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CGHS कवरेज के बावजूद क्या अलग से हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए? (Image : Pixabay)
CGHS vs Personal Health Insurance Policy : सरकारी कर्मचारियों को सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) का लाभ मिलता है. इस स्कीम के तहत वे अपने और परिवार के लोगों का इलाज करा सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकारी कर्मचारियों के लिए CGHS काफी है या उन्हें भी अलग से एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए? आइए समझते हैं क्या है सही रणनीति.
CGHS के फायदे
CGHS यानी सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (Central Government Health Scheme), केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों के लिए चलाई जाने वाली हेल्थ कवरेज स्कीम है. इसके तहत देश भर के चुने हुए शहरों में मौजूद अस्पतालों, वेलनेस सेंटर्स और डिस्पेंसरीज़ में इलाज की सुविधा मिलती है.
इस स्कीम का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को कैशलेस मेडिकल ट्रीटमेंट और बेसिक हेल्थकेयर उपलब्ध कराना है. हालांकि इस स्कीम की कुछ सीमाएं भी हैं. यह स्कीम मुख्य रूप से उन्हीं अस्पतालों में काम करती है जो CGHS से एम्पैनल्ड यानी जुड़े हुए हैं और ऐसे अस्पताल हर शहर में उपलब्ध नहीं होते.
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क्या अलग से हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी है
बदलते वक्त में इलाज की लागत तेजी से बढ़ी है. ऐसे में सिर्फ CGHS पर निर्भर रहना कई बार काफी नहीं होता. CGHS का कवरेज केवल पहले से तय अस्पतालों में ही काम करता है और अगर आप किसी ऐसे शहर में हैं यहां CGHS से जुड़े अस्पताल नहीं हैं या किसी ऐसे स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट की जरूरत है, जो उनमें उपलब्ध नहीं है, तो आपको दूसरी जगह इलाजा कराने के बाद रिइम्बर्समेंट के लिए अप्लाई करना होगा. इसमें आपको कैशलेस सुविधा नहीं मिलेगी. इसके अलावा रिइम्बर्समेंट की प्रॉसेस कई बार लंबी और जटिल हो सकती है. ऐसे हालात में अगर आपके पास अलग से पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है, तो वो काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
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पर्सनल हेल्थ पॉलिसी के फायदे
एक पर्सनल हेल्थ पॉलिसी आमतौर पर देशभर के 15,000 से अधिक अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा देती है. यह सुविधा यात्रा के दौरान या इमरजेंसी में बहुत काम आती है. इसके अलावा, यह आपको उस समय भी कवर देती है जब CGHS नेटवर्क अस्पताल उपलब्ध नहीं होता.
फ्लेक्सिबल हेल्थ कवरेज
CGHS का लाभ तभी तक मिलता है, जब तक आप सरकारी सर्विस में हैं या पेंशनर के रूप में एलिजिबल हैं. लेकिन अगर आप रिटायरमेंट के बाद किसी ऐसे शहर में जाकर रहते हैं, जहां CGHS से जुड़े अस्पताल नहीं हैं या आपके परिवार के लोग इस स्कीम के लिए एलिजिबल नहीं रह जाते, तो परेशानी हो सकती है.
ऐसे में, एक इंडिपेंडेंट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपके लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच का काम करती है. यह न सिर्फ आपकी निरंतर हेल्थ कवरेज बनाए रखती है, बल्कि आप इसमें सुम एश्योर्ड बढ़ा सकते हैं, या क्रिटिकल इलनेस और पर्सनल एक्सीडेंट कवर्स भी जोड़ सकते हैं.
आधुनिक इलाज तक पहुंच
आज कई इंश्योरेंस कंपनियां नए और आधुनिक इलाजों को भी कवर कर रही हैं. मिसाल के तौर पर रोबोटिक सर्जरी, नई ऑन्कोलॉजी थेरेपी और हाई-एंड मेडिकल प्रॉसेस. CGHS में ऐसे एडवांस ट्रीटमेंट का कवरेज सीमित रहता है. इसलिए एक पर्सनल पॉलिसी आपको आधुनिक हेल्थकेयर का लाभ लेने में मददगार साबित हो सकती है.
दोनों कवरेज का समझदारी से करें इस्तेमाल
अगर आप CGHS और पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस, दोनों का सही तालमेल के साथ इस्तेमाल करें, तो यह सबसे बेहतर रणनीति होगी. मिसाल के तौर पर रूटीन या पहले ये तय इलाज के लिए आप CGHS सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि इमरजेंसी, ट्रैवल या किसी स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट के लिए आप अपनी पर्सनल पॉलिसी की मदद ले सकते हैं. इससे आपके लिए हेल्थकेयर का दायरा बढ़ेगा और आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी.
कुल मिलाकर देखें, तो CGHS सरकारी कर्मचारियों को हेल्थ कवरेज के मामले में एक मजबूत आधार देता है, लेकिन समय के साथ स्वास्थ्य सेवाओं की लागत और जरूरतें बढ़ रही हैं. इसलिए एक अलग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना समझदारी भरा कदम हो सकता है.