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इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन दिग्गज वेदांता शामिल हैं.
लोकसभा चुनाव शेड्यूल जारी होने से पहले सुप्रीम काेर्ट के आदेश का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मिले इलेक्टोरल बॉन्ड डिटेल अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिए. इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े आंकड़ों को लेकर अब कई हैरान करने वाली खबरें भी सामने आ रही हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले टॉप 5 डोनर्स में से तीन ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने उस वक्त इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जब उनके यहां ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच चल रही थीं. टॉप 5 इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर्स में ये तीन कंपनी- फ्यूचर गेमिंग, मेघा इंजीनियरिंग और वेदांता शामिल हैं.
ये हैं टॉप इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर्स
चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के मामले में नंबर 1 पर फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड (Future Gaming and Hotel Services- Lottery Martin) है. लॉटरी किंग के नाम से मशहूर सैंटियागो मार्टिन (Santiago Martin) द्वारा संचालित इस लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Megha Engineering and Infrastructures Ltd -MEIL), क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड (Qwik Supply Chain pvt ltd), वेदांता लिमिटेड (Vedanta) और हल्दिया एनर्जी लिमिटेड (Haldia Energy Limited) टॉप 5 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदार रहे.
1. फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज - 1,368 करोड़ रुपये
2. मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड - 966 करोड़ रुपये
3. क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड - 410 करोड़ रुपये
4. वेदांता लिमिटेड - 400 करोड़ रुपये
5. हल्दिया एनर्जी लिमिटेड - 377 करोड़ रुपये
6. भारती ग्रुप - 247 करोड़ रुपये
7. एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड - 224 करोड़ रुपये
8. वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन - 220 करोड़ रुपये
9. केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड - 194 करोड़ रुपये
10. मदनलाल लिमिटेड - 185 करोड़ रुपये
11. डीएलएफ ग्रुप - 170 करोड़ रुपये
12. यशोदा सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल - 162 करोड़ रुपये
13. उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल - 145.3 करोड़ रुपये
14. जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड - 123 करोड़ रुपये
15. बिड़ला कार्बन इंडिया - 105 करोड़ रुपये
16. रूंगटा संस - 100 करोड़ रुपये
17. डॉ रेड्डीज - 80 करोड़ रुपये
18. पीरामल एंटरप्राइजेज ग्रुप - 60 करोड़ रुपये
19. नवयुग इंजीनियरिंग - 55 करोड़ रुपये
20. शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स - 40 करोड़ रुपये * एडलवाइस ग्रुप - 40 करोड़ रुपये
21. सिप्ला लिमिटेड - 39.2 करोड़ रुपये
22. लक्ष्मी निवास मित्तल - 35 करोड़ रुपये
23. ग्रासिम इंडस्ट्रीज - 33 करोड़ रुपये
24. जिंदल स्टेनलेस - 30 करोड़ रुपये
25. बजाज ऑटो - 25 करोड़ रुपये
26. सन फार्मा लैबोरेटरीज - 25 करोड़ रुपये
27. मैनकाइंड फार्मा - 24 करोड़ रुपये
28. बजाज फाइनेंस - 20 करोड़ रुपये
29 .मारुति सुजुकी इंडिया - 20 करोड़ रुपये
30. अल्ट्राटेक - 15 करोड़ रुपये
31. टीवीएस मोटर्स - 10 करोड़ रुपये
फ्यूचर गेमिंग के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है ईडी और सीबीआई
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबकि टॉप 5 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदार में से तीन ऐसी कंपनियां भी हैं जिनके दरवाजे ईडी और आईटी डिपार्टमेंट खटखटा चुके हैं. बात करें सबसे अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली फ्यूचर गेमिंग की तो साल 2019 की शुरुआत में ईडी ने फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की थी. उस साल जुलाई तक, उसने कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी. 2 अप्रैल 2022 को ईडी ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी. इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने चुनावी बांड में 100 करोड़ रुपये खरीदे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ईडी ने सैंटियागो मार्टिन और उनकी कंपनी मेसर्स फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस (पी) लिमिटेड के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की. फिलहाल इस कंपनी का नाम मेसर्स फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज (पी) लिमिटेड और पूर्व में मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड था. ईडी की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई द्वारा दायर एक याचिका के बाद शुरू की हुई थी. ईडी के अनुसार, मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची. ईडी ने 22 जुलाई, 2019 को दिए अपने एक बयान में कहा था कि मार्टिन और उनके सहयोगियों ने 1 अप्रैल 2009 से 31 अगस्त 2010 के दौरान पुरस्कार विजेता टिकटों के दावे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर 910.3 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की थी. 2019 से लेकर 2024 के बीच कंपनी ने 21 अक्टूबर, 2020 को इलेक्टोरल बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी थी.
मेघा इंजीनियरिंग ने ईडी रेड के बाद खरीदे थे चुनावी बॉन्ड
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों मुताबिक दूसरी सबसे बड़ी इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदार कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है. जिसने 2019 और 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. कृष्णा रेड्डी (Krishna Reddy) की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग तेलंगाना सरकार की कालेश्वरम डैम प्रोजक्ट (Kaleswaram Dam project) जैसी कई परियोजनाओं में शामिल है. अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी. इसके बाद ईडी की ओर से भी जांच शुरू की गई. उसी साल 12 अप्रैल को मेघा इंजीनियरिंग ने 50 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. पिछले साल, सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने के लिए इलेक्ट्रिक कार तैयार करने वाली चीन की BYD और उसके हैदराबाद स्थित सहयोगी कंपनी MEIL के 1 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
वेदांता ग्रुप के खिलाफ भी सेंट्रल जांच एजेंसी ले चुकी थी एक्शन
राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के वास्ते इलेक्ट्रोरल बॉन्ड खरीदने वाला पांचवां सबसे बड़ा डोनर अनिल अग्रवाल (Anil Aggarwal) का वेदांता ग्रुप है, जिसने 376 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं, कंपनी ने अप्रैल 2019 में इलेक्टोरल बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 के मध्य में, ईडी ने दावा किया था कि उसके पास वीज़ा के लिए रिश्वत मामले में वेदांता ग्रुप के शामिल होने से जुड़े पर्याप्त सबूत हैं, जिसमें कंपनी ने चीन के कुछ नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया था. ईडी द्वारा सीबीआई को भेजे गए एक रेफरेंस में 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की. 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. उसके बाद 2020 को छोड़कर अगले चार सालों में (नवंबर 2023 तक) कंपनी ने 337 करोड़ रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, जिससे वेदांता ग्रुप द्वारा खरीदे गए कुल बॉन्ड की लागत 376 करोड़ रुपये से अधिक हो गई.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने वक्त पर (12 मार्च) चुनाव आयोग के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े आंकड़े सबमिट कर दिए थे. देश की सबसे बड़ी अदालत ने चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े आंकड़ों को अपलोड करने के लिए 15 मार्च शाम 5 बजे तक का समय दिया था. एसबीआई के बाद चुनाव आयोग भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए 14 मार्च को ही सभी आंकड़े अपलोड कर दिए.