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Bonds Vs Fixed Deposits: एफडी के मुकाबले बॉन्ड पर 50% ज्यादा रिटर्न! कमाई का अच्छा मौका

AA रेटिंग वाले बॉन्ड एक आशाजनक निवेश विकल्प के रूप में उभरें हैं, जो फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को आसानी से मात देने वाले रिटर्न देते हैं. ये बॉन्ड निवेशकों को एफडी की तुलना में 30-50% अधिक रिटर्न हासिल करने की अनुमति देते हैं.

AA रेटिंग वाले बॉन्ड एक आशाजनक निवेश विकल्प के रूप में उभरें हैं, जो फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को आसानी से मात देने वाले रिटर्न देते हैं. ये बॉन्ड निवेशकों को एफडी की तुलना में 30-50% अधिक रिटर्न हासिल करने की अनुमति देते हैं.

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FE Hindi Desk
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Bond as Investment instrument

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तुलना में AA रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश पर निवेशकों को 30% से 50% ज्यादा रिटर्न मिल सकते हैं. (Image courtesy: Freepik)

Bonds Vs Fixed Deposits: अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिलने के बाद आमतौर पर लोग निवेश विकल्प पर विचार करते हैं. अपनी सेविंग पर बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए अगर आप भी निवेश करने की सोच रहे हैं, तो इस सफर पर निकलने से पहले आपको निवेश विकल्प के बारे में कुछ बेहद जरूरी बातें समझ लेनी चाहिए. पहला ये कि आप जिस विकल्प में पैसे लगाने की सोच रहे हैं उसके लिए आपके पास रिस्क लेने की कितनी क्षमता है और दूसरा निवेश विकल्प स्थिर और लाभदायक बनी रहे. कुछ इसी तरह का निवेश के लिए अच्छा विकल्प है बॉन्ड जो निवेश की स्थिरता और स्थिर रिटर्न सुनिश्चित करता है.

बॉन्ड मार्केट आमतौर पर शेयर मार्केट से कम अस्थिर होता है और यह कम जोखिम लेने की क्षमता वाले निवेशक के लिए अधिक उपयुक्त होता है. और इसमें निवेश पर स्थिर रिटर्न मिलता है. बॉन्ड उन निवेशकों के लिए निवेश पर स्थिर रिटर्न देते हैं जिनकी रिस्क लेने की क्षमता कम से मध्यम यानी सीमित होती है. बॉन्ड ऐसे लोगों के लिए निवेश का एक लोकप्रिय निवेश है, जो सीमित जोखिम उठा सकते हैं या लगातार कमाई का जरिया चाहते हैं. A या उससे ऊपर के रेटिंग वाले बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न पूर्वानुमानित होता है, इस विकल्प में पुनर्भुगतान योजनाएं निर्धारित होती हैं और डिफॉल्ट रेट आमतौर पर 1% से कम रही हैं.

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AA रेटिंग वाले बॉन्ड एक बेहतर निवेश विकल्प के रूप में उभरे हैं. इस तरह के बॉन्ड में निवेश पर फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी की तुलना में बेहतर रिटर्न मिल जाते हैं. निवेशकों को ये बॉन्ड एफडी की तुलना में 30% से 50% अधिक रिटर्न हासिल करने की अनुमति देते हैं. AA रेटिंग वाले बॉन्ड कई लोगों के वित्तीय ज्ञान को भी चुनौती देते हैं, क्योंकि वे इस डेट इंस्ट्रूमेंट (debt instrument) को निवेश विकल्पों की श्रेणी में ऊंचा स्थान नहीं देते हैं. AA रेटिंग वाले बॉन्ड चुनने पर निवेशक अपने वित्तीय भविष्य के बारे में सुरक्षित महसूस कर सकते हैं.

निवेश के लिए सुरक्षित बॉन्ड की ऐसे करें पहचान?

बॉन्ड के रिस्क को मापने का सबसे आसान तरीका यह है कि उसे SEBI के साथ पंजीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों जैसे CRISIL, ICRA और CARE द्वारा दी गई क्रेडिट रेटिंग को देखा जाए.बॉन्ड की रेटिंग और उस पर मिलने वाले रिटर्न को लेकर ग्रिप इन्वेस्ट के फाउंडर और सीईओ निखिल अग्रवाल बताते हैं कि कैसे AA रेटिंग वाले बॉन्ड एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न दे सकते हैं. निखिल अग्रवाल कहते हैं कि बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न उसकी रेटिंग से जुड़ा होता है, जिसका मतलब है कि बेहतर रेटिंग वाले बॉन्ड आम तौर पर कम रिटर्न देते हैं. इसे दूसरे शब्दों में कहें तो कम रिस्क यानी बेहतर रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश पर निवेशक कम रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर AA रेटिंग वाले बॉन्ड आम तौर पर 9% से 10% रिटर्न देते हैं, जबकि A रेटिंग वाले बॉन्ड 10% से 11% का रिटर्न दे सकते हैं. BBB रेटिंग वाले बॉन्ड 12% से 14% रिटर्न दे सकते हैं. यहां तक कि AA रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश पर निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तुलना में 30% से 50% अधिक रिटर्न मिल सकते हैं. अधिक रिटर्न के चलते निवेशकों के बीच बॉन्ड एक बेहतर निवेश विकल्प के रूप में उभर रहा है.

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निवेश यात्रा शुरू करने से पहले लक्ष्य तय करना बेहद जरूरी है. हालांकि निवेशक की जरूरत के हिसाब से लक्ष्य शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म हो सकता है. निवेश यात्रा में लक्ष्य तय होने पर निवेशक अपनी बेहतर वित्तीय योजना के साथ उसे वक्त पर हासिल कर सकता है. शॉर्ट टर्म लक्ष्य को पूरा करने में बॉन्ड कैसे मदद कर सकते हैं, इस बारे में ग्रिप इन्वेस्ट के फाउंडर बताते है कि बॉन्ड बाजार में निवेश के लिए अलग-अलग समय सीमा यानी टेन्योर वाले कई बॉन्ड उपलब्ध हैं. फिलहाल में बड़े, प्रतिष्ठित कंपनियों के 3 से 6 महीने की अवधि वाले बॉन्ड उपलब्ध हैं. निवेशक अपने शॉर्ट टर्म लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन बॉन्ड में पैसे लगा सकते हैं.

सरकारें या कंपनियां फंड जुटाने के लिए बॉन्ड लेकर आती हैं. निखिल अग्रवाल बताते हैं कि बाजार में निवेश के लिए सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड तमाम तरह के बॉन्ड समय-समय पर लाए जाते हैं. इसके अलावा बॉन्ड के लिए सेकेंडरी मार्केट भी होते हैं. सेकेंडरी बॉन्ड बाजार वह बाजार है जहां निवेशक अपने जरूरत के हिसाब से बॉन्ड खरीद और बेच सकते हैं. उनका कहना है कि निवेशक खास तरह की रणनीति के तहत सेकेंडरी बॉन्ड बाजार के जरिए बॉन्ड में निवेश पर एफडी के मुकाबले 50% अधिक रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

रिस्क उठाने की क्षमता का ऐसे करें आकलन

ग्रिप इन्वेस्ट के सीईओ का कहना है कि एक निवेशक के रिस्क लेने की क्षमता कई चीजों जैसे उम्र, इनकम, कर्ज या देनदारी, नौकरी, सेविंग, सोच पर निर्भर करती है. इस बारे में जानने के लिए आज के समय में कई तरह के टेस्ट उपलब्ध हैं, जिनमें ऑनलाइन माध्यम से ली जाने वाली साइकोमेट्रिक टेस्ट (psychometric tests) भी शामिल हैं, जो निवेशकों को उनकी रिस्क उठाने की क्षमता के स्तर को समझने में मदद कर सकते हैं.

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उन्होंने आगे कहा कि निवेश से पहले अपनी रिस्क उठाने की क्षमता को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है. रिस्क को समझते हुए पैसा लगाने पर स्थिरता बनी रहती है और निवेशक भी परेशान नहीं होता है. निवेश तब ज्यादा लाभकारी होता हैं जब एक निवेशक जल्दबाजी में फैसला लेने से बचते हैं. मिसाल के लिए अल्पकालिक हलचल के कारण स्टॉक से बाहर निकलना.
अग्रवाल ने बताया कि ऐसे निवेशकों के लिए बॉन्ड सही विकल्प है जिनके रिस्क उठाने की क्षमता सीमित हैं. वह कहते है कि A या उससे बेहतर रेटिंग वाले बॉन्ड के डिफॉल्ट होने की दरें 1 फीसदी से कम रही हैं. शेयर बाजारों के उलट बॉन्ड में निवेश पर रिटर्न पूर्वानुमानित होता है, इस विकल्प में पुनर्भुगतान योजनाएं निर्धारित होती हैं. साथ ही इसमें निवेशकों को अस्थिरता का सामना नहीं करना पड़ता है.

फिक्स इनकम वाली एसेट्स क्लास के रूप में बॉन्ड के बीते कुछ सालों में परफार्मेंस को लेकर अग्रवाल ने कहा कि पिछले 2 सालों में महंगाई दर RBI द्वारा तय टार्गेट लेवल से अधिक होने के कारण, ब्याज दर में कुल मिलाकर बढ़ोतरी हुई है. ब्याज दर में बढ़त का असर सभी फिक्स्ड इनकम वाले इंस्ट्रूमेंट्स, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से लेकर बॉन्ड तक में देखने को मिला है. सामान्य तौर पर, यह बढ़ोतरी लगभग 200 बेसिस प्वाइंट्स तक रही है, मिसाल के लिए इस दौरान FD पर ब्याज दर 4.5% से बढ़कर 6.5% तक हो गई है. जिससे निवेशक कम रिस्क वाले विकल्प के जरिए हायर रिटर्न हासिल करने में सक्षम हुए हैं. बेहतर रिटर्न की वजह से फिक्स्ड इनकम वाले इस तरह के इंस्ट्रूमेंट्स में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है. उन्होंने बताया कि पिछले 24 महीनों में ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफार्म (OBPP) प्रोवाइडर के जरिए बॉन्ड में निवेश करने वालों की संख्या 600 फीसदी बढ़ गई है. बता दें कि बान्ड में ऑनलाइन निवेश के लिए OBPP के अलावा Zerodha जैसे और भी विकल्प उपलब्ध हैं.

(Article : Mithilesh Jha)

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