/financial-express-hindi/media/media_files/2025/08/25/supreme-court-pti-2025-08-25-12-37-07.jpg)
Next CJI : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सूर्य कांत देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे. (File Photo : PTI)
Next Chief Justice of India : देश के नए चीफ जस्टिस का नाम तय हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत ही देश के अगले चीफ जस्टिस (CJI) होंगे. मौजूदा चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने सोमवार को सरकार को उन्हें अगला सीजेआई बनाने की सिफारिश कर दी. 23 नवंबर को जस्टिस गवई के रिटायर होने के बाद जस्टिस सूर्य कांत सुप्रीम कोर्ट के 53वें चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभालेंगे और फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे.
सबसे युवा एडवोकेट जनरल रह चुके हैं
हरियाणा के रहने वाले जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant) का वकील से जस्टिस बनने तक का सफर प्रेरणा देने वाला है. वे साल 2000 में सिर्फ 48 साल की उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल नियुक्त किए गए, तब वे यह जिम्मेदारी संभाने वाले सबसे एडवोकेट थे. मार्च 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला और 2004 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज बने.
इसके बाद 2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया और 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने. तब से वे कई अहम संवैधानिक और जनहित के मामलों में महत्वपूर्ण फैसले देने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं. वे फिलहाल लीगल सर्विसेज कमेटी (National Legal Services Authority) के चेयरमैन हैं और इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट (Indian Law Institute) की कई समितियों से जुड़े हैं.
बिहार में मतदाता सूची के संशोधन का केस
हाल ही में बिहार की मतदाता सूची में विशेष संशोधन (SIR) से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने चुनाव आयोग के प्रयासों को उचित ठहराने का फैसला दिया था. उन्होंने कहा था, “जब राज्य में मतदाताओं की संख्या वयस्क जनसंख्या की तुलना में 107% तक पहुंच गई हो, तो यह स्पष्ट रूप से एक ऐसी समस्या है, जिसे ठीक करना जरूरी हो जाता है.” उनकी पीठ ने यह भी कहा कि अगर चुनाव आयोग की प्रक्रिया में कोई गैरकानूनी बात पाई गई, तो अदालत किसी भी समय दखल दे सकती है.
डिजिटल स्कैम और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों में सख्ती
27 अक्टूबर को जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने देशभर में बढ़ रहे कथित ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों और साइबर अपराधों पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस तरह के मामलों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी. इस आदेश को डिजिटल फ्रॉड्स के खिलाफ एक मजबूत कदम के रूप में देखा गया.
Also read : अवैध ‘डंकी रूट’ से अमेरिका पहुंचे 54 भारतीयों को किया गया निर्वासित, पुलिस जांच जारी
झारखंड हाई कोर्ट में लंबित फैसलों पर कड़ा रुख
झारखंड हाई कोर्ट में लंबित फैसलों को लेकर उन्होंने बेहद सख्त टिप्पणी की थी. जस्टिस सूर्य कांत ने कहा था, “लोगों को फैसले चाहिए, उन्हें न्यायशास्त्र या दर्शन की परवाह नहीं है. जजों को चाहिए कि वे छुट्टी लेकर भी फैसला लिखें, लेकिन मामलों को लटकाकर न रखें.” उनके इस बयान को न्यायिक जवाबदेही की दिशा में एक अहम संदेश माना गया.
यूट्यूबर विवाद पर महत्वपूर्ण टिप्पणी
यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया से जुड़े एक केस में जस्टिस सूर्य कांत ने कहा था कि विवादित बयान “माता-पिता को शर्मिंदा कर देने वाले” हैं. उन्होंने टिप्पणी की थी कि यह “एक विकृत सोच और समाज के लिए अपमानजनक मानसिकता” को दर्शाता है. उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब मर्यादा से परे होना नहीं है. हालांकि इस मामले में उन्होंने यूट्यूबर को राहत दी थी, लेकिन काफी कड़ी टिप्पणियां भी की थीं.
राजद्रोह कानून पर ऐतिहासिक फैसला
मई 2022 में जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने राजद्रोह (sedition) से जुड़े कानून (Section 124A) पर ऐतिहासिक आदेश दिया था. उन्होंने केंद्र सरकार इस कानून की समीक्षा किए जाने तक इससे जुड़े सभी लंबित मामलों पर रोक लगाने का फैसला दिया था. उनके इस आदेश को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना गया.
संविधान और न्यायपालिका पर राय
जस्टिस सूर्य कांत अपने न्यायिक विचारों के साथ-साथ सार्वजनिक मंचों पर दिए गए वक्तव्यों के लिए भी जाने जाते हैं. श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में दिए एक भाषण में उन्होंने कहा था कि “न्यायालय संविधान और नैतिक स्पष्टता के आधार पर कमजोरों को ताकत देकर ही वे लोकतंत्र को गहराई और मजबूती दे सकते हैं.”
इसके अलावा, अमेरिका के सिएटल यूनिवर्सिटी में बोलते हुए उन्होंने जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम प्रणाली का बचाव किया था. उन्होंने कहा था, “इस व्यवस्था में कुछ कमियां जरूर हैं, लेकिन यही प्रणाली न्यायपालिका की स्वायत्तता को बचाने के लिए सबसे जरूरी संस्थागत सुरक्षा कवच है.” उन्होंने कहा था कि यह प्रणाली कार्यपालिका और विधायिका के अनावश्यक दखल को रोककर न्यायाधीशों की निष्पक्षता को सुरक्षित रखती है.
/financial-express-hindi/media/agency_attachments/PJD59wtzyQ2B4fdzFqpn.png)
Follow Us