतिक साझीदारी को मजबूत करने का मौका भी मिल सकता है. इतना तो तय है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत के सामने अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों के बेहतर बनाए रखते हुए अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा करने की दोहरी चुनौती मौजूद रहेगी.