scorecardresearch

Regular MF vs Child Mutual Fund : रेगुलर फंड से कैसे अलग है चाइल्ड म्यूचुअल फंड, ये कैसे करता है काम, निवेश से पहले समझ लें हर जरूरी डिटेल

चाइल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले ये बातें जानना जरूरी है जैसे कि ये रेगुलर म्यूचुअल फंड से कैसे अलग हैं, किसके लिए सही हैं, इनका लॉक-इन पीरियड, निकासी नियम, टैक्स स्ट्रक्चर और एग्जिट लोड क्या है. यहां पूरी डिटेल समझें.

चाइल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले ये बातें जानना जरूरी है जैसे कि ये रेगुलर म्यूचुअल फंड से कैसे अलग हैं, किसके लिए सही हैं, इनका लॉक-इन पीरियड, निकासी नियम, टैक्स स्ट्रक्चर और एग्जिट लोड क्या है. यहां पूरी डिटेल समझें.

author-image
FE Hindi Desk
New Update
Child Mutual Fund AI Image Gemini, child mutual fund, best child mutual fund 2025, child plan mutual funds India, mutual funds for child education, long-term investment for child, best SIP for child education, mutual fund with lock-in period, tax rules for child mutual fund, how to invest in child mutual fund, child mutual fund benefits, child investment options India, child future investment, difference between regular and child mutual fund, child fund withdrawal rules, child fund exit load, safe investment for child future, child goal based investing, DICGC coverage for mutual funds, financial planning for children, top child mutual funds in India

अगर आप अपने बच्चे के लिए एक लॉन्ग-टर्म और लक्ष्य आधारित निवेश योजना की तलाश में हैं, तो चाइल्ड म्यूचुअल फंड एक असरदार विकल्प साबित हो सकते हैं. (AI Image: Gemini)

Regular MF vs Child Mutual Fund: हर माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता होती है, बच्चे का भविष्य और उसकी शिक्षा का खर्च. महंगाई बढ़ने के साथ उच्च शिक्षा की लागत भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चे के लिए एक लंबी अवधि और लक्ष्य आधारित निवेश योजना की तलाश में हैं, तो चाइल्ड म्यूचुअल फंड एक असरदार विकल्प साबित हो सकते हैं.

ये फंड न सिर्फ सेविंग को अनुशासित तरीके से बढ़ाते हैं, बल्कि बच्चे की पढ़ाई या अन्य बड़े लक्ष्यों के समय एक मजबूत वित्तीय सहारा भी तैयार करते हैं. हालांकि, चाइल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले उनके नियम और शर्तें समझना बेहद जरूरी है, जैसे कि ये रेगुलर म्यूचुअल फंड से कैसे अलग हैं, किसके लिए सही हैं, इनका लॉक-इन पीरियड, निकासी नियम, टैक्स स्ट्रक्चर और एग्जिट लोड क्या है?

Advertisment

Also read : FD Rates: 3 साल की एफडी पर कहां मिलेगा सबसे ज्यादा ब्याज? पैसा लगाने से पहले देखें बैंकों की पूरी लिस्ट

चाइल्ड म्यूचुअल फंड क्या है और ये कैसे करता है काम

चाइल्ड म्यूचुअल फंड बच्चों के भविष्य, खासकर हायर एजुकेशन और लंबी अवधि वाले लक्ष्यों के लिए बनाए गए हैं. इन फंडों में आमतौर पर 5 साल का लॉक-इन पीरियड या फिर बच्चे के 18 साल का होने तक की अवधि, जो भी पहले हो, तय की जाती है. यानी इस दौरान निवेशक पैसे नहीं निकाल सकते, और अगर समय से पहले निकासी करनी पड़ी, तो करीब 4 फीसदी तक का एग्जिट लोड देना पड़ सकता है. इस लॉक-इन का उद्देश्य माता-पिता यानी पेरेंट को निवेश में अनुशासन बनाए रखने में मदद करना है, ताकि फंड का इस्तेमाल तय वित्तीय लक्ष्य यानी बच्चे की शिक्षा या भविष्य की जरूरतों के लिए ही हो.

कैसे खुलता है चाइल्ड म्यूचुअल फंड खाता

अब यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है. पेरेंट अपने केवाईसी दस्तावेजों के साथ बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र या पासपोर्ट देकर ऑनलाइन चाइल्ड म्यूचुअल फंड खाता खोल सकते हैं. निवेश पेरेंट या बच्चे के बैंक खाते से किया जा सकता है, लेकिन निकासी हमेशा बच्चे के खाते में ही होती है. निवेश के लिए बस फंड हाउस यानी एएमसी की वेबसाइट या म्यूचुअल फंड पोर्टल पर जाकर स्कीम चुननी होती है, राशि दर्ज करनी होती है और भुगतान पूरा करना होता है.

Also read : SIP strategy : 15 साल में बनेगा 1 करोड़ का कॉर्पस? कितना और किस तरह की स्कीम में करना होगा निवेश

रेगुलर म्यूचुअल फंड से कैसे अलग हैं ये फंड

रेगुलर म्यूचुअल फंड की तुलना में चाइल्ड फंडों में निवेश की लिक्विडिटी सीमित होती है, क्योंकि इनमें अनिवार्य लॉक-इन होता है. हालांकि, इसका फायदा यह है कि निवेश बीच में निकालने का लालच नहीं होता और फंड बच्चे के लंबी अवधि वाले लक्ष्य तक बढ़ता रहता है. बच्चे के 18 साल के होने के बाद ही केवाईसी अपडेट कर यह खाता उसके नाम ट्रांसफर होता है, तब जाकर निकासी की अनुमति मिलती है.

टैक्स और सेक्शन 80सी का नियम

ध्यान देने वाली बात यह है कि चाइल्ड म्यूचुअल फंड पर सेक्शन 80सी के तहत कोई टैक्स छूट नहीं मिलती. यानी इनका लॉक-इन केवल अनुशासन के लिए होता है, न कि टैक्स बचत के लिए. इसके अलावा, बच्चे के बालिग होने से पहले हुई कमाई पेरेंट की आय में जोड़ दी जाती है और उसी पर टैक्स लगता है.

Also read : Passport: ई-पासपोर्ट आम पासपोर्ट से कितना अलग और क्या हैं फायदे? इसके लिए कैसे करें अप्लाई

निवेश से पहले समझें बारीकियां

मार्केट में कई ऐसे उत्पाद हैं जो चाइल्ड फंड नाम से बिकते हैं, लेकिन वे म्यूचुअल फंड नहीं बल्कि बीमा बेस्ड प्लान या यूलिप प्लान्स हो सकते हैं. इनमें आमतौर पर ज्यादा चार्ज और अलग जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल होता है. इसलिए निवेश से पहले यह जरूर जांचें कि प्लान वास्तव में एक प्योर म्यूचुअल फंड है या नहीं. इसके अलावा, कुछ स्कीम्स गारंटीड रिटर्न का वादा करती हैं, जबकि ऐसी स्कीम्स में 5 साल का मिनिमम लॉक-इन, 4 फीसदी तक का एग्जिट लोड और आंशिक निकासी पर रोक जैसे नियम होते हैं. इसलिए निवेश से पहले हमेशा शर्तें ध्यान से पढ़ें.

किसके लिए सही है यह निवेश

अगर आप चाहते हैं कि आपका निवेश बच्चे की शिक्षा या भविष्य के लिए लंबे समय तक सुरक्षित रहे और बीच में भुनाने की गुंजाइश न रहे, तो चाइल्ड म्यूचुअल फंड आपके लिए सही विकल्प हैं. वहीं, अगर आप निवेश में फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं, तो रेगुलर डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड बेहतर रहेंगे, बशर्ते आप अपने अनुशासन पर भरोसा रखते हों.

Also read : Mid Cap Champion : 5 साल में 1 लाख को 4.4 लाख तक बनाने वाले 5 मिडकैप फंड, पांचों का सालाना रिटर्न 30% के पार

चाइल्ड म्यूचुअल फंड बच्चों के वित्तीय भविष्य के लिए एक योजनाबद्ध और अनुशासित निवेश विकल्प हैं. ये पेरेंट को समय के साथ एक बड़ा फंड बनाने में मदद करते हैं, ताकि बच्चे की शिक्षा, करियर या अन्य जरूरतों के वक्त पैसों की कमी न हो. लेकिन निवेश से पहले इसके लॉक-इन, टैक्स और निकासी नियमों को ध्यान से समझना जरूरी है, ताकि आपके बच्चे के सपनों की नींव मजबूत और सुरक्षित बन सके.

(नोट : इस आर्टिकल का उद्देश्य जानकारी देना है, ना कि यह निवेश की सलाह है. बाजार में जोखिम होता है, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह लें.)

Mutual Fund