/financial-express-hindi/media/media_files/yNC1C1aYY0V8admxQ7mP.jpg)
जस्टिस ए एम खानविलकर लोकपाल के नए चेयरपर्सन नियुक्ति किए गए हैं. 2013 में लोकपाल कानून बनने के बाद से यह पद संभालने वाले वे दूसरे चेयरपर्सन होंगे. (Photo : Express Archive)
Justice Khanwilkar appointed new Lokpal Chairperson: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए एम खानविलकर को यह पद खाली होने के लगभग दो साल बाद मंगलवार को भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल का चेयरमैन नियुक्त किया गया. जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष के 27 मई, 2022 को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद से लोकपाल अपने नियमित प्रमुख के बिना काम कर रहा है. लोकपाल के न्यायिक सदस्य जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती वर्तमान में कार्यवाहक चेयरमैन हैं.
राष्ट्रपति भवन ने किया नियुक्तियों का एलान
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर को लोकपाल (Lokpal) का चेयरमैन नियुक्त करते हुए खुशी हो रही है. जस्टिस खानविलकर जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्त जस्टिस लिंगप्पा नारायण स्वामी, संजय यादव और रितु राज अवस्थी को भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है.
कई और सदस्य भी नियुक्त किए गए
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुशील चंद्रा, पंकज कुमार और अजय तिर्की गैर-न्यायिक सदस्य होंगे. इसमें कहा गया है कि ये नियुक्तियां उनके संबंधित कार्यालयों का कार्यभार संभालने की तारीख से प्रभावी होंगी. लोकपाल के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशें प्राप्त करने के बाद की जाती है. एक चेयरमैन के अलावा, लोकपाल में आठ सदस्य हो सकते हैं - चार न्यायिक और इतने ही गैर-न्यायिक.
जस्टिस खानविलकर दे चुके हैं कई अहम फैसले
जस्टिस एएम खानविलकर छह साल तक सुप्रीम कोर्ट में जज रहे हैं. इस दौरान उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में पीएम नरेंद्र मोदी को दोषमुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने और पीएमएलए (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय की व्यापक शक्तियों को बरकरार रखने सहित कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं. 24 जून को, जस्टिस खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. बेंच ने कहा था कि इस याचिका में कोई दम नहीं है और साथ ही "प्रक्रिया के ऐसे दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई किए जाने की बात भी कही थी. इसके अगले दिन ही उन्हें गुजरात पुलिस ने उन्हें 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में साक्ष्य गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
जस्टिस खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने 2009 में छत्तीसगढ़ में माओवादी विरोधी अभियान के दौरान 17 आदिवासियों की कथित हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका भी खारिज की थी और याचिकाकर्ता समाजसेवी हिमांशु कुमार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसके साथ ही उनकी बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार को हिमांशु कुमार के खिलाफ "आपराधिक साजिश" के लिए कार्रवाई करने का आदेश भी दिया था.
PMLA कानून पर दिया था अहम फैसला
जस्टिस खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने अपराध, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जमानत की कार्रवाई के दौरान PMLA के कड़े प्रावधानों को बरकरार रखा. बेंच ने कहा था कि इस तरह के कड़े प्रावधानों की जरूरत इसलिए है, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद जैसे जघन्य अपराध देश की संप्रभुता और अखंडता पर असर डालती है. नवंबर 2021 में, जस्टिस खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार की सेंट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था, "विकास योजना में बदलाव करना संबंधित अधिकारियों का विशेषाधिकार है और यह एक नीतिगत मामला है."