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Market Crash Impact : कई इक्विटी फंड्स ने पिछले 6 महीनों में 17 से 22 फीसदी तक निगेटिव रिटर्न दिया है. (Image : Freepik)
Market Crash Impact on Mutual Fund Return : बाजार में गिरावट और उथल-पुथल के दौर का सीधा असर इक्विटी में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न पर भी पड़ रहा है. ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो कई स्कीम्स ने पिछले सिर्फ 6 महीनों में ही 17 से 22 फीसदी तक निगेटिव रिटर्न दिया है.निगेटिव रिटर्न देने वाली इन म्यूचुअल फंड स्कीम्स में कई अलग-अलग तरह के इक्विटी फंड शामिल हैं. 6 महीने में घाटा कराने वाली इन स्कीम्स में HDFC, ICICI, SBI MF, Motilal Oswal और Quant म्यूचुअल फंड समेत तमाम दिग्गज फंड हाउसेज के नाम मिल जाएंगे.
6 महीने में सबसे ज्यादा निगेटिव रिटर्न देने वाले 18 फंड
पिछले 6 महीने में सबसे ज्यादा निगेटिव रिटर्न देने वाले 18 फंड्स के नाम हम यहां दे रहे हैं, जिन्हें देखकर आपको अंदाजा हो जाएगा कि बाजार की गिरावट ने इन स्कीम्स पर कितना असर डाला है.
म्यूचुअल फंड स्कीम / 6 महीने का रिटर्न
- Quant PSU (Direct Plan) : -22.00 %
- CPSE ETF : -21.91 %
- ABSL Nifty PSE ETF : -21.69 %
- ICICI Pru Nifty Oil & Gas ETF : -19.93 %
- Kotak BSE PSU Index (Direct Plan) : -19.62 %
- Tata Infrastructure (Direct Plan) : -19.15 %
- Mirae Asset Nifty 200 Alpha 30 ETF : -18.99 %
- Invesco India PSU Equity (Direct Plan) : -18.86 %
- Mirae Asset Nifty 200 Alpha 30 ETF FoF (Direct Plan) : -18.65 %
- Motilal Oswal Nifty India Defence Index (Direct Plan) : -18.59 %
- Samco Special Opportunities (Direct Plan) : -18.33 %
- ABSL PSU Equity (Direct Plan) : -18.13 %
- Bandhan Nifty Alpha 50 Index (Direct Plan) : -17.97 %
- SBI Energy Opportunities (Direct Plan) : -17.75 %
- Kotak Nifty Alpha 50 ETF : -17.48 %
- ICICI Pru Nifty 200 Momentum 30 ETF : -17.43 %
- HDFC NIFTY200 Momentum 30 Index (Direct Plan) : -17.41 %
- Quant ELSS Tax Saver (Direct Plan) : -17.35 %
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स की भरमार
ऊपर दी गई लिस्ट के अलावा भी ऐसे तमाम इक्विटी फंड्स हैं, जिनके पिछले 6 महीने के रिटर्न निगेटिव रहे हैं. लेकिन हमने यहां सिर्फ उन्हीं स्कीम्स को लिया है, जिनका 6 महीने का निगेटिव रिटर्न सबसे ज्यादा रहा है. ऊपर दिए आंकड़ों को देखने से एक बात साफ होती है कि पिछले 6 महीने में निवेशकों की पूंजी पर निगेटिव रिटर्न देने वाले फंड्स में सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स की भरमार है. इनमें से कुछ मोमेंटम फंड्स भी शामिल हैं. जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि ऐसे फंड्स में उतार-चढ़ाव की आशंका, बेहतर ढंग से डायवर्सिफाइड और ब्रॉड-बेस्ड फंड्स की तुलना में कम रहती है.
इक्विटी फंड्स में लॉन्ग टर्म नजरिया बेहतर
हालांकि इन आंकड़ों को देखते समय यह भी याद रखना चाहिए कि इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को हमेशा लंबी अवधि का निवेश माना जाता है. यानी इनमें कम से कम 3 साल या उससे अधिक समय के लिए इनवेस्ट करने की सलाह दी जाती है. इसलिए सिर्फ 6 महीने या 1 साल के आंकड़ों के आधार पर किसी स्कीम के बारे में कोई भी राय बनाना सही नहीं होगा. फिर भी निवेशकों को अपनी पूंजी पर मिल रहे रिटर्न पर नजर बनाए रखनी चाहिए ताकि वे किसी लॉन्ग टर्म ट्रेंड या ट्रेंड रिवर्सल को समय रहते पहचान कर सही फैसले कर सकें. इस बारे में कोई भी असमंजस या कनफ्यूजन होने पर एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश करने या नहीं करने से जुड़ी सिफारिश करना नहीं. म्यूचुअल फंड के पिछले रिटर्न का ट्रेंड भविष्य में जारी रहने की गारंटी नहीं होती. निवेश से जुड़े फैसलेसेबी से मान्यता प्राप्त निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)