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नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 73 साल की सुषिला कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. (Image: AP)
नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुषिला कार्की शुक्रवार रात देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उन्हें अंतरिम सरकार की कमान सौंपी गई है. यह फैसला तब आया जब पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा.
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 73 साल की कार्की को शपथ दिलाई. अब उनकी अंतरिम सरकार छह महीने के भीतर नए आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी निभाएगी. शपथग्रहण समारोह में नेपाल के मुख्य न्यायाधीश, सेना प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारी और विदेशी राजनयिक मौजूद रहे. भारत ने भी नई सरकार का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि यह कदम नेपाल में शांति और स्थिरता लाएगा.
पीएम मोदी ने नेपाल की अंतरिम सरकार को दीं शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर किए पोस्ट में कहा - नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक शुभकामनाएं. नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक शुभकामनाएं। नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 13, 2025
कार्की के नाम पर सहमति राष्ट्रपति, सेना और ‘जनरेशन जेड’ यानी छात्र आंदोलनकारियों की बैठक के बाद बनी. यही आंदोलन सोशल मीडिया बैन के विरोध से शुरू होकर भ्रष्टाचार और राजनीतिक अव्यवस्था के खिलाफ बड़े जनांदोलन में बदल गया. प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें थीं. भ्रष्टाचार पर लगाम, भाई-भतीजावाद का अंत और जवाबदेह शासन.
नेपाल में हालात इतने बिगड़े कि बीते सप्ताह भर में 51 लोगों की जान चली गई, जिनमें एक भारतीय नागरिक और तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. हालात काबू से बाहर होते देख सेना को सुरक्षा की कमान संभालनी पड़ी और राजधानी काठमांडू समेत कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया. धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं, लेकिन होटल और पर्यटन उद्योग को 25 अरब नेपाली रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है.
सुशीला कर्की की बनारस से है पुराना नाता
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कर्की वाराणसी की मशहूर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की छात्रा रह चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक, उनकी पहली कैबिनेट बैठक में संसद भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की जा सकती है. राजनीतिक दलों से परामर्श के बाद राष्ट्रपति पौडेल ने यह नियुक्ति की और कहा कि यह नागरिक-नेतृत्व वाली सरकार नेपाल को मजबूत लोकतंत्र की दिशा में आगे ले जाएगी.
बीएचयू से कर चुकी हैं पढ़ाई
सुशीला कर्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ था. उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग कैंपस, बिराटनगर से बीए किया. इसके बाद 1975 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में एमए और 1978 में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी, नेपाल से कानून की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने 1979 में बिराटनगर में वकालत शुरू की और 1985 में महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में असिस्टेंट टीचर रहीं. 2007 में वे सीनियर एडवोकेट बनीं और 2009 में सुप्रीम कोर्ट की एड-हॉक जज नियुक्त हुईं. 2010 में स्थायी जज बनीं और 2016 में कार्यवाहक चीफ जस्टिस बनीं. इसके बाद 2016 से 2017 तक नेपाल सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं. वह इस पद पर पहुंचने वाली नेपाल की पहली महिला थीं.
जज के तौर पर अहम रहा है कार्यकाल
अपने कार्यकाल के दौरान सुशीला कर्की ने ट्रांजिशनल जस्टिस और चुनावी विवादों से जुड़े अहम फैसले दिए. 2017 में उन पर संसद में महाभियोग का प्रस्ताव भी आया था, जिसे माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने मिलकर पेश किया था. लेकिन जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे वापस लेना पड़ा. उनकी छवि एक ईमानदार, सख्त और न्यायप्रिय जज की रही है, जिसने हमेशा लोकतंत्र की रक्षा पर जोर दिया.
सुशीला कर्की की शादी दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई है, जो नेपाली कांग्रेस के एक प्रमुख युवा नेता रहे हैं. दोनों की मुलाकात बीएचयू में पढ़ाई के दौरान वाराणसी में हुई थी.