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यासीन मलिक का दावा, “मनमोहन ने हाफिज से मिलने पर दिया धन्यवाद, वाजपेयी समेत 6 केंद्र सरकारों ने कश्मीर मामले में किया था शामिल"

आतंकवाद से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक के हलफनामे में कई चौंकाने वाले दावे. पूर्व पीएम वाजपेयी और मनमोहन सिंह के अलावा सोनिया, अजित डोभाल, एमके नारायण और ब्रजेश मिश्रा समेत कई दिग्गजों के साथ मुलाकातों का किया जिक्र.

आतंकवाद से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक के हलफनामे में कई चौंकाने वाले दावे. पूर्व पीएम वाजपेयी और मनमोहन सिंह के अलावा सोनिया, अजित डोभाल, एमके नारायण और ब्रजेश मिश्रा समेत कई दिग्गजों के साथ मुलाकातों का किया जिक्र.

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FE Hindi Desk
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Yasin Malik Big Claims : उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक ने अपने हलफनामे में कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. (File Photo : ANI)

Yasin Malik Makes Big Claims in His Affidavit : जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) चीफ यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. समाचार एजेंसी एनएनआई के मुताबिक मलिक ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि उसे आतंकवादी बताना गलत है, क्योंकि असल में लगातार 6 केंद्र सरकारों ने उसे कश्मीर मुद्दे पर शांति वार्ता में शामिल किया था और उसने उन सरकारों के साथ मिलकर अमन बहाली के लिए काम किया था. मलिक का दावा है कि वीपी सिंह से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक की सरकारों ने उसे लगातार कश्मीर में शांति स्थापना के लिए हो रही बातचीत की प्रक्रिया में शामिल किया था. 

इतना ही नहीं, एनएनआई के मुताबिक मलिक ने हलफनामे में यह दावा भी किया है कि 2006 में जब उसने पाकिस्तान में हाफिज सईद से मुलाकात की थी, तब लौटकर उसने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन को इसकी जानकारी दी थी और उस समय मनमोहन सिंह ने उसे धन्यवाद भी दिया था.

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अटल सरकार की पहल में शामिल होने का दावा

एनएनआई के मुताबिक यासीन मलिक ने अपने हलफनामे में लिखा है कि कश्मीर में शांति स्थापना की कोशिशों में उसकी भूमिका 2000 के दशक में शुरू हुई. उस वक्त इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के स्पेशल डायरेक्टर अजीत डोभाल जेल में उससे मिलने आए थे. मलिक के अनुसार डोभाल ने उसे बताया था कि वाजपेयी सरकार कश्मीर मुद्दे पर शांति प्रक्रिया शुरू करना चाहती है, जिसमें उसकी भूमिका अहम हो सकती है. इसके बाद डोभाल ने उसकी मुलाकात आईबी डायरेक्टर श्यामल दत्ता और तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ब्रजेश मिश्रा से करवाई, जिन्होंने रमज़ान पर सीजफायर करने में सहयोग मांगा.

मलिक का कहना है कि उसने वाजपेयी सरकार के इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से भी मुलाकात की, ताकि शांति प्रक्रिया के लिए आम सहमति बनाई जा सके.

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बातचीत से समाधान के लिए कोशिश का दावा

एनएनआई के मुताबिक मलिक ने दावा किया कि साल 2002 में उसने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक और गैर-हिंसक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक सिग्नेचर कैंपेन चलाया. दो साल से ज्यादा चले इस अभियान में उसने करीब 15 लाख हस्ताक्षर जुटाए. मलिक का कहना है कि यह उसका कमिटमेंट था कि कश्मीर मुद्दे को हिंसा के बजाय बातचीत से हल किया जाए.

हाफिज सईद से मुलाकात पर चौंकाने वाला दावा

एनएनआई के मुताबिक मलिक ने अपने हलफनामे में सबसे चौंकाने वाला दावा 2006 की पाकिस्तान यात्रा को लेकर किया है. मलिक का कहना है वह दौरा पाकिस्तान के भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत कार्य करने के सिलसिले में था. इसी दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों के कहने पर उसे हाफिज सईद और दूसरे आतंकी नेताओं से मिलने के लिए कहा गया. मलिक ने दावा किया, "मैंने यह मुलाकात खुद से नहीं की थी बल्कि भारत की खुफिया एजेंसियों के अनुरोध पर की थी. इसके बाद मैंने लौटकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन को इसकी पूरी जानकारी दी."

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एनएनआई के मुताबिक मलिक ने दावा किया है कि उस समय इस मुलाकात को शांति वार्ता का हिस्सा माना गया और "मनमोहन सिंह ने इस कदम के लिए मुझे धन्यवाद भी दिया." लेकिन बाद में, खासकर अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद, उसी मुलाकात को गलत तरीके से पेश करके उसे आतंकवादी करार दिया गया.

मेरे साथ धोखा हुआ : मलिक

एनएनआई के मुताबिक मलिक ने हलफनामे में कहा है बताया, "मैंने शांति वार्ता को मजबूत करने के लिए कदम उठाए, लेकिन बाद में इन्हीं मुलाकातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. यह एक क्लासिक धोखा है." उसने यह आरोप भी लगाया कि राजनीतिक माहौल बदलने के बाद उसके साथ की गई बातचीत और पहल को ऐसे पेश किया गया जैसे वह पाकिस्तान से मिलकर भारत के खिलाफ साजिश कर रहा हो.

मौत की सजा की NIA की अपील पर जवाब

एनआईए ने यासीन मलिक की उम्रकैद को मौत की सजा में बदलने की अपील की है. इसी पर सुनवाई के दौरान मलिक ने अपना हलफनामा दाखिल किया है. एनएनआई के मुताबिक इसमें लिखा है, "अगर मेरी मौत से किसी को राहत मिलती है तो ऐसा ही सही. मैं मुस्कराते हुए जाऊंगा लेकिन गर्व और सम्मान के साथ." मलिक ने अपनी तुलना 1984 में फांसी दिए गए कश्मीरी अलगाववादी नेता मकबूल बट्ट से करते हुए मौत को अपनी "लड़ाई का आखिरी पड़ाव" बताया. 

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बीजेपी का सवाल: क्या थी यूपीए की नीति?

यासीन मलिक के इन दावों ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा, “यह दावा काफी चौंकाने वाला है कि मनमोहन सिंह ने हाफिज सईद से मुलाकात करने के बाद मलिक को धन्यवाद कहा था." मालवीय ने कहा कि अगर यह सच है तो यूपीए सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं.

मालवीय ने लिखा, "यासीन मलिक एक बड़ा अपराधी है, जिसने भारतीय वायुसेना के तीन जवानों को गोली मारी थी. यह सीधे-सीधे देश के खिलाफ युद्ध है. ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानून की पूरी ताकत का इस्तेमाल होना चाहिए."

अदालत में जारी है सुनवाई

फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में एनआईए की याचिका पर सुनवाई चल रही है, जिसमें मलिक की उम्रकैद को फांसी की सजा में बदलने की मांग की गई है. अदालत ने मलिक को 10 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. मलिक को 2022 में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उस समय ट्रायल कोर्ट ने माना था कि यह "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला नहीं है, इसलिए मौत की सजा नहीं दी गई थी.

(Input : ANI)

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