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Debt Consolidation: डेट कंसोलिडेशन में सभी मौजूदा कर्जों को मिलाकर एक नया लोन बना दिया जाता है.(Image : Freepik)
Debt Consolidation: एक साथ कई कर्ज़ों (Loan) को संभालना और समय पर सबका भुगतान करना मुश्किल हो जाता है. इससे कभी-कभार किस्त चूकने का खतरा भी होता है. ऐसे में सभी कर्जों () को मिलाकर एक ही आसान किस्त में चुकाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है. डेट कंसोलिडेशन यानी डेट कंसोलिडेशन (Debt Consolidation) एक ऐसी रणनीति (Debt Repayment Plan) है जिसमें आपके सारे पुराने कर्ज़ों को मिलाकर एक नया लोन बना दिया जाता है.
क्या है डेट कंसोलिडेशन?
डेट कंसोलिडेशन मतलब अपने सभी पुराने कर्जों को मिलाकर एक नया लोन लेना (borrow). इससे आपको कई किस्तों की जगह सिर्फ एक ही EMI भरनी होती है. यह प्रक्रिया बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट के जरिए की जाती है. डेट कंसोलिडेशन से पुराने लोन चुकाने की प्रक्रिया आसान हो जाती है. साथ ही, इसमें ब्याज दर कम होने की संभावना होती है या चुकाने का समय बढ़ सकता है, जिससे आपकी जेब पर बोझ भी कम पड़ता है.
डेट कंसोलिडेशन के जरिए अपने मौजूदा कर्जों को मिलाने का फैसला लेने से पहले कुछ अहम बातों पर ध्यान देना जरूरी है.
डेट कंसोलिडेशन से पहले इन 5 बातों पर दें ध्यान
अपने सभी मौजूदा कर्जों का आकलन करें
सबसे पहले यह समझें कि आपने कुल कितना कर्ज लिया हुआ है. हर लोन पर कितना ब्याज लग रहा है, कितने समय में चुकाना है और कहीं कोई जुर्माना या एक्स्ट्रा चार्ज तो नहीं है, ये सब बातें जांच लें. इससे आपको अपनी वित्तीय हालत का सही अंदाजा लगेगा और सही फैसला लेने में मदद मिलेगी.
क्रेडिट स्कोर और लोन लेने की योग्यता समझें
आपका क्रेडिट स्कोर यह बताता है कि आपने अब तक अपने कर्ज कैसे चुकाए हैं. अगर ये स्कोर अच्छा है, तो आपको लोन पर कम ब्याज दर मिल सकती है और लोन लेना भी आसान हो जाता है. इसलिए सबसे पहले अपना क्रेडिट स्कोर चेक करें. अगर स्कोर ज्यादा है, तो आपको बेहतर शर्तों जैसे – कम ब्याज, ज्यादा लोन राशि या लोन चुकाने के लिए ज्यादा समय पर लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, लोन को एक साथ मिलाकर नया लोन लेने से क्रेडिट स्कोर थोड़े समय के लिए थोड़ा घट सकता है. लेकिन अगर आप समय पर किस्तें भरते रहें तो आपका स्कोर फिर से अच्छा हो सकता है.
बैंकबाज़ार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि अच्छा क्रेडिट स्कोर अक्सर आपको डेट कंसोलिडेशन पर कम ब्याज दरों के लिए योग्य बनाता है. इससे कुल ब्याज खर्च कम हो जाता है और रिपेमेंट को मैनेज करना हो सकता है. अच्छा क्रेडिट स्कोर होने पर आपको लोन चुकाने के लिए ज्यादा समय मिल सकता है या जरूरत से ज्यादा पैसा भी मिल सकता है. इससे लोन चुकाना आसान हो जाता है और आप अपने पैसों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं.
ब्याज दर और दूसरे शुल्क देखें
अपने पुराने लोन को मिलाकर जब आप नया लोन लेने की सोच रहे हों, तो यह जरूर देखें कि कहीं उस पर ज्यादा ब्याज या कोई एक्स्ट्रा चार्ज तो नहीं हैं. नया लोन तभी फायदेमंद है जब उसकी ब्याज दर और बाकी चार्ज आपके पुराने लोन से कम हों. इसलिए अलग-अलग विकल्पों की तुलना करना जरूरी है.
लोन चुकाने की अवधि और योजना देखें
अगर आप लंबे समय के लिए लोन लेते हैं तो आपकी हर महीने की किस्त (EMI) कम हो सकती है, लेकिन ऐसा करने से आपको कुल मिलाकर ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है. इसलिए चुकाने की अवधि सोच-समझकर चुनें, ताकि आपकी जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े.
खर्च करने की आदतों पर लगाम लगाएं
सभी मौजूदा कर्जों को मिलाकर जब आप एक नया लोन लेते हैं यानी डेट कंसोलिडेशन स्टैटेजी अपनाते हैं, तो ज़रूरी है कि आप फालतू खर्च से बचें और कोई नया कर्ज न लें. अगर आप खर्च पर कंट्रोल नहीं रखेंगे तो कर्ज कम होने के बजाय और बढ़ सकता है. इसलिए समझदारी से बजट बनाएं, ज़रूरत के मुताबिक ही खर्च करें, और समय पर किस्त चुकाएं. अगर किसी बात को लेकर भ्रम हो, तो अपने वित्तीय सलाहकार से बात करके अपनी स्थिति के हिसाब से सही सलाह जरूर लें. ऐसा करने से आपको अपनी वित्तीय हालत के हिसाब से डेट कंसोलिडेशन रणनीति आपनाने में मदद मिल सकती है.
हालांकि सभी कर्जों को मिलाकर एक लोन लेना (डेट कंसोलिडेशन) कई बार कर्ज संभालने का अच्छा तरीका हो सकता है, लेकिन इसे अपनाने से पहले ये देखना जरूरी है कि ये तरीका आपके लिए सही है या नहीं. इसका आपके पैसों पर क्या असर पड़ेगा, ये समझकर ही कोई फैसला लें. अगर आप सोच-समझकर सही फैसला लेंगे, तो कर्ज चुकाने में आसानी होगी और आपकी आर्थिक हालत भी लंबे समय तक मजबूत बनी रहेगी.
(Credit : Sanjeev Sinha)