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इन आइटम्स और सर्विसेज पर जीएसटी की दरें बदल गई. (Image : PTI)
GST Council meet: जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक में रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट, वेटिंग रूम और डॉरमेट्री में ठहरने, बैटरी चालित कार सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया गया है. अब ऐसी सुविधाओं पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. इस बैठक में मिल्क कैन और कार्टन बॉक्स पर 12 फीसदी की एक समान दर तय करने की सिफारिश की गई है. इस दौरान बैठक में व्यापार सुविधा, अनुपालन बोझ को कम करने और टैक्सपेयर्स को राहत देने से जुड़े कई फैसले लिए गए. शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फेंस में उसमें लिए गए फैसलों की जानकरी दी.
रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट जीएसटी के दायरे से बाहर
वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट, वेटिंग रूम व डॉरमेट्री में ठहरने की सुविधा, बैटरी चालित कार सेवाओं को जीएसटी से छूट दी जा रही है. इसके अलावा, आंतरिक रेलवे सप्लाई को भी जीएसटी से मुक्त किया जा रहा है
वित्त मंत्री ने कहा कि 53वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी GST रिव्यू पर चर्चा नहीं हुई.
सशर्त हॉस्टल में रहने की सेवाओं पर 20000 रुपये तक की छूट
जीएसटी काउंसिल ने शैक्षणिक संस्थानों के बाहर हॉस्टल में रहने की सेवाओं को प्रति व्यक्ति प्रति माह 20,000 रुपये तक की छूट दी है. हालांकि, शर्त यह होगी कि छात्र को छात्रावास में लगातार 90 दिनों तक रहना होगा. इसके अलावा जीएसटी काउंसिल ने टैक्स डिमांड नोटिस पर जुर्माने पर ब्याज माफ करने की सिफारिश की है.
इन पर दरें तय करने की सिफारिश
जीएसटी काउंसिल ने स्टील, लोहा, एल्युमीनियम सहित सभी मिल्क कैन पर 12 फीसदी की एक समान दर तय करने की सिफारिश की है.
काउंसिल ने सभी कार्टन बॉक्स पर 12 फीसदी की एक समान जीएसटी दर निर्धारित करने की भी सिफारिश की है. उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों को विशेष रूप से मदद मिलेगी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री ने कहा कि फायर वॉटर स्प्रिंकलर सहित सभी प्रकार के स्प्रिंकलर पर 12 फीसदी की दर लागू होगी. जीएसटी काउंसिल ने सोलर कुकर पर GST दर को 12 फीसदी कर दिया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि फायर स्प्रिंकलर सहित सभी प्रकार के स्प्रिंकलर पर 12 फीसदी की दर लागू होगी.
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GST के दायरे में आएंगे पेट्रोल-डीजल! वित्त मंत्री ने बता दी सरकार की मंशा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार की मंशा हमेशा से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की रही है और अब राज्यों को एक साथ आकर इसकी दर तय करनी है. उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी कानून में शामिल करने का प्रावधान पहले ही कर दिया है. अब बस राज्यों को एक साथ आकर दर तय करने के लिए चर्चा करनी है.
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार की मंशा थी कि कुछ समय बाद पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाया जाए. उन्होंने कहा, ''इसे जीएसटी में लाने का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है. अब सिर्फ यह फैसला करना है कि राज्य जीएसटी काउंसिल में सहमत हों और फिर तय करें कि वे किस दर के लिए तैयार होंगे. सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि एक बार यह निर्णय हो जाने के बाद इसे अधिनियम में शामिल कर दिया जाएगा.
सरकारी मुकदमों को कम करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने विभिन्न अपीलीय प्राधिकरणों के समक्ष कर विभाग द्वारा अपील दायर करने के लिए एक मौद्रिक सीमा तय की है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक के बाद कहा कि जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के लिए 20 लाख रुपये, हाई कोर्ट के लिए 1 करोड़ रुपये और सुप्रीम कोर्ट के लिए 2 करोड़ रुपये की मौद्रिक सीमा तय करने की सिफारिश की है. अगर मौद्रिक सीमा, जीएसटी परिषद द्वारा तय सीमा से कम है, तो कर प्राधिकरण आमतौर पर अपील नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि काउंसिल ने यह भी सिफारिश की है कि अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए पूर्व जमा की अधिकतम राशि सीजीएसटी और एसजीएसटी के लिए 25 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये की जाए.
इसके अलावा, छोटे करदाताओं की मदद के लिए, काउंसिल ने विवरण और रिटर्न को फॉर्म GSTR 4 में प्रस्तुत करने की समय सीमा 30 अप्रैल से बढ़ाकर 30 जून करने की सिफारिश की है. सीतारमण ने कहा कि यह समय सीमा वित्तीय वर्ष 2024-25 से लागू होगी. वित्त मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि पूरे भारत में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे नकली चालानों के माध्यम से किए गए धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों से निपटने में मदद मिलेगी.
दिन में पहले राज्य वित्त मंत्रियों के साथ पूर्व-बजट बैठक में, सीतारमण ने समय पर कर हस्तांतरण और जीएसटी मुआवजा बकाया के माध्यम से राज्यों को केंद्र के समर्थन को रेखांकित किया ताकि विकास को प्रोत्साहित किया जा सके. उन्होंने राज्यों को उस योजना का लाभ उठाने के लिए भी प्रेरित किया जिसके तहत केंद्र राज्यों को निर्दिष्ट सुधारों को करने के लिए 50 साल का ब्याज मुक्त कर्ज देता है.
जीएसटी को जब एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था, उसमें एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य शुल्कों को शामिल किया गया था. हालांकि, यह फैसला किया गया कि 5 वस्तुओं - कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (एटीएफ) पर जीएसटी कानून के तहत बाद में कर लगाया जाएगा.
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