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Gold vs Silver on Akshaya Tritiya : सोना या चांदी, 2025 में कौन दे सकता है बेहतर रिटर्न? Photograph: (AI Generated Image / ChatGPT)
Gold vs Silver Outlook on Akshaya Tritiya :अक्षय तृतीया पर देशभर में लोग परंपरागत रूप से सोना खरीदते हैं. यह दिन न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि निवेश के नजरिए से भी काफी खास माना जाता है. 2025 में यह त्योहार 30 अप्रैल को पड़ रहा है. इस मौके पर कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि सोने में पिछले कुछ अरसे में जिस तरह की जबरदस्त तेजी देखने को मिली है, उसके बाद भी क्या सोने में निवेश करना चाहिए? या 2025 में चांदी निवेश पर रिटर्न देने के मामले में बाजी मार ले जाएगी? सीधे तौर पर कहें तो क्या मौजूदा हालात में चांदी अपने निवेशकों को सोने से बेहतर रिटर्न दे सकती है?
क्या 2025 में चांदी बनेगी असली स्टार
कोटक महिंद्रा एएमसी के फंड मैनेजर सतीश डोंडापाटी के मुताबिक “सोना अभी तक सुरक्षित निवेश के लिए इनवेस्टर्स का पसंदीदा ऑप्शन बना हुआ है, लेकिन चांदी की डिमांड भी लगातार मजबूत बनी हुई है, जिसके चलते इसने भी 2025 में 1,01,999 रुपये प्रति किलो का रिकॉर्ड बनाया है. खास बात ये है कि सिल्वर की इंडस्ट्रियल डिमांड और सीमित सप्लाई इसे निवेश के लिए बेहद आकर्षक बना रही है.” वे बताते हैं कि चांदी भले ही पारंपरिक रूप से ‘गरीबों का सोना’ कही जाती हो, लेकिन इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, रिन्यूएबल एनर्जी और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग जैसी इंडस्ट्रीज में होने के कारण यह निवेश के लिहाज से काफी मजबूत विकल्प बनती जा रही है.
बुल मार्केट में चांदी का ऐतिहासिक प्रदर्शन
सतीश के मुताबिक ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि कीमती मेटल्स (precious metals) के मार्केट में जब भी बुल रन आता है, चांदी अक्सर सोने से बेहतर प्रदर्शन करती है. 2020 में महामारी के दौरान चांदी ने करीब 63% की छलांग लगाई थी, जबकि सोना उससे कम बढ़ा. 2024 में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जहां सोने ने लगभग 26% की छलांग लगाई, वहीं चांदी ने चुपचाप 34% की बढ़त हासिल कर ली थी. यह ट्रेंड 2025 में भी दोहराया जा सकता है, जिससे चांदी एक बार फिर रिटर्न के मामले में सोने से आगे निकल सकती है.
इंडस्ट्रियल डिमांड चांदी में मजबूती की बड़ी वजह
जहां सोने की कीमत मुख्य रूप से इसकी मॉनेटरी भूमिका पर आधारित होती है, वहीं चांदी का एक बड़ा हिस्सा आधुनिक तकनीकों में उपयोग होता है. 2025 में ग्लोबल इंडस्ट्रियल डिमांड 700 मिलियन आउंसेस से अधिक रहने की उम्मीद है. इसमें सबसे बड़ा योगदान सोलर एनर्जी सेक्टर का है, जो अकेले कुल चांदी की खपत का करीब 15% हिस्सा लेता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और हाई-परफॉर्मेंस चिप्स जैसी आधुनिक तकनीकों में भी चांदी की जबरदस्त मांग है. इसकी उच्च विद्युत चालकता इसे तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए बेहद जरूरी बनाती है, जिससे 2025 में यह सबसे अधिक मांग वाली धातुओं में शामिल हो चुकी है.
सिल्वर के डिमांड-सप्लाई गैप का असर
सतीश डोंडापाटी के मुताबिक बीते कुछ सालों से चांदी की सप्लाई, डिमांड के मुकाबले लगातार कम रही है. 2024 में यह कमी 200 मिलियन आउंस से अधिक रही. डिमांड और सप्लाई के गैप का यह ट्रेंड 2025 में भी जारी रहने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में और तेजी आ सकती है. मांग बढ़ने और सप्लाई घटने की यह स्थिति निवेशकों के लिए फायदे का सौदा बन सकती है.
मॉनेटरी फैक्टर्स से भी चांदी को मिल रहा सपोर्ट
इंडस्ट्रियल डिमांड और सप्लाई गैप के अलावा, दुनिया भर के आर्थिक हालात भी चांदी के फेवर में नजर आ रहे हैं. सतीश डोंडापाटी का मानना है कि “चांदी भी सोने की तरह इंफ्लेशन, केंद्रीय बैंकों की पॉलिसी और करेंसी डिवैल्यूएशन जैसे फैक्टर्स से प्रभावित होती है.” 2025 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने की संभावना है, जिससे चांदी को वैसा ही सपोर्ट मिल सकता है जैसा इससे पहले मॉनेटरी पॉलिसी में उदारता (monetary easing) बरते जाने के दौरान मिला था. ग्लोबल लेवल पर बढ़ते कर्ज और सरकारी फिस्कल पॉलिसी की अस्थिरता (raising global debt and fiscal instability) भी चांदी को सेफ हेवन एसेट बना रहे हैं.
गोल्ड-सिल्वर रेशियो का क्या है संकेत
सतीश बताते हैं कि गोल्ड-सिल्वर रेशियो (GSR) भले ही अपने एक साल के ऊंचे लेवल से नीचे आ गया हो, लेकिन अब भी यह 88.9 पर बना हुआ है, जो उसके 60 के ऐतिहासिक औसत से काफी ऊपर है. यह संकेत देता है कि चांदी फिलहाल सोने की तुलना में अंडर-वैल्यूड है और इसके ऊपर जाने की संभावना अधिक है. 2008 और 2020 जैसे आर्थिक संकटों के दौरान भी जब यह रेशियो बढ़ा था, तो उसके बाद चांदी ने जबरदस्त तेजी दिखाई थी.
2025 में चांदी बना सकती है रिटर्न का रिकॉर्ड?
इस अक्षय तृतीया पर अगर आप निवेश की सोच रहे हैं, तो चांदी एक मजबूत दावेदार के रूप में सामने आई है. सतीश का कहना है कि इंडस्ट्रियल डिमांड में तेजी, सप्लाई की कमी और मॉनेटरी समर्थन इसे 2025 का असली स्टार बना सकते हैं. हालांकि सोना भी एक मजबूत और भरोसेमंद लॉन्ग टर्म निवेश बना रहेगा, लेकिन पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिए चांदी पर गौर करना भी जरूरी है.