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Budget 2024 : 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट से आम टैक्सपेयर्स ने क्या उम्मीदें लगा रखी हैं और उनके पूरे होने की कितनी संभावना है? (File Photo : Indian Express)
Budget 2024 : What common Taxpayers should expect from Finance Minister: 1 फरवरी को पेश होने वाला केंद्र सरकार का बजट क्या इस बार आम टैक्सपेयर्स के लिए कोई बड़ी खुशखबरी या राहत भरी खबर लाने वाला है? यह सवाल इसलिए क्योंकि बजट पेश होने से पहले ही देश में चुनावी माहौल पूरी तरह बन चुका है. ऐसे में आम मतदाता अगर वित्त मंत्री से एक चुनावी बजट पेश करने की उम्मीद लगाएं तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए.
आम टैक्सपेयर क्या करें उम्मीद?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ समय पहले कहा था कि अंतरिम बजट होने की वजह से इस बार कोई बड़े एलान नहीं होंगे. लेकिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद दिल्ली लौटने के साथ जिस तरह 1 करोड़ घरों की छत पर सोलर पैनल लगाने की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना (Pradhanmantri Suryodaya Yojna) का एलान किया, उससे तो यही संकेत मिल रहे हैं कि चुनाव से पहले कुछ और बड़ी घोषणाएं भी हो ही सकती हैं. मोदी सरकार तो वैसे भी लीक से हटकर फैसले करने के लिए जानी जाती है. जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी से लेकर 12,500 रुपये की फुल टैक्स रिबेट तक व्यक्तिगत करदाताओं के लिए कई बड़ी घोषणाएं की थीं. लिहाजा इस बार भी आम टैक्सपेयर अगर चुनावी मौसम में सरकार की तरफ से तोहफों की बारिश होने की उम्मीद लगा बैठें, तो भला इसमें गलत ही क्या है! तो आइए एक नजर डालते हैं, उन राहतों पर जिनकी उम्मीद इनकम टैक्स (Income Tax) के मामले में आम इंडिविजुअल टैक्सपेयर इस केंद्रीय बजट (Union Budget 2024) से कर रहे हैं.
आयकर स्लैब और रेट में बदलाव
पुरानी टैक्स रिजीम वाले इनकम टैक्स के स्लैब और रेट में 2014 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि इन 10 सालों में तमाम जरूरी चीजों की लागत काफी बढ़ चुकी है. इन जरूरी चीजों में फूड आइटम्स से लेकर दवाएं, बिजली, ट्रांसपोर्ट और कर्ज की लागत तक शामिल हैं. यही वजह है कि करदाता इस बार टैक्स के स्लैब और रेट में राहत की उम्मीद कर रहे हैं. देखना ये है कि चुनावी साल में सरकार क्या इस मामले में मतदाताओं को खुश करती या उनका इंतजार अधूरा ही रह जाता है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाई जाए
सैलरीड क्लास के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को मोदी सरकार ने 2018 में फिर से शुरू किया और 2019 के अंतरिम बजट में इसे 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया. उसके बाद बीते 5 वर्षों में इंफ्लेशन के कारण रुपये की वैल्यू में आई गिरावट को ध्यान में रखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी करना बिलकुल जरूरी हो गया है.
टैक्स बचाने वाले निवेश की लिमिट बढ़े
आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचाने वाले निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है, जो आखिरी बार 10 साल पहले बढ़ाई गई थी. बच्चों की स्कूल फीस भी 1.5 लाख रुपये की इस लिमिट में ही शामिल है. अब इस लिमिट को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने की मांग जोर पकड़ रही है. बच्चों के एजुकेशन पर होने वाले खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए उस पर हेल्थ इंश्योरेंस की तरह अलग से डिडक्शन देने की डिमांड भी हो रही है. कोविड -19 के बाद इलाज के खर्च और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम काफी बढ़ गए हैं, लिहाजा इन पर मिलने वाली टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाने की डिमांड भी जोर पकड़ रही है.
होम लोन के ब्याज पर बढ़ाया जाए डिडक्शन
होम लोन के ब्याज पर मिलने वाले इनकम टैक्स डिडक्शन पर सालाना 2 लाख रुपये की लिमिट लगी हुई है, जो 2014 के बाद से बदली नहीं गई है. जबकि इन 10 वर्षों में घरों की कीमतें जबरदस्त ढंग से बढ़ी हैं. ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने इस लिमिट को और भी नाकाफी बना दिया है. लिहाजा इस लिमिट को बढ़ाकर कम से कम 4 लाख रुपये किया जाना चाहिए.
HRA, ट्रांसपोर्ट और LTA की लिमिट में इजाफा
मकान किराए और ट्रांसपोर्ट के खर्च तेज बढ़ोतरी के बावजूद इनसे जुड़े भत्तों की टैक्स-फ्री लिमिट 2017 के बाद से बढ़ी नहीं है. लिहाजा, करदाताओं के साथ इंसाफ करने के लिए इन सभी भत्तों की टैक्स फ्री लिमिट बढ़ाना जरूरी है.
क्या अंतरिम बजट में किए जा सकते हैं बड़े एलान?
इन तमाम मांगों के बीच ये सवाल भी उठाया जा सकता है कि क्या सरकार अंतरिम बजट यानी वोट-ऑन-अकाउंट में टैक्स से जुड़े अहम एलान कर सकती है? यह बात सही है कि दशकों तक चुनाव से पहले आने वाले अंतरिम बजट में बड़ी घोषणाएं नहीं करने का रिवाज रहा है. लेकिन चुनाव का मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने पर लागू होती है. उससे पहले किसी सरकार के बजट के जरिए टैक्स प्रावधानों में बदलाव करने पर कोई संवैधानिक रोक नहीं है. आखिर 2019 के चुनाव पूर्व अंतरिम बजट में भी तो सरकार ने ऐसा किया ही था न!