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RBI के रेपो रेट घटाने के बाद कॉमर्शियल बैंकों की तरफ से इसी अनुपात में ब्याज दरें घटाए जाने की उम्मीद की जा रही है. (Pixabay)
Home Loan EMI Calculation after RBI Rate Cut : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को नीतिगत ब्याज दरों यानी रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का एलान करके लोन लेने वालों को भारी राहत दी है. आरबीआई का नया रेपो 6.25% घोषित किया गया है. इस फैसले के बाद होम लोन लेने वालों की हर महीने दी जाने वाली किस्त यानी मंथली EMI में कमी आने की उम्मीद की जा रही है. आइए समझते हैं कि आरबीआई के इस फैसले से आपके होम लोन की EMI कितनी कम होने की उम्मीद की जा सकती है. समझने में आसानी के लिए हम 40 लाख रुपये के होम लोन पर होने वाली संभावित बचत का कैलकुलेशन भी करके देखेंगे.
EMI और ब्याज के बोझ में कितनी आएगी कमी
आपके होम लोन की ईएमआई (EMI - Equated Monthly Instalment) वास्तव में कितनी कम होगी, यह तो आपके बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का एलान किए जाने के बाद ही तय होगा. लेकिन आरबीआई के फैसले के बाद बैंकों की तरफ से इसी अनुपात में ब्याज दरें घटाए जाने की उम्मीद की जा सकती है. इस आधार पर हम ब्याज भुगतान पर होने वाले संभावित फायदे का कैलकुलेशन कर सकते हैं.
अगर आपने 40 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए के लिए लिया है, तो आपको कुल 240 मंथली EMI देनी होगी.
अगर आपके होम लोन की सालाना ब्याज दर 9% है, तो आपकी मंथली EMI करीब 35,989 रुपये होगी.
20 साल में आपको इंटरेस्ट पेमेंट यानी ब्याज भुगतान के तौर पर कुल करीब 46.37 लाख रुपये देने होंगे.
रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के बाद, अगर आपका बैंक ब्याज दर में इतनी ही कटौती करता है, तो :
आपके होम लोन की सालाना ब्याज दर 9% से घटकर 8.75% हो जाएगी.
ऐसे में आपकी EMI घटकर करीब 35,348 रुपये हो जाएगी.
20 साल में आपका कुल इंटरेस्ट पेमेंट भी घटकर करीब 44.83 लाख रुपये रह जाएगा.
यानी आपको हर महीने ईएमआई के तौर पर 641 रुपये कम देने होंगे.
20 साल में आपकी कुल बचत करीब 1.54 लाख रुपये होगी.
लोन की EMI घटाएं या टेन्योर?
जब ब्याज दरों में कटौती होती है, तो बैंक आपको EMI कम करने या लोन के टेन्योर को कम करने का ऑप्शन देते हैं. अगर आप EMI को कम करने की जगह लोन के टेन्योर को घटाने का फैसला करते हैं, तो आप कुल इंटरेस्ट पेमेंट में ज्यादा पैसे बचा सकते हैं और अपना लोन जल्दी खत्म कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर ऊपर दिए कैलकुलेशन में :
मान लीजिए आप ब्याज दर 9% से घटकर 8.75% होने के बाद भी अपनी मंथली EMI को 35,989 रुपये पर ही बनाए रखते हैं.
ऐसे में आपके लोन की कुल EMI की संख्या 240 से घटकर 229 हो जाएगी.
यानी आपको उतना ही लोन चुकाने के लिए 11 EMI कम देनी होगी.
इसका मतलब यह हुआ कि आपका लोन 11 महीने पहले खत्म हो जाएगा.
ऐसे में आपकी कुल बचत होगी 11x35,989 रुपये = 3,95,879 रुपये.
वहीं ईएमआई की रकम घटाने पर होने वाली बचत करीब 1.54 लाख रुपये थी.
इससे साफ है कि ईएमआई की रकम घटाने की तुलना में टेन्योर कम करने से होने वाला फायदा दोगुने से भी ज्यादा है. इसलिए अगर आपका बजट इसकी इजाजत देता है, तो ईएमआई की रकम बनाए रखते हुए लोन का टेन्योर घटाने का ऑप्शन चुनना ही बेहतर रहेगा.
बैंकों पर कैसे पड़ता है रेपो रेट का असर?
आरबीआई के रेपो रेट घटाने के एलान मतलब यह नहीं है कि कॉमर्शियल बैंकों की ब्याज दरें अपने आप घट जाएंगी. लेकिन अक्टूबर 2019 के बाद से, सभी फ्लोटिंग रेट होम लोन को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा गया है, जिसमें रेपो रेट भी शामिल है. इसलिए रेपो रेट में कटौती का असर होम लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है.
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI कॉमर्शियल बैंकों को शॉर्ट टर्म के लिए फंड उधार देता है. यानी जब RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे उनकी फंड की लागत कम होती है. लिहाजा, वे अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं. रेपो रेट को पॉलिसी रेट या नीतिगत ब्याज दर भी कहते हैं, जिससे पता चलता है कि रिजर्व बैंक इस वक्त किस तरह की मॉनेटरी पॉलिसी अपना रहा है और कॉमर्शियल बैंकों के लिए उसका क्या संकेत है.