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होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन पड़ता है. (Image: IE File)
Holi Kab Hai 2025: होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के आखिरी महीने में पड़ता है, जो हर साल फरवरी या मार्च में आता है. होली के साथ ही पुराना साल खत्म हो जाता है और नया साल शुरू होता है. इस साल, फाल्गुन मास 13 फरवरी 2025 से शुरू हुआ है और यह मार्च महीने में खत्म होगा. फाल्गुन मास के आखिरी दिन, यानी पूर्णिमा को, देशभर में होली मनाई जाएगी. अब सवाल यह है कि मार्च 2025 में फाल्गुन मास का समापन किस दिन होगा और होली किस दिन पड़ेगी, आइए इस कनफ्यूजन को दूर कर लेते हैं.
कब है होली?
होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन पड़ता है. इस साल 13 फरवरी से फाल्गुन की शुरूआत हुई है और ये 14 मार्च तक चलेगी. यानी होली का त्योहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा. रंगों की होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा है. होलिका दहन में लोग होलिका के प्रतीक को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं. इस बार देशभर में होलिका दहन 13 मार्च 2025 को मनाई जाएगी.
कितने दिनों का होता है होली उत्सव
होली से पहले होलिका दहन की परंपरा है. होलिका दहन और होली, इन दो दिनों के अलावा देश के कुछ हिस्सों में होली के तुरंत बाद होली भाई दूज भी मनाया जाता है. ये पर्व हर साल फाल्गुन महीने की द्वितीया तिथि को आता है. हालांकि यह उतना प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन कुछ जगह इसे धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन बहनें विशेष भोजन तैयार करती हैं और अपने भाइयों का तिलक करती हैं. वहीं, भाई बदले में उपहार देते हैं और हमेशा रक्षा करने का अमिट वादा करते हैं. ऐसे में, मोटे तौर पर होली उत्सव कुल मिलाकर तीन दिनों तक चलता है.
देशभर में होली को विभिन्न रूपों में मनाने की परंपरा है. ब्रज क्षेत्र में यह त्योहार 15 दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि बरसाना में प्रसिद्ध लठमार होली खेली जाती है. मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में मुख्य होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है, जिसे और भी अधिक उल्लास के साथ मनाया जाता है. महाराष्ट्र में सूखे गुलाल से होली खेलने का चलन है, वहीं दक्षिण गुजरात के आदिवासी समाज के लिए यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. छत्तीसगढ़ में होली लोकगीतों से सराबोर होती है, जबकि मालवांचल में इसे भगोरिया उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
होली उत्सव के लिए शुभ मुहूर्त
रंगों के त्योहार को होली के नाम से जाना जाता है. इस बार होली का त्योहार 14 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा. होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है यानी 13 मार्च को होलिका दहन होगा. होलिका दहन की विधि के अंतर्गत, एक पेड़ की टहनी या लकड़ी को भूमि में स्थापित किया जाता है और उसके चारों ओर उपले, लकड़ियां और कंडे रखे जाते हैं. शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित कर इसमें गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन अर्पित किए जाते हैं. इस बार होलिका दहन की तारीख़ 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से आरंभ होगी और 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी. शुभ मुहूर्त की बात करें तो यह 13 मार्च की रात 11:26 बजे से शुरू होगा और 14 मार्च को रात 12:30 बजे तक रहेगा.
होलिका दहन की विधि
होलिका दहन की विधि के अंतर्गत, एक पेड़ की टहनी या लकड़ी को भूमि में स्थापित किया जाता है और उसके चारों ओर उपले, लकड़ियां और कंडे रखे जाते हैं. शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित कर इसमें गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि इस अग्नि की राख को घर लाने और तिलक करने से बुरी शक्तियों से रक्षा होती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है. कई क्षेत्रों में इस दिन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है.