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SIP और STP बाजार की उथल-पुथल के दौर में निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं. (AI Generated Image)
STP vs SIP in Volatile Market : जब बाजार में तेज़ गिरावट और फिर अचानक उछाल आता है, तब निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल होता है – अब क्या करें? बाजार की अस्थिरता से घबराए बिना अगर आप समझदारी से निवेश करें, तो इससे फायदा भी हो सकता है. सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) दो ऐसे टूल हैं, जो बाजार की उथल-पुथल के दौर में निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं. आइए जानते हैं निवेश के इन दोनों तरीकों के बारे में.
बाजार की अस्थिरता से घबराएं नहीं
हाल के महीनों में शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. उदाहरण के लिए, 7 अप्रैल को Nifty 3.4% गिर गया और फिर 12 मई को 3.8% उछल गया. इस दौरान कई बार बाजार में 1% से ज्यादा का मूवमेंट देखने को मिला. इस तरह के माहौल में निवेशक उलझन में होते हैं कि एक साथ पैसा लगाना ठीक रहेगा या नहीं.
STP कैसे काम करता है
STP एक तरह से निवेश को कई हिस्सों में बांटने का तरीका है. इसके ज़रिये आप अपना पैसा धीरे-धीरे इक्विटी फंड में ट्रांसफर करते हैं, जिससे अगर बाजार में गिरावट भी आती है, तो आपको हर बार सस्ते में यूनिट्स खरीदने का मौका मिलता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल उन निवेशकों द्वारा किया जाता है जिनके पास एकमुश्त पैसा होता है लेकिन वे बाजार के गिरने के डर से धीरे-धीरे निवेश करना चाहते हैं.
STP के जरिये निवेश का क्या है फायदा
ऐसे समय में जब बाजार में अस्थिरता का माहौल हो, STP एक समझदारी भरा विकल्प हो सकता है. इसमें आप अपना एकमुश्त पैसा पहले किसी लिक्विड या ओवरनाइट फंड में पार्क करते हैं और वहां से एक तय रकम हर महीने या हफ्ते इक्विटी फंड में ट्रांसफर कर सकते हैं. इससे आप बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का फायदा उठाते हुए एवरेजिंग (Rupee Cost Averaging) के जरिये बेहतर लागत पर निवेश कर सकते हैं.
SIP: लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट का भरोसेमंद तरीका
सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) उनके लिए सही है जो हर महीने अपनी आमदनी से कुछ रकम बचाकर निवेश करते हैं. ये निवेशक आमतौर पर नौकरीपेशा या फ्रीलांसर होते हैं जिनके पास एक साथ बड़ी रकम नहीं होती. SIP लंबे समय के लक्ष्यों जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई या घर खरीदने के लिए बेहतर होता है. एसआईपी का पूरा लाभ लेने के लिए कम से कम 5 साल या उससे ज्यादा समय तक रेगुलर इनवेस्टमेंट करना बेहतर रहता है.
STP vs SIP: कौन किसके लिए बेहतर?
अगर आपके पास एकमुश्त पैसा है और आप बाजार की मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए धीरे-धीरे निवेश करना चाहते हैं, तो STP आपके लिए बेहतर विकल्प है. वहीं, अगर आप अपनी सामान्य आमदनी में से पैसे बचाकर रेगुलर इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश की योजना बना रहे हैं, तो SIP आपके लिए बेहतर तरीका साबित हो सकता है.
STP vs SIP: टैक्स देनदारी को भी ध्यान में रखें
STP और SIP की तुलना करते समय आपको अपनी टैक्स देनदारी पर दोनों के अलग-अलग असर को ध्यान में रखना जरूरी है. मिसाल के तौर पर अगर आप हर महीने अपनी आमदनी से एसआईपी के जरिये किसी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में इनवेस्ट करते हैं, तो आपको उस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत साल में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिल सकती है. साथ ही अगर आप एक साल से ज्यादा समय होल्ड करने के बाद यूनिट्स बेचते हैं, तो एक साल में होने वाला 1.25 लाख रुपये तक का मुनाफा भी टैक्स फ्री है. उससे ज्यादा मुनाफा होने पर 12.5 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ सकता है. लेकिन वहीं अगर आप अपनी पूंजी को किसी डेट फंड में पार्क करने के बाद एसटीपी के जरिये उसे हर महीने किसी इक्विटी फंड में इनवेस्ट करते हैं, तो ऐसा करते समय हर बार होने वाले मुनाफे पर आपको टैक्स देना पड़ सकता है. यह टैक्स देनदारी इस बात पर भी निर्भर है कि आप जिस फंड से पैसे निकाल रहे हैं, वह किस एसेट क्लास में आता है और उसे आपने कितने समय तक होल्ड किया है. इसलिए एसआईपी और एसटीपी का इस्तेमाल करते समय उनके संभावित टैक्स प्रभाव (Tax Implication) को भी जरूर ध्यान में रखें.
बहरहाल, निवेश का तरीका एसटीपी हो या एसआईपी, उसका पूरा फायदा तभी मिलेगा, जब निवेशक बाजार की उथल-पुथल के बीच घबराए बिना, अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर लंबी अवधि के लिए समझदारी के साथ इनवेस्टमेंट जारी रखें. अगर आपने अपने निवेश के लिए सही एसेट का चुनाव किया है, तो निवेश के दोनों तरीके आपको लंबे समय में बेहतर रिटर्न दिलाने की संभावना रखते हैं.