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इसके बाद, नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल एंटीटी के लिए ‘fin.in’ डोमेन भी लाया जाएगा. Photograph: (RBI)
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल पेमेंट से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिए शुक्रवार को बड़ा एलान किया है. सेंट्रल बैंक ने कहा कि सभी बैंकों के लिए अप्रैल 2025 से अलग डोमेन बनेगा. इस दौरान रिजर्व बैंक की ओर से नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी के लिए भी अलग डोमेन बनाने की बात कही गई. आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 5 से 7 फरवरी के बीच चली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में लिये गए फैसलों की जानकारी देते हुए ये अहम घोषणाएं की.
आरबीआई डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए कई तरह के कदम उठा रहा है. जिनमें से एक डोमेस्टिक डिजिटल पेमेंट के लिए एक्स्ट्रा अथॉन्टिकेशन लेयर की प्रक्रिया भी शामिल है. रिजर्व बैंक का कहना है कि एक्ट्रा अथॉन्टिकेशन की प्रक्रिया देश के बाहर ऑनलाइन डिजिटल पेमेंट पर भी लागू होगी, जो विदेशों में बैठे व्यापारियों को किए जाते हैं.
आजकल, ऑनलाइन पैसे के लेन-देन बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे आसानी तो हुई है, लेकिन साइबर हमले और ऑनलाइन खतरे भी बढ़ गए हैं, जो आए दिन और भी नए तरीकों से किए जा रहे हैं. ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो चिंता की बात है और इस पर सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है.
बैंकों के लिए bank.in होगा नया डोमेन
आरबीआई के गवर्नर के कहा कि डिजिटल पेमेंट्स में धोखाधड़ी के बढ़ते मामले चिंता का विषय है. इससे निपटने के लिए रिजर्व बैंक अप्रैल 2025 से भारतीय बैंकों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन ‘बैंक डॉट इन’ शुरू कर रहा है.
बैंकों को करना होगा रजिस्ट्रेशन
संजय मल्होत्रा ने कहा कि इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी यानी आईडीआरबीटी (IDRBT) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा. रियल रजिस्ट्रेशन अप्रैल 2025 से शुरू होंगे. बैंकों के लिए विस्तृत गाइडलाइन अलग से जारी किए जाएंगे.
भविष्य में NBFCs के लिए भी बनेगा अलग डोमेन
साथ ही आने वाले समय में नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के लिए ‘फिन डॉट इन’ शुरू किया जाएगा.
डिजिटल पेमेंट को और सिक्योर बनाने की तैयारी
आरबीआई के इस पहल का उद्देश्य साइबर सिक्योरिटी रिस्क, साइबर स्कैम और ‘फिशिंग’ जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को करने के साथ सुरक्षित वित्तीय सेवाओं को सुव्यवस्थित बनाना है ताकि डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट्स सर्विस में विश्वास बढ़े.
इंटरनेशनल पेमेंट में स्कैम से बचाएगा एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन लेयर
सेंट्रल बैंक ने इसके साथ सीमा पार यानी क्रॉस बार्डर बिना कार्ड प्रस्तुत किए (कार्ड नॉट प्रेजेंट) पेमेंट में सुरक्षा की एक एक्स्ट्रा लेयर परत शुरू करने का भी निर्णय किया है. डिजिटल पेमेंट के लिए एक्स्ट्रा वेरीफिकेशन लेयर यानी एडिशनल फैक्टर ऑफ अथॉन्टिकेशन (Additional Factor of Authentication - AFA) की शुरुआत ने लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाया है, जिससे ग्राहकों को डिजिटल भुगतान अपनाने का भरोसा मिला है. हालांकि, यह आवश्यकता केवल घरेलू लेनदेन के लिए अनिवार्य है.
आधिकारिक बयान के मुताबिक भारत में जारी किए गए कार्ड का इस्तेमाल कर ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर समान स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के लिए बिना कार्ड प्रस्तुत किए ऑनलाइन माध्यम से अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए भी AFA इनेबल करने का प्रस्ताव है. यह उन मामलों में सुरक्षा की एक एक्स्ट्रा लेयर प्रदान करेगा जहां विदेशी व्यापारी AFA के लिए इनेबल है. विभिन्न पक्षों से प्रतिक्रिया के लिए ड्रॉफ्ट सर्कुलर जल्द ही जारी किया जाएगा.
ये हैं RBI के अहम फैसले
- रिजर्व बैंक (Reserve Bank) डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट सिस्टम को ऑनलाइन सुरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है. जैसे कि भारत में डिजिटल पेमेंट करते समय एक एक्स्ट्रा सेफ्टी लेयर जोड़ना. जिससे सेंट्रल बैंक ने एडिशनल फैक्टर ऑफ अथॉन्टिकेशन (Additional Factor of Authentication - AFA) बताया है.
- रिजर्व बैंक ने यह भी फैसला किया है कि विदेशों में व्यापारियों को किए जाने वाले ऑनलाइन इंटरनेशनल पेमेंट पर भी एक्स्ट्रा अथॉन्टिकेशन फैक्टर AFA लागू किया जाएगा, जहां यह सुविधा उपलब्ध है.
- भारतीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों के लिए 'bank.in' नाम से एक खास इंटरनेट डोमेन शुरू करेगा. इस डोमेन का रजिस्ट्रेशन इस साल अप्रैल से शुरू हो जाएगा. इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने में मदद मिलेगी.
- भविष्य में नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल एंटीटी (NBFCs) के लिए भी ‘fin.in’ नाम से एक खास डोमेन लाया जाएगा.
- बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल एंटीटी (NBFC) को साइबर स्कैम, फिशिंग जैसे धोखाधड़ी से बचने के लिए लगातार अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और भी बेहतर बनाना होगा. साथ ही, उन्हें किसी भी घटना से निपटने और सिस्टम को जल्दी से ठीक करने के लिए मजबूत तरीके विकसित करने होंगे, ताकि उनका कामकाज सुरक्षित रहे.