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सुप्रीम कोर्ट ने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के होस्ट समय रैना को उनके माफी वाले बयान के लिए फटकार लगाई और कहा कि शुरुआत में उन्होंने अपनी गलती को बचाने की कोशिश की थी. (Image: PTI)
सोशल मीडिया पर मनोरंजन की आड़ में किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना अब महंगा पड़ सकता है. देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के व्यवहार पर सख्त रुख अपनाया है. समय रैना से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिव्यांग, महिलाएं, बच्चे और वरिष्ठ नागरिक अपमान के शिकार नहीं हो सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि सोशल मीडिया के लिए ऐसे नियम बनाए जाएं, जो अपमानजनक और मजाकिया भाषणों को रोक सकें. कोर्ट ने यह भी जोर दिया कि नियम बनाने में जल्दबाज़ी नहीं होनी चाहिए, बल्कि सभी संबंधित पक्षों की राय और व्यापक विचार-विमर्श से इसे तैयार किया जाना चाहिए. अदालत ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उस व्यावसायिक भाषण पर लागू नहीं होती, जो किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए.
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, जिसमें समय रैना भी शामिल हैं, को निर्देश दिया कि वे अपने पॉडकास्ट या प्रोग्राम में दिव्यांग लोगों का मजाक उड़ाने पर सार्वजनिक माफी पेश करें. अदालत ने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसा करने पर सजा लगाई जाएगी. समय रैना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके माफी वाले बयान पर भी फटकार लगाई और कहा कि शुरुआत में उन्होंने अपनी गलती को बचाने की कोशिश की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 5 सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, जिनमें 'इंडियाज गॉट लेटेंट' के होस्ट समय रैना भी शामिल हैं, को निर्देश दिया कि वे अपने पॉडकास्ट या शो में दिव्यांग और दुर्लभ जेनेटिक रोगों से पीड़ित लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिए बिना शर्त माफी दिखाएं.
समय रैना समेत 5 लोगों को बिना शर्त माफी मांगने का आदेश
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 5 सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, जिनमें लोकप्रिय शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' के होस्ट समय रैना भी शामिल हैं, को निर्देश दिया कि वे अपने पॉडकास्ट या शो में दिव्यांग और दुर्लभ जेनेटिक रोगों से पीड़ित लोगों का मजाक उड़ाने के लिए बिना शर्त माफी मांगे.
जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant)और जोयमल्य बागची (Justice Joymalya Bagchi)की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि ऐसे नियम बनाए जाएं जो दिव्यांग, महिलाएं, बच्चे और सीनियर सिटिजन का अपमान या मजाक करने वाले भाषणों को रोक सकें. कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उस व्यावसायिक भाषण पर लागू नहीं होती, जो किसी अन्य समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए.
कोर्ट ने कहा कि बाद में समय रैना समेत सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ दिव्यांग लोगों की भावनाओं को आहत करने पर सजा लगाने पर विचार किया जाएगा. इन पांचों पर आरोप है कि उन्होंने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) और दृष्टिहीनता जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों का मज़ाक उड़ाया.
सिवाय सोनाली ठक्कर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई के, जिन्हें बिना कोर्ट में फिजिकल उपस्थिति के माफी दिखाने की शर्त पर छूट दी गई, बाकी सभी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स कोर्ट में उपस्थित थे.
बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरामण को कहा कि सोशल मीडिया नियम एक घटना पर जल्दबाज़ी में नहीं बनाना चाहिए, बल्कि सभी पक्षों की राय लेकर व्यापक आधार पर तय किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना को उनके माफी वाले एफिडेविट के लिए भी फटकार लगाई और कहा कि उन्होंने शुरुआत में अपनी गलती बचाने की कोशिश की और निर्दोष दिखने की कोशिश की. 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना समेत 5 सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को दिव्यांग लोगों का मजाक उड़ाने के मामले में कार्रवाई के लिए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था.