/financial-express-hindi/media/media_files/2025/04/10/rbi-monetary-policy-9-express-photo-237565.jpg)
RBI Dividend to Govt : रिकॉर्ड डिविडेंड ट्रांसफर से सरकार को फिस्कल डेफिसिट मैनेज करने में मदद मिलेगी. (Express Photo)
RBI to Transfer Rs 2.69 Lakh Crore Record Surplus to Govt :भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारत सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का सरप्लस (डिविडेंड) ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी है. यह अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस ट्रांसफर है, जो केंद्र सरकार की आर्थिक स्थिति को मज़बूती देने में मदद करेगा.
ECF के तहत ट्रांसफर होगा रिकॉर्ड सरप्लस
आरबीआई ने यह सरप्लस ट्रांसफर ‘इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क’ (ECF) की संशोधित व्यवस्था के आधार पर तय किया है, जिसे 15 मई 2025 को हुई केंद्रीय बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी गई थी. आरबीआई की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “संशोधित ECF और समग्र आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बोर्ड ने जोखिम भंडारण के लिए बनाए जाने वाले Contingent Risk Buffer (CRB) को 7.50 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया. इसके बाद बोर्ड ने 2024-25 के लेखा वर्ष के लिए 2,68,590.07 करोड़ रुपये का सरप्लस केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने को मंजूरी दी.”
RBI बैलेंस शीट का 4.50 से 7.50% हिस्सा रिजर्व में रखना जरूरी
संशोधित फ्रेमवर्क के अनुसार आरबीआई की बैलेंस शीट का 4.50 से 7.50 प्रतिशत हिस्सा CRB के रूप में रिजर्व में रखा जाना चाहिए. यह रिजर्व उस आपात स्थिति के लिए बचत के तौर पर काम करता है जब देश को किसी आर्थिक संकट या वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़े. यह आरबीआई की Lender of Last Resort की भूमिका के तहत जरूरी होता है.
वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच, जब कोविड-19 महामारी और अन्य आर्थिक चुनौतियों का दौर था, उस समय बोर्ड ने CRB को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया था ताकि आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिल सके. फिर 2022-23 में इसे 6.00 प्रतिशत और 2023-24 में 6.50 प्रतिशत तक बढ़ाया गया.
फिस्कल डेफिसिट मैनेज करने में मिलेगी मदद
आरबीआई की तरफ से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह रिकॉर्ड डिविडेंड ट्रांसफर किए जाने से सरकार को अपना राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) मैनेज करने में काफी मदद मिलेगी. इसके अलावा, इतनी बड़ी रकम के ट्रांसफर से बैंकिंग सिस्टम में तरलता यानी लिक्विडिटी (liquidity) की स्थिति भी बेहतर होगी. विशेषज्ञों के अनुसार इससे बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी लगभग 6 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है.