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EPF और NPS दोनों का सही ढंग से इस्तेमाल करें तो अच्छा-खासा रिटायरमेंट फंड जमा हो सकता है. (Image : Freepik)
Retirement Planning with EPF, NPS, SCSS: रिटायरमेंट के बाद, आपको वेतन मिलना भले ही बंद हो जाए, लेकिन खर्चे तो बने ही रहते हैं. ऐसे में रेगुलर इनकम का बढ़िया इंतजाम होना बेहद जरूरी है ताकि आप अपनी रिटायर्ड लाइफ बिना आर्थिक परेशानी के बिता सकें. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड (EPF) जैसी स्कीम्स इसी मकसद से बनाई गई हैं. अगर आप सही रणनीति के साथ इन दोनों विकल्पों में निवेश करेंगे तो रिटायरमेंट के बाद बेहतर इनकम हासिल कर सकते हैं. सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) को भी जोड़ दें तो रिटायरमेंट प्लानिंग और मजबूत हो जाएगी. 40 हजार मंथली वेतन से करीब 3 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड कैसे बन सकता है, इसका कैलकुलेशन आगे बताएंगे. लेकिन पहले संक्षेप में जान लेते हैं कि EPF और NPS का मतलब क्या है.
नेशनल पेंशन सिस्टम
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक ऑप्शनल रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है जिसे पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा रेगुलेट किया जाता है. इस योजना में आप अपनी कामकाजी उम्र के दौरान नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं. इस तरह से जमा हुए कॉर्पस का कम से कम 40% हिस्सा एन्युइटी खरीदने में इस्तेमाल करना होता है, जिससे आपको नियमित मंथली इनकम मिलती है. बाकी 60% तक हिस्सा आप रिटायर होने पर लम्पसम यानी एकमुश्त निकाल सकते हैं. एनपीएस में किया गया कंट्रीब्यूशन आपकी उम्र और चुनी गई स्कीम के हिसाब से डेट और इक्विटी में बांटकर इनवेस्ट किया जाता है. लिहाजा इसमें किए गए निवेश पर मिलने वाला रिटर्न फिक्स नहीं, बल्कि मार्केट लिंक्ड होता है.
एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड
एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड (EPF) सरकार द्वारा संचालित एक रिटायरमेंट सेविंग्स योजना है, जिसमें वेतनभोगी कर्मचारियों और उनके एंप्लॉयर द्वारा नियमित रूप से योगदान किया जाता है. यह फंड एक फिक्स ब्याज दर पर बढ़ता है और रिटायरमेंट के समय एकमुश्त निकाला जा सकता है.
NPS + EPF मतलब इंटीग्रेटेड पेंशन स्कीम
अगर आप एनपीएस और ईपीएफ दोनों का इस्तेमाल करते हैं, तो रिटायरमेंट के बाद बेहतर नियमित आय हासिल कर सकते हैं. दोनों स्कीम्स साथ मिलकर एक एकीकृत पेंशन योजना (Integrated Pension Scheme) की तरह काम करती हैं, जिससे आपको रिटायरमेंट के बाद बड़े कॉर्पस के साथ ही साथ रेगुलर और स्टेबल इनकम मिल सकती है. यह रणनीति कैसे काम करती है, इसे आप आप नीचे दिए कैलकुलेशन के जरिये भी समझ सकते हैं.
EPF का कैलकुलेशन
निवेशक की मौजूदा उम्र : 30 साल
रिटायरमेंट की उम्र : 60 साल
EPF में कंट्रीब्यूशन की अवधि : 30 साल
मंथली सैलरी : 40,000 रुपये
वेतन में सालाना बढ़ोतरी : 5%
EPF की ब्याज दर : 8.1%
रिटायरमेंट के समय अनुमानित कॉर्पस : 1,99,51,298 रुपये (करीब 2 करोड़ रुपये)
NPS का कैलकुलेशन
निवेशक की मौजूदा उम्र : 30 साल
रिटायरमेंट की उम्र : 60 साल
NPS में निवेश की अवधि : 30 साल
NPS अकाउंट में मंथली कंट्रीब्यूशन : 5000 रुपये
NPS पर अनुमानित सालाना रिटर्न : 9%
रिटायरमेंट के समय अनुमानित कॉर्पस : 91,53,717 रुपये
एन्युइटी के लिए कम से कम निवेश : 36,61,487 रुपये
दोनों स्कीमों से बनेगा 2.91 करोड़ का फंड
ऊपर दिए कैलकुलेशन से साफ है कि रिटायरमेंट के बाद ईपीएफ और एनपीएस, दोनों के फंड को मिलाकर 2 करोड़ 91 लाख रुपये से ज्यादा रकम हो जाएगी. इनमें से एपीएस फंड का मिनिमम 40% यानी 36.61 लाख रुपये एन्युइटी में निवेश करना जरूरी है. चूंकि निवेशक आपके एकमुश्त निकासी के लिए ईपीएफ का पूरा फंड उपलब्ध होगा, इसलिए वे चाहें तो ज्यादा रेगुलर इनकम के लिए एन्युइटी में निवेश बढ़ा भी सकते हैं.
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EPF, NPS के कॉर्पस का ऐसे करें इस्तेमाल
अगर एनपीएस के पूरे 91.53 लाख रुपये एन्युइटी में लगा दें, तो एन्युइटी सर्विस प्रोवाइडर्स (ASP) की मौजूदा दरों के हिसाब से रिटर्न ऑफ परचेज प्राइस के ऑप्शन के साथ करीब 50 से 52 हजार रुपये तक मंथली पेंशन मिल सकती है.
इसके बाद भी निवेशक के पास करीब 2 करोड़ रुपये का ईपीएफ का कॉर्पस बचेगा.
ईपीएफ के कॉर्पस से 30 लाख रुपये सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (Senior Citizens’ Savings Scheme) में डाले जा सकते हैं.
SCSS की मौजूदा ब्याज दर के हिसाब से 30 लाख के निवेश पर हर 3 महीने में 61,500 रुपये यानी मंथली 20,500 रुपये तक ब्याज मिलेगा.
इस तरह NPS की एन्युइटी इनकम और SCSS के ब्याज को मिलाकर हर महीने 70 हजार रुपये से ज्यादा मंथली इनकम का इंतजाम हो सकता है.
रेगुलर इनकम के लिए किए गए इस निवेश के बाद भी ईपीएफ की 1.6 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम अलग से रह जाएगी, जिसे कहीं और निवेश करके जमापूंजी में लगातार बढ़ोतरी की जा सकती है.