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Israel-Iran War: इजरायल-ईरान की जंग का क्या होगा असर, क्या भारत में बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?

Israel-Iran War: इजरायल और लेबनान की जंग में ईरान की एंट्री ने सारी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. इसका असर भारत की एनर्जी सिक्योरिटी पर भी पड़ सकता है.

Israel-Iran War: इजरायल और लेबनान की जंग में ईरान की एंट्री ने सारी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. इसका असर भारत की एनर्जी सिक्योरिटी पर भी पड़ सकता है.

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Viplav Rahi
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इजराइल ईरान युद्ध, इजराइल ईरान जंग, Israel-Iran war

Israeli Attack on Lebanon: बेरूत के दहियाह में इजरायली हवाई हमले बाद उठता धुआं (Photo : AP)

Israel-Iran War : Impact on India: लेबनान पर इजरायल के हमलों के बीच इस जंग में ईरान की एंट्री ने सारी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. गुरुवार को शुरुआती कारोबार के दौरान भारी गिरावट के रूप में भारतीय शेयर बाजार पर भी इसका सीधा असर देखने को मिला. लेकिन इस जंग का असर यहीं तक सीमित नहीं रहने वाला है. इजरायल और ईरान के बीच खुली जंग छिड़ने का भारत भारत की एनर्जी सिक्योरिटी, आर्थिक स्थिरता और जियो-पोलिटिकल स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है. भारत के ऑयल इंपोर्ट में पश्चिम एशिया का काफी बड़ा योगदान रहता है, ऐसे में जंग का विस्तार देश के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर सकता है.

ऑयल इंपोर्ट रूट पर संकट की आशंका 

भारत अपनी कच्चे तेल की दो-तिहाई जरूरतें और आधे से ज्यादा लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का इंपोर्ट पश्चिम एशिया से होकर गुजरने वाले स्ट्रेट ऑफ होर्मुज जैसे रूट्स से करता है. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में ऑयल ट्रांसपोर्टेशन के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण रूट है. अगर जंग की वजह से ये रूट प्रभावित होते हैं, तो भारत की एनर्जी सप्लाई पर इसका भारी असर पड़ेगा. इससे शिपमेंट्स को लंबे रूट्स अपनाने पड़ सकते हैं, जिससे इंपोर्ट की लागत के साथ ही साथ ट्रांसपोर्ट में लगने वाले समय में भी बढ़ोतरी हो सकती है.

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तेल की कीमतों पर बढ़ेगा दबाव

जंग की हालत में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी तेजी आ सकती है, जिसका सीधा असर भारत में तेल की कीमतों पर पड़ सकता है. अगर तेल की कीमतें बढ़ाने की नौबत आई तो रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के लिए महंगाई को काबू में रखने से जुड़ी चुनौतियां मुश्किल हो जाएंगी. ऐसे में इंफ्लेशन को बढ़ने से रोकने के लिए RBI को एक बार फिर से ब्याज दरों में वृद्धि जैसे उपायों की तरफ देखना पड़ सकता है. 

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आम लोगों के लिए आर्थिक चुनौतियां

फ्यूल की कीमतें बढ़ीं, तो इसका सीधा असर दूसरी चीजों के दामों पर भी पड़ेगा. और यह महंगाई देश के आम लोगों के बजट को भी प्रभावित करेगी. जिससे महंगाई बढ़ सकती है. यह स्थिति खासतौर पर मिडिल क्लास परिवारों के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली होगी. अगर इसकी वजह से आम लोगों का दूसरी चीजों पर होने वाला खर्च यानी कंजम्प्शन एक्सपेंडीचर घटा, तो यह पूरी अर्थव्यस्था की ग्रोथ के लिए निगेटिव असर डालने वाली बात होगी.

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फिस्कल डेफिसिट बेकाबू होने का खतरा

भारत सरकार तेल पर भारी सब्सिडी देती है. ऐसे में, अचानक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण सरकार के लिए फिस्कल डेफिसिट को काबू में रखना और मुश्किल हो जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल 10 डॉलर की वृद्धि होने पर तो भारत का इंपोर्ट बिल 12-13 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है. अगर बढ़ते खर्चों की वजह से सरकार को अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर होने वाले खर्च में कटौती करने पर मजबूर होना पड़ा, तो इसका ग्रोथ रेट पर बुरा असर पड़ सकता है. 

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जियो पोलिटिकल असर

भारत के इजरायल और ईरान दोनों के साथ रणनीतिक संबंध हैं. जंग की हालत में इन संबंधों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती और कठिन हो सकती है, जिसका भारत की कूटनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा खाड़ी देशों से भारत के बड़े व्यापारिक हित जुड़े हैं और वहां भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या भी रहती है. अगर संघर्ष बढ़ा और इन देशों में रहने वाले भारतीयों को देश वापस लौटना पड़ा तो यह भी अर्थव्यस्था के लिए अच्छा नहीं होगा. इससे न सिर्फ विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा देश में भेजे जाने वाले धन यानी फॉरेन रेमिटेंस में गिरावट आएगी, बल्कि बड़ी संख्या में घर लौटने वाले लोगों के लिए भारत में रोजगार और आमदनी का इंतजाम करना भी चुनौती भरा काम होगा. इससे न सिर्फ देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, बल्कि इस मानवीय संकट से निपटने के लिए सरकार को भी कई इंतजाम करने होंगे.

कुल मिलाकर देखें, तो इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ी तो भारत की अर्थव्यवस्था और एनर्जी सिक्योरिटी के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. ऑयल सप्लाई में अड़चनें आनें और कीमतों में बढ़ोतरी होने की नौबत आई तो इसका असर आर्थिक स्थिरता पर भी पड़ सकता है. भारत को इन चुनौतियों से काफी सावधानी से निपटना होगा ताकि उसके रणनीतिक हित और आर्थिक स्थिरता सुरक्षित रह सकें.

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