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SBI on Electoral Bonds: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक आरटीआई एप्लीकेशन के जवाब में चुनावी बॉन्ड की बिक्री और रिडेंप्शन के SOP का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. (File Photo : Indian Express)
SBI refuses to disclose electoral bonds SOP in RTI: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्ड बेचने और उसे भुनाने से जुड़े स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है. बैंक से यह जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई थी. चुनावी बॉन्ड बिक्री और रिडेंप्शन के एसओपी की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने आरटीआई के तहत मांगी थी. इसके जवाब में एसबीआई ने कहा कि मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती, क्योंकि चुनावी बॉन्ड की बिक्री और रिडेंप्शन का एसओपी बैंक ने अपनी अधिकृत शाखाओं को ‘कमर्शियल कॉन्फिडेंस’ के तहत जारी किया था, जिसे आरटीआई एक्ट के तहत एग्जम्पशन मिला हुआ है.
SBI ने सुप्रीम कोर्ट में किया था इसी SOP का जिक्र : भारद्वाज
अंजलि भारद्वाज ने एसबीआई की तरफ से ऐसा जवाब दिए जाने पर हैरानी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया है, बल्कि उसकी बिक्री और रिडेंप्शन से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक करने का स्पष्ट निर्देश भी जारी किया है. इसके बावजूद एसबीआई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के संचालन से जुड़ी अहम जानकारी देने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि मांगे गए एसओपी से यह पता चलेगा कि बैंक को चुनावी बॉन्ड की बिक्री और रिडेंप्शन के बारे में सरकार की तरफ से किस तरह के निर्देश दिए गए थे. साथ ही यह भी पता चलेगा कि इस प्रक्रिया के दौरान बैंक को चुनावी बॉन्ड की बिक्री और रिडेंप्शन के बारे में कौन सी जानकारियां, किस रूप में स्टोर और मेंटेन करने को कहा गया है. भारद्वाज के मुताबिक खास बात यह है कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल के लिए 4 मार्च को जब 4 महीने का वक्त मांगा था, तो इसी एसओपी का जिक्र किया था.
SBI के जवाब में क्या कहा गया है?
एसबीआई की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया है, “अधिकृत शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2018 की बिक्री और रिडेंप्शन के लिए समय समय पर जारी किए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) इंटरनल गाइडलाइंस हैं, जो सिर्फ आंतरिक सर्कुलेशन के लिए हैं. इन्हें सूचना के अधिकार कानून के सेक्शन 8 (1)(d) के तहत एग्जम्पशन मिला हुआ है.” एसबीआई की तरफ से यह जवाब बैंक के सेंट्रल पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिसर और डिप्टी जनरल मैनेजर एम कन्ना बाबू ने दिया था.
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सूचना के अधिकार कानून का सेक्शन 8 (1)(d) कमर्शियल कॉन्फिडेंस, ट्रेड सीक्रेट्स या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी समेत ऐसी सूचनाओं की जानकारी का खुलासा नहीं करने की छूट देता है, जिन्हें उजागर करने से किसी थर्ड पार्टी को नुकसान हो सकता है. ऐसी जानकारी का खुलासा सिर्फ तभी किया जा सकता है, जब कम्पीटेंट अथॉरिटी को भरोसा हो कि जनहित को ध्यान में रखते हुए उस जानकारी को उजागर करना जरूरी है.
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असंवैधानिक घोषित हो चुका है मोदी सरकार का चुनावी बॉन्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाई चुनावी बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक बताकर रद्द कर चुका है, फिर भी एसबीआई इस स्कीम के तहत बॉन्ड बेचने और उसे भुनाने से जुड़ी प्रक्रिया की जानकारी देने को तैयार नहीं है.स्टेट बैंक इससे पहले चुनावी बॉन्ड खरीदने और भुनाने वालों का पूरा ब्योरा जारी करने में भी आनाकानी कर रहा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के बार-बार फटकार लगाने के बाद उसे यह जानकारी चुनाव आयोग को सौंपनी पड़ी, जिसने देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश का पालन करते हुए सारे आंकड़े सार्वजनिक कर दिए.