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Silkyara tunnel : 41 मजदूरों की सुरक्षित वापसी के बाद बड़ा फैसला, सिलक्यारा सुरंग पर फिर शुरू होगा काम

Silkyara tunnel to continue : सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, जरूरी सुरक्षा ऑडिट और टूटे ढांचे की मरम्मत के बाद उत्तराखंड की 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग परियोजना पर काम फिर से शुरू किया जाएगा.

Silkyara tunnel to continue : सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, जरूरी सुरक्षा ऑडिट और टूटे ढांचे की मरम्मत के बाद उत्तराखंड की 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग परियोजना पर काम फिर से शुरू किया जाएगा.

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Viplav Rahi
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Work on Silkyara tunnel to continue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को मंगलवार को 17 दिन बाद सुरक्षित निकाला गया. (PTI Photo)

Work on Silkyara tunnel project to resume after safety audit: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की जिस 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर 17 दिन तक फंसे रहे, उस पर काम फिर से शुरू किया जाएगा. यह जानकारी सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को पीटीआई को दी है. उन्होंने बताया कि सिलक्यारा टनल का काम जरूरी सुरक्षा ऑडिट और टूटे ढांचे की मरम्मत के बाद फिर से शुरू किया जाएगा. सिलक्यारा सुरंग मोदी सरकार की 900 किलोमीटर लंबी महत्वाकांक्षी 'चार धाम यात्रा रोड' परियोजना का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर, 2016 को किया था.

12 हजार करोड़ रुपये की परियोजना 

मोदी सरकार की 12 हजार करोड़ रुपये की इस 'चार धाम यात्रा ऑल वेदर रोड’ परियोजना का मकसद उत्तराखंड के चारों धामों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के बीच हर मौसम में आवाजाही को आसान बनाने के लिए सड़क तैयार करना है. उत्तरकाशी में बनी रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने की वजह से 41 मजदूर सुरंग के भीतर फंस गए थे, जिन्हें एक बचाव दल ने मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. सुरंग के भीतर 17 दिनों से फंसे मजदूरों को तमाम कठनाइयों के बावजूद बड़ी मशक्कत से बाहर निकाला गया है. 

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'एस्केप सुरंग' बनाई जानी चाहिए

बचाव दल का हिस्सा रहे अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि ''सिलक्यारा सुरंग का सुरक्षा ऑडिट किया जाएगा. इस बीच टूटे ढांचे की मरम्मत और उसे ठीक करने की कोशिश भी की जाएगी.'' उन्होंने कहा, ''सभी जरूरी एहतियात बरते जाएंगे और 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग परियोजना को फिर शुरू किया जाएगा.'' जोजिला सुरंग परियोजना के प्रमुख हरपाल सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं. उन्होंने कहा, ''सुरंग के एक हिस्से के ढहने के पीछे खराब भूवैज्ञानिक जांच, ग्राउंड सपोर्ट प्रणालियों को सही तरीके से लागू न करना, निर्माण के दौरान गलतियां, खराब डेटा निगरानी और निर्माण के दौरान खराब शमन उपाय या खराब पर्यवेक्षण नियंत्रण जैसे कारण हो सकते हैं.'' उनका मानना है कि सभी राजमार्ग और रेल सुरंगों की योजनाओं में मुख्य सुरंग के साथ-साथ एक 'एस्केप सुरंग' भी बनाई जानी चाहिए, जो किसी मुश्किल स्थिति में फंसे लोगों को बाहर निकालने के काम आती है.

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2019 की रिपोर्ट में हुई थी आलोचना

2021 में पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने चार धाम सड़क परियोजना से उत्तराखंड में भूस्खलन होने के आरोपों को 'गलत सूचना' करार दिया था और जोर देकर कहा था कि सरकार विकास परियोजनाओं को पूरा करते समय इकोलॉजी और पर्यावरण के बारे में संवेदनशीलता के साथ विचार करती है. वरिष्ठ पर्यावरणविद रवि चोपड़ा की अध्यक्षता वाली 2019 की एक रिपोर्ट में चार धाम परियोजना - को "हिमालय पर हमला" बताकर उसकी आलोचना की गई थी. 

Uttarakhand Tunnel Rescue