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Trump 2.0 Positive for India: एनर्जी प्राइस और पर्यावरण के मोर्चे पर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के लिए पॉजिटिव रहने की उम्मीद है. (File Photo : ANI)
CEA in SBI's Annual Banking and Economic Conclave : अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की वापसी भारत के लिए पॉजिटिव रहेगी, क्योंकि एनर्जी प्राइस और पर्यावरण के मोर्चे पर उनकी नीतियां हमारे हित में रहने की उम्मीद है. यह भरोसा भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) जी. अनंत नागेश्वरन ने जाहिर किया है. मंगलवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति काल में एनर्जी प्राइसेज काबू में रहने के आसार हैं, जो भारत की इकनॉमिक ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है. एसबीआई के सालाना बैंकिंग और आर्थिक सम्मेलन में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के संभावित असर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एनर्जी प्राइस काबू में रहना इसलिए जरूरी है, क्योंकि भारत की जीडीपी ग्रोथ पर इसका सीधा असर पड़ता है. नागेश्वरन ने कहा कि अगले 25 वर्षों तक भारत की अर्थव्यवस्था में तरक्की की रफ्तार बनाए रखने के लिए एनर्जी प्राइसेज में स्थिरता जरूरी है.
पर्यावरण पर ट्रंप का रुख भारत के लिए फायदेमंद
नागेश्वरन ने ट्रंप प्रशासन की संभावित नीतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण के मामले में "नेट ज़ीरो" लक्ष्य हासिल करने के मामले में अमेरिका के नए निर्वाचित राष्ट्रपति का रुख लचीला है, जो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए लाभदायक हो सकता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ट्रंप प्रशासन भारत के लिए अपनी विकास प्राथमिकताओं के अनुसार नेट ज़ीरो लक्ष्य अपनाने में रुकावट नहीं डालेगा. उन्होंने कहा कि इससे पहले विकसित देशों ने पर्यावरण के मामले में "अलग-अलग जिम्मेदारियों" के उस सिद्धांत को दरकिनार कर दिया, जिस पर पेरिस समझौते में सहमति बनी थी.
ट्रेड और टैरिफ के मोर्चे पर क्या होगा
नागेश्वरन ने माना कि ट्रंप की सरकार आने पर भारत को ट्रेड और टैरिफ के मोर्चे पर कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ ट्रेड और टैरिफ के मोर्चे पर होने वाले बदलाव भारत को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने की तरफ ले जाएंगे, जिससे लंबे समय के दौरान फायदा ही होगा. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के सकारात्मक पहलू अधिक हैं और निगेटिव पहलू कम. नागेश्वरन ने यह भी साफ किया कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक्सपोर्ट सबसे बड़ा ग्रोथ इंजन नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अपनी विकास रणनीति को पूरी तरह एक्सपोर्ट पर निर्भर बनाना भी नहीं है.
घरेलू इकनॉमिक ग्रोथ का रुझान
नागेश्वरन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू मोर्चे पर मिलेजुले संकेत मिल रहे हैं. हाई-फ्रीक्वेंसी डेटा से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में सुस्ती के संकेत हैं, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि ऐसा लंबे समय तक चलने वाला है. उन्होंने नीतिगत ब्याज दरों के मामले में आरबीआई के संभावित रुख के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
भारतीय कारोबारियों को सलाह
नागेश्वरन ने भारतीय कारोबारियों को अपनी मानसिकता बदलने और अपनी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यवसायों को अपनी सोच बदलकर बड़े लक्ष्य तय करने चाहिए. नागेश्वरन ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति के तौर पर वापसी के कारण भारत के लिए ट्रेड और एक्सपोर्ट में भले ही चुनौतियां बढ़ने की आशंका हो, लेकिन एनर्जी के सेक्टर में स्थिरता और आर्थिक नीतियों में लचीलेपन का सकारात्मक असर पड़ेगा.