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Shahid Siddiqui quits RLD: शाहिद सिद्दीकी ने छोड़ी आरएलडी, कहा-लोकतंत्र पर हमले के बीच नहीं रह सकता खामोश

Shahid Siddiqui quits RLD: आरएलडी के एनडीए में शामिल होने के बाद पार्टी छोड़ने वाले पहले वरिष्ठ नेता शाहिद सिद्दीकी ने चुनाव की घोषणा होने के बाद निर्वाचित मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों पर हो रहे कथित हमलों का मुद्दा भी उठाया.

Shahid Siddiqui quits RLD: आरएलडी के एनडीए में शामिल होने के बाद पार्टी छोड़ने वाले पहले वरिष्ठ नेता शाहिद सिद्दीकी ने चुनाव की घोषणा होने के बाद निर्वाचित मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों पर हो रहे कथित हमलों का मुद्दा भी उठाया.

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FE Hindi Desk
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Shahid Siddiqui quits RLD : राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. (Photo : PTI)

Shahid Siddiqui quits RLD over alliance with BJP: राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. सिद्दीकी ने पार्टी छोड़ने का फैसला आरएलडी के बीजेपी से हाथ मिलाने और एनडीए में शामिल होने के विरोध में किया है. उन्होंने अपना इस्तीफा रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की चुनावी जनसभा के कुछ घंटों बाद ही पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी भेज दिया था. इस रैली में जयंत चौधरी भी पीएम मोदी के साथ मंच पर मौजूद थे. शाहिद सिद्दीकी आरएलडी के एनडीए (NDA) में शामिल होने के बाद इस्तीफा देने वाले पार्टी के पहले बड़े नेता हैं. उनके सोशल मीडिया अकाउंट को देखने से पता चलता है कि वे आरएलडी से इस्तीफा देने से पहले भी पिछले कई दिनों से लगातार बीजेपी सरकार और उसकी नीतियों का विरोध करने वाले पोस्ट डालते रहे हैं.

मौजूदा हालात में चुप रहना पाप होगा : सिद्दीकी 

सिद्दीकी ने इस्तीफा देने के बाद सोमवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, "बस अब बहुत हुआ. मौजूदा स्थिति में मेरा एनडीए के साथ रहना देश, समाज और जनता के हित में नहीं है. किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जिसने इमरजेंसी का विरोध किया हो, ऐसा करना संभव नहीं है. मौजूदा हालात में चुप रहना पाप होगा.” शाहिद सिद्दीकी 2016 में आरएलडी में शामिल हुए थे. जयंत चौधरी को संबोधित अपने इस्तीफे में सिद्दीकी ने कहा कि आरएलडी प्रमुख के साथ उन्होंने पिछले 6 साल तक काम किया है और उनके प्रति अब भी काफी सम्मान रखते हैं. 

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भाजपा गठबंधन से जुड़ना संभव नहीं : सिद्दीकी

शाहिद सिद्दीकी ने जयंत चौधरी को भेजे त्यागपत्र में लिखा है, “आपके दादा भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी, आपके पिता अजीत सिंह जी और आपके समय से, पार्टी इन लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़ी रही है. हालांकि, RLD का एनडीए का हिस्सा बनना मेरे लिए परेशानी और दुविधा की स्थिति है. मैं खुद को भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से जुड़ने में असमर्थ पाता हूं.'' सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन की औपचारिक घोषणा हफ्तों पहले होने के बावजूद पार्टी इतने दिनों बार रविवार को इसलिए छोड़ी, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके कदम को चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के विरोध के तौर पर देखा जाए.उन्होंने कहा, "चुनाव की घोषणा होने के बाद निर्वाचित मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों पर हमला हमारे लोकतंत्र और देश के महान संस्थानों पर हमला है."

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निर्वाचित मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी मंजूर नहीं : सिद्दीकी

सिद्दीकी ने आरएलडी प्रमुख को अपना छोटा भाई बताते हुए कहा कि उन्होंने जयंत चौधरी के साथ मिलकर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक एकता मंच बनाया था. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और कांग्रेस को मिले इनकम टैक्स के नोटिसों का जिक्र करते हुए कहा, “यह मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम का मसला नहीं है. लेकिन निर्वाचित मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करना और राजनीतिक दलों पर हालिया हमले मुझे किसी भी तरह से मंजूर नहीं हैं,'' 

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शाहिदी सिद्दीकी का राजनीतिक सफर

शाहिदी सिद्दीकी नई दुनिया नाम से एक साप्ताहिक पत्रिका भी चलाते रहे हैं, जिसे उन्होंने 1973 में दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र रहते हुए शुरू किया था. वे राजनीति विज्ञान के अध्यापक भी रहे हैं. सिद्दीकी ने 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वे पार्टी के अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष रहे और 1998 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से उम्मीदवार रहे, लेकिन हार गए. 1999 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और समाजवादी पार्टी (SP) में शामिल हो गए और  अगले वर्ष पार्टी के महासचिव भी बने. 2002 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया. 2008 में सपा छोड़ने के बाद, सिद्दीकी ने अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के उम्मीदवार के रूप में बिजनौर से चुनाव लड़ा, जहां वे आरएलडी के संजय चौहान से हार गए. 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले वे दोबारा सपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद 2016 से वे आरएलडी में थे.

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