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Trump with King Abdullah II: वॉशिंगटन में मुलाकात के दौरान जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. Photograph: (File Photo : AP)
OIC Emergency Meeting Called on Palestine Issue after Trump statements: गाज़ा के भविष्य के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के हालिया बयानों से फिलस्तीन का दशकों पुराना मसला और उलझता नजर आ रहा है. ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि अमेरिका गाज़ा को अपने कब्जे में लेकर पूरे इलाके का विकास करेगा. लेकिन उससे पहले फिलिस्तीनियों को वहां से हमेशा के लिए बाहर कर दिया जाएगा. नेतान्याहू ट्रंप के इस एलान का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन जॉर्डन, सऊदी अरब, मिस्र और ईरान समेत तमाम अरब देशों ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह ठुकरा दिया है. मिस्र ने इस मसले पर विचार के लिए ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की इमरजेंसी बैठक भी बुला ली है.
हमास को ट्रंप, नेतान्याहू की चेतावनी
सभी अरब देश गाजा से फिलिस्तीनियों को बाहर करने के किसी भी प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर रहे हैं. इस बीच, ट्रंप और नेतान्याहू ने फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास को इजरायली बंधकों की रिहाई के लिए शनिवार दोपहर तक का वक्त दिया है और ऐसा न करने पर गाजा में कड़ी कार्रवाई की धमकी दी है. इस पूरे घटनाक्रम की वजह से फिलिस्तीन ही नहीं, समूचे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ता नजर आ रहा है.
फिलिस्तीन पर ट्रंप का प्रस्ताव नामंजूर
हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मुलाकात करने वाले जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने भी कहा है कि गाज़ा से फिलिस्तीनियों को हटाकर उन्हें पड़ोसी देशों में शरणार्थी बनाने का ट्रंप का प्रस्ताव मंजूर नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा है कि फिलिस्तीनियों को उनकी अपनी ही धरती से जबरन बेदखल करने या गाज़ा छोड़ने के लिए मजबूर करने की कोई भी कोशिश पूरे इलाके में शांति की कोशिशों को और अधिक कमजोर करेगी. सऊदी अरब ने भी इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को गलत बताते हुए उसका विरोध किया है. किंग अब्दुल्ला ने कहा कि यह सिर्फ उनका ही नहीं, पूरे अरब देशों की साझा राय है.
जॉर्डन के किंग का कहना है कि समस्या को हल करने का सही तरीका तो यही होगा कि फिलिस्तीनी लोगों को हटाए बिना ही गाज़ा का फिर से निर्माण किया जाए और वहां मौजूद भयानक मानवीय संकट को दूर करने के लिए काम किया जाए. मिस्र ने भी फिलीस्तीनी लोगों को गाज़ा से हटाकर पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर करने की किसी भी योजना का विरोध किया है.
और बढ़ेगा पश्चिम एशिया का संकट?
दरअसल, जॉर्डन और मिस्र जैसे अरब देशों में पहले से ही लाखों फिलिस्तीनी शरणार्थी मौजूद हैं और उनकी तादाद और बढ़ने की आशंका उनके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर रही है. मिस्र ने तो इस मसले पर अरब देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की इमरजेंसी बैठक भी बुला ली है. 27 फरवरी को होने जा रही इस बैठक में सभी अरब देश मिलकर इस मसले पर साझा रुख अपनाने पर विचार करेंगे ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति के गाजा पर कब्जा करने के इरादों के सामने मजबूती से अपना पक्ष रख सकें. जाहिर है कि पहले से ही तरह-तरह के राजनीतिक-कूटनीतिक संकटों का सामना कर रहे पश्चिम एशिया में ट्रंप और नेतान्याहू के ताजा बयानों ने आग में घी डालने का काम किया है.